मानसून सत्र होगा इस सरकार का अंतिम सत्र.
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनावी साल में सरकार का अंतिम सत्र अगले माह से शुरु होने जा रहा है। इस मानसून सत्र में कुल पांच बैठकें होना हैं। इस दौरान शिव सरकार अपना अंतिम अनुपूरक बजट लाने जा रही है। यह बजट 25 हजार करोड़ के आसपास रहने की संभावना है। जिसे अब तक का सबसे बड़ा अनुपूरक बजट माना जा रहा है। इसकी वजह है इसमें लाड़ली बहना, किसान ब्याज माफी, विद्यार्थियों के लिए ई-स्कूटी सहित अन्य योजनाओं के लिए अतिरिक्त प्रावधान किया जाना हैं। दरअसल राज्य सरकार प्रदेश के लोगों की उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए तमाम प्रयासों में लगी हुई है। इसके लिए वित्त विभाग द्वारा जोर शोर से तैयारियों की जा रही हैं। वित्त विभाग ने इस अनुपूरक बजट में विभिन्न विभागों की नई मदों में राशि की मांग के प्रस्तावों को नकार दिया है। इसके साथ ही वित्त विभाग ने सभी विभागों से प्रस्ताव 18 जून तक ही मांगे थे।
नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की वजह से वर्ष शीतकालीन सत्र नहीं होगा, जिसकी वजह से इस बार द्वितीय अनुपूरक बजट लाया जाना संभव नहीं हो सकेगा। इसी तरह से अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव भी होना है, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि अगले साल भी कुछ माह के लिए नई सरकार को लेखानुदान लाना होगा। यही वजह है कि सरकार की प्राथमिकता वाली सभी योजनाओं के लिए प्रथम अनुपूरक बजट में ही पर्याप्त राशि का प्रावधान करने की कवायद की जा रही है। दरअसल चुनावी साल होने की वजह से सरकार भी किसी भी जनहित वाली योजना में पैसों की कमी को आड़े नहीं आना देना चाहती है। इसके लिए सरकार नया कर्ज लेने में भी पीछे नहीं हट रही है।
गौरतलब है कि विधानसभा का मानसून सत्र 10 जुलाई से शुरू होना है। सत्र के दूसरे दिन यानि की 11 जुलाई को अनुपूरक बजट पेश किया जा सकता है। इसके लिए विभागों से 18 जून तक प्रस्ताव मांगे गए थे, जिससे की जरुरी प्रस्तावों को अनुपूरक बजट में शामिल किया जा सके। खास बात यह है कि इस बार वित्त विभाग पहले ही विभागों को बता चुका था कि इस अनुपूरक बजट में मनमाने तरीके से पैसों की मांग नहीं की जाए। खासतौर पर नई मदों के प्रस्ताव तो स्वीकार ही नहीं किए गए हैं। वित्त विभाग द्वारा तय की गई व्यवस्था के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023-24 की अवधि के प्रथम अनुपूरक बजट के प्रस्ताव प्रशासकीय विभाग से सक्षम प्रशासकीय अनुमोदन मिलने के बाद ही दिया जाना था। प्रस्ताव देने के लिए वित्त विभाग की आईएफएमआईएस से ऑनलाइन ही देने का नियम तय किया गया था। वित्त विभाग ने ये भी साफ कर दिया था कि यदि कोई प्रस्ताव मैनुअली देगा तो वित्त विभाग ऐसे प्रस्तावों को अनुपूरक में कतई शामिल नहीं करेगा। अनुपूरक बजट में यदि किसी प्रस्ताव को शामिल कराना है तो ये जरूरी था कि प्रस्ताव केवल ऑनलाइन ही भेजा जाए। इसके साथ ही अनुपूरक अनुमान से संबंधित संक्षेपिका को भी हिन्दी में ही मांगा गया है। नई व्यवस्था के तहत निर्धारित प्रपत्र में जानकारी विभाग के सभी बीसीओ के एकजाई प्रस्ताव के साथ अनिवार्य रूप से भेजने को भी कहा गया था।
इस तरह के प्रस्तावों को ही मांगा गया था
वित्त विभाग ने नए अनुपूरक बजट के लिए जो गाइड लाइन तय की थी, उसके मुताबिक इसमें सिर्फ उन प्रस्तावों को ही भेजने को कहा गया था, जिन कामों के लिए राशि राज्य की आकस्मिकता निधि से अग्रिम स्वीकृत की गई हो और उसके लिए पहले से ही वित्त विभाग से सहमति भी ली गई हो। इसी तरह जिनके लिए भारत सरकार या अन्य एजेंसी से वित्तीय सहायता या केंद्रांश मंजूर की गई हो और जो मौजूदा मदों से विमुक्त न की जा सकती हो, साथ ही जिसके लिए अतिरिक्त संसाधन की व्यवस्था प्रशासकीय विभाग अन्य प्रचलित योजनाओं में उपलब्ध राशि में से कटौती कर बचत की राशि से नहीं कर पाएंगे। उनके प्रस्ताव भी अनुपूरक बजट में शामिल किए जा रहे हैं। इसी तरह से विशेष पूंजीगत केंद्रीय सहायता के तहत जिन विभागों द्वारा केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैं या फिर भेजा जाना प्रस्तावित है। यदि उन विभागों को अलग से बजट लाइन खोलने के लिए जरूरी हो तो प्रतीक प्रावधान से अलग बजट लाइन खोलने के लिए भी प्रस्ताव अनुपूरक में शामिल किए जा रहे हैं। अहम बात यह है कि इस बार विभागों के नए वाहन खरीदी के प्रस्तावों को पूरी तरह से नकार दिया गया है। इसकी वजह है चुनावी साल में सरकार की प्राथमिकता आम आदमी है न की अफसर।