मेरे तरकश में… और भी तीर हैं

मप्र की राजनीति में कहा जाता है कि जिस पार्टी को


ग्वालियर-चंबल का साथ मिल गया उसकी सरकार बननी तय है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन ने ग्वालियर-चंबल को साधने का जतन तेज कर दिया है। इसी कड़ी में कल इस अंचल के जिलों की कोर कमेटी के सदस्यों के साथ बैठकर सत्ता और संगठन ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पदाधिकारियों से कहा कि आप लोग समन्वय से काम करें, बाकी सभी को साधने के लिए मेरे तरकश में और भी तीर हैं। इस अंचल के तहत 34 सीटें आती है। बीते विस चुनाव में कांग्रेस 34 में से 26 सीटें जीती थी। इसकी वजह से भाजपा को सत्ता से बाहर रहने के लिए मजबूर रहना पड़ा था और बाद में जब सत्ता परिवर्तित हुई तो उसमें भी ग्वालियर-चंबल के विधायकों ने भाजपा का साथ देकर सत्ता में वापसी कराई थी। खैर यह तो चुनाव बाद की परिणाम था, लेकिन ग्वालियर-चंबल में भाजपा क्यों हारी थी, उस नाराजगी को अब दूर करने का काम किया जा रहा है। इसको लेकर कल अंचल के नेताओं के साथ बैठक हुई। कोर कमेटी की बैठक में कुछ नेताओं ने कहा कि गैस सिलेंडर महंगा होने को कांग्रेस मुद्दा बना रही है। उसने पांच सौ रुपए में सिलेन्डर देने का भी वादा किया है। कुछ नेताओं ने कर्मचारियों के वेतन, भत्तों का मुद्दा उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समय का इंतजार करें। सब कुछ जल्द ठीक हो जाएगा। मेरे तरकश में अभी बहुत तीर बाकी है। उन्होंने कोर कमेटी के नेताओं से यह भी जाना कि किस योजना का इंपेक्ट कितना है, इन्हें कैसे नीचे तक पहुंचाया जाए। उन्होंने जिले के नेताओं से कहा कि जिलों में तबादले खुल रहे है। जो अफसर ठीक काम न कर रहे हों, उन्हें बदलवा दें।
सीएम ने खुद संभाला मोर्चा
मिशन-2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा में इन दिनों ग्वालियर-चंबल अंचल में बवाल के हालात बन गए हैं। नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयान देकर पार्टी की परेशानियां बढ़ा रहे हैं। इससे पार्टी में खेमेबाजी शुरू हो गई है। ग्वालियर चंबल में भाजपा नेताओं में चल रहे आपसी विवाद को थामने अब मुख्यमंत्री ने खुद कमान संभाल ली है। इसके तहत ही उन्होंने बीते रोज इस अंचल के जिलों की कोर कमेटी के सदस्यों को बुलाकर उनसे विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। सीएम ने इन नेताओं से मतभेद भूलकर पार्टी के काम में जुट जाने को कहा। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद भी मौजूद रहे। इन दोनों नेताओं ने भी कोर कमेट के नेताओं से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने अंचल के ग्वालियर , मुरैना, शिवपुरी और श्योपुर जिले के नेताओं से बात की। गौरतलब है कि जिले की कोर कमेटी में जिले के सांसद, विधायक समेत अन्य वरिष्ठ नेता होते हैं। यहीं कमेटी जिले से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर निर्णय लेती है। सीएम ने सुबह सबसे पहले ग्वालियर शहर और ग्रामीण के नेताओं से अलग-अलग बात की। इसके बाद उन्होंने अन्य जिलों के नेताओं से भी बात की। सीएम ने इन नेताओं से कहा कि यह समय मतभेद भुलाने का है। हम सब को मिलकर काम करना है। समय चुनाव का है, हमें सब कुछ भूलकर चुनाव की तैयारी में लगना है। जीत ही हमारा लक्ष्य है और इसे हम हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के सम्मान का हमें विशेष ख्याल रखना है। नेता कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद करें। सुबह ग्यारह बजे शुरू हुआ बैठकों का दौर शाम चार बजे तक चला।
नई भाजपा और पुरानी भाजपा में बंटे कार्यकर्ता
गौरतलब है कि इस अंचल में भाजपा में कई जगहों पर विवाद के हालात हैं। यह विवाद श्रीमंत समर्थकों और भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं के बीच है। इसका खामियाजा भी भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में उठाना पड़ा था। जिस ग्वालियर ननि चुनाव में भाजपा कभी नहीं हारी, वहां पिछले साल उसके मेयर प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। मुरैना में भी उसे हार मिली थी। दरअसल, ग्वालियर-चंबल अंचल को मप्र की सत्ता की चाबी कहा जाता है, यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस अंचल में जोर लगा रही है। 2018 में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटें जीती थी, लेकिन उपचुनाव के बाद अब इस अंचल में भाजपा और कांग्रेस के पास 17-17 सीटें हैं । यही वजह है कि अब भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस अंचल में दबदबा कायम रखने के लिए अपने अंदर की गुटबाजी को कंट्रोल करने में लगी है , लेकिन इस बार सबसे ज्यादा गुटबाजी भाजपा के अंदर नजर आ रही है।
किसानों की कर्जमाफी
एक अन्य बड़ा वर्ग है किसान क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कर्ज माफी योजना ने इसे बढ़ा प्रभावित किया था और कहा तो यहां तक जाता है कि किसानों के कारण ही भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। यही कारण है कि सरकार ने ब्याज माफी योजना को न केवल मंजूरी दी है बल्कि दो लाख तक के कर्ज दार किसानों के ब्याज माफ भी कर दिए हैं। बता दें कि कांग्रेस ने भी 2018 में कर्जमाफी की घोषणा की थी जिसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
भू-अधिकार योजना
शिवराज सिंह चौहान उस वर्ग को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं, जो ग्रामीण और शहरी इलाके में रहता है। इसी तरह आवासहीन लोगों के लिए मुख्यमंत्री भू अधिकार योजना अमल में लाई गई है, जिसमें गरीबों को भूखंड उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
लाड़ली बहना योजना पर फोकस
राज्य सरकार ने महिलाओं के बीच अपनी पैठ को और मजबूत करने के लिए जहां लाड़ली लक्ष्मी योजना 0.2 को आगे बढ़ाया तो वही लाड़ली बहना को जमीन पर उतारने का अभियान चलाया है। राज्य में तय शर्तों को पूरा करने वाली महिलाओं को हर माह एक हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान लाडली बहना योजना में किया गया है और जून माह में यह राशि उनके खाते में भी आने लगेगी।
कांग्रेस पर भारी शिवराज का मास्टर स्टोक
चुनावी साल सियासी दलों के लिए काफी अहम होता है। खासकर सत्ताधारी दल के लिए बड़ी चुनौती वाला होता है। मप्र में भी लगभग यही हाल है, यही कारण है कि राज्य की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने मतदाताओं का दिल जीतने के लिए सौगातों की बरसात तेज कर दी है। राज्य में भाजपा के लिए सत्ता में वापसी बहुत आसान नहीं है, यह बात पार्टी भी बेहतर तरीके से समझ रही है। इसका कारण भी है क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। यह बात अलग है कि कांग्रेस के अंदर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में हुई बगावत ने भाजपा को सत्ता में ला दिया। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कोई चूक न रह जाए, यही कारण है कि सरकार हर वर्ग को खुश करने के दाव चल रही है। बीते कुछ माह की सरकार की गतिविधियों पर गौर किया जाए तो यह बात साफ नजर आती है कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार उन वर्गों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती जो चुनावी नतीजों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं।