मप्र चुनाव में सक्रिय होंगे संघ के मोर्चा संगठन

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में भाजपा को बड़ी जीत


दिलाने के लक्ष्य के साथ आरएसएस पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। इसके लिए संघ के पदाधिकारी लगातार मप्र का दौर कर जमीनी हकीकत पता कर रहे हैं। वहीं बैठकों का दौर भी निरंतर जारी है। अब संघ रणनीति बनाकर अपने मोर्चा संगठनों को चुनाव में सक्रिय करेगा। इसके लिए संघ ने भाजपा के साथ तमाम संगठनों की समन्वय बैठक शुरू कर दी है। इसी कड़ी में बीते रोज शारदा विहार में क्षेत्र प्रचारक (मप्र- छग) दीपक विस्पुते ने मध्यभारत प्रांत (भोपाल और ग्वालियर) के लोगों को बुलाया। इसमें भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद मौजूद रहे। संघ की मध्य क्षेत्र इकाई ने भोपाल समन्वय बैठक में प्रदेश भाजपा संगठन को कई सलाह दीं और उस पर अमल करने को कहा। साथ ही संघ ने भाजपा संगठन को यह भी बताया कि जल्द ही संघ के मोर्चा संगठन मैदानी स्तर पर मोर्चा संभाल लेंगे।
गौरतलब है की संघ भले ही राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन वह भाजपा की रणनीति का सूत्रधार होता है। हर चुनाव में पर्दे के पीछे से भाजपा के लिए काम करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस बार भी मोर्चा संभालेगा। संघ ने अपने स्वयंसेवकों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर प्रचार शुरू कर दिया है, जिसमें वे केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार के काम बताकर, सांस्कृतिक और वैचारिक मुद्दों पर लोगों से वोट देने की अपील करेगा।
आक्रामक हिंदुत्व के साथ मैदान में भाजपा
सूत्रों का कहना है कि संघ ने स्वयंसेवकों से मिले फीडबैक के आधार पर जो रणनीति बनाई है, उसके तहत भाजपा को आक्रामक हिंदुत्व के साथ मैदान में उतरने को कहा गया है। कर्नाटक से सबक लेकर भाजपा ने तय किया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव में पार्टी आक्रामक हिंदुत्व के साथ मैदान में रहेगी। कर्नाटक में मुस्लिमों का रवैया देखने के बाद ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने की तैयारी दर्शाई है। उत्तराखंड में इस कानून को लागू करने की पूरी तैयारी है । अगले माह तक गोवा के बाद उत्तराखंड दूसरा राज्य होगा, जहां समान आचार संहिता लागू कर दी जाएगी। कर्नाटक में पराजय के बावजूद हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ने वाली नहीं है। भाजपा ध्रुवीकरण को मप्र में भी अंतिम चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी। भाजपा के सर्वोच्च रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसका उपयोग एंटी इनकंबेंसी को बेअसर करने के लिए करेंगे। भाजपा ध्रुवीकरण के लिए कॉमन सिविल कोड का सहारा ले रही है। पार्टी ने संघ परिवार की मदद से आदिवासियों के बीच हिंदुत्व का एजेंडा पहले ही छेड़ दिया है। इसी का नतीजा है कि धर्मांतरण के खिलाफ संघ के विभिन्न मंच लगातार आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा महाकाल, ओमकारेश्वर, सलकनपुर, मैहर, पीतांबरा पीठ, जैसे मंदिरों के पुनर्निर्माण के जरिए भी हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर रही है। इसके अलावा लव जिहाद और तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए कानूनों का भी पार्टी के नेता अपने भाषणों में लगातार उल्लेख करेंगे। भाजपा विधानसभा चुनाव में अयोध्या में भव्य राम मंदिर और धारा 370 हटाने का मुद्दा भी उठाने वाली है। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी को लागू करने के लिए कोई नया निर्देश दे सकती है। इसके अलावा काशी विश्वनाथ के ज्ञानवापी परिसर का मुद्दा और मथुरा का एजेंडा भी जोर शोर से उठाया जा सकता है। भाजपा की केंद्र सरकार जनवरी में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन भी करने जा रही है। जबकि कश्मीर से धारा 370 का खात्मा 5 अगस्त 2019 को किया जा चुका है। केंद्र सरकार तीन तलाक के विरोध में कानून पहले भी ला चुकी है। यानी पार्टी अपने तीनों बुनियादी मुद्दों धारा 370, कॉमन सिविल कोड और अयोध्या में राम मंदिर को हल करने के बाद चुनाव में जाएगी। इसका स्पष्ट मतलब यह भी है कि भाजपा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण के अपने आजमाएं हुए हथियार का पूरा उपयोग करेगी।
संघ ने दिया चुनावी मंत्र
मप्र में पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर अब संघ भी तेजी से सक्रिय नजर आना शुरू हो गया है। संघ व भाजपा के बीच लगातार बैठकें जारी हैं। इसी कड़ी में बीते रोज भोपाल में संघ के मध्य भारत प्रांत की समन्वय बैठक हुई जिसमें भाजपा सहित 22 अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया। भाजपा की ओर से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद पूरे समय बैठक में मौजूद थे। यह बैठक भोपाल के शारदा विहार में करीब 11 घंटे चली। क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने दो सत्रों में बैठक को संबोधित किया। सूत्रों के अनुसार संघ ने भाजपा को सलाह दी है कि हिंदुत्व को लेकर तेवर और आक्रामक किए जाएं तथा दलितों और आदिवासियों पर फोकस बढ़ाया जाए। खास तौर पर आदिवासियों पर फोकस बढ़ाने के लिए संघ ने जोर दिया है। बैठकों के बाद अब तक जो बात सामने आयी है , उसके मुताबिक यह लगभग तय कर लिया गया है , कि अगले विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश में भाजपा के मैदानी चुनावी मोर्चा पर स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा भाजपा व संघ के बीच लगातार जारी रहने वाली समन्वय बैठकों में कई अन्य तरह के फैसले भी लिए जाना हैं। विस्पुते ने बैठक में कहा कि विरोधी ताकतें चुनाव में सक्रिय होंगी, जैसे यूपी से पहले किसान आंदोलन हुआ था। मप्र में मूल निवासी और वनवासी को लेकर आदिवासियों के बीच गड़बड़ी व भ्रम फैलाया जा सकता है।
पूर्व की गलतियों से लिया सबक
चुनाव में मद्देनजर बीते चुनाव में हुई गलतियों से सबक लेकर भाजपा उनसे पूरी तरह से बचना चाहती है। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों ने भाजपा को सबसे ज्यादा अजजा और अजा वर्ग की सीटों के परिणामों से नुकसान हुआ था। भाजपा को 2013 की तुलना में केवल अजजा बहुल क्षेत्रों की करीब डेढ़ दर्जन सीटों का ही नुकसान का सामना करना पड़ा था। इसी तरह अजा वर्ग की भी कुछ सीटें भी भाजपा हार गई थी। संगठन ने पिछली गलतियों और कमियों को दुरूस्त करने के लिए अभी से काम शुरू कर दिया है। वहीं कल की समन्वय बैठक में मुख्य रूप से ग्वालियर -चंबल अंचल को लेकर चिंता जाहिर की गई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद दोनों ही इसी अंचल से आते हैं। ग्वालियर चंबल अंचल में नए और पुराने भाजपा नेताओं में समन्वय की समस्या है। संघ ने प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश को नाराज नेताओं को मनाने और सिंधिया समर्थकों की समस्या हल करने के लिए लगाया है। समन्वय बैठक में ग्वालियर- चंबल अंचल की जिलेवार समीक्षा की गई। इसके अलावा 27 जून के प्रधानमंत्री के दौरे के कार्यक्रम के संबंध में भी विचार विमर्श किया गया। संघ ने अपनी ओर से कुछ सुझाव भाजपा को दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने भी समिधा जाकर मध्य क्षेत्र इकाई के शीर्ष पदाधिकारियों से चर्चा की है।