मतदाताओं को लुभाने भाजपा करेगी अनोखा प्रयोग

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में इस बार विधानसभा चुनाव


में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है। ऐसे में भाजपा की रणनीति है कि अधिक से अधिक समय मतदाताओं के बीच गुजारा जाए। इसके लिए पार्टी विभिन्न रणनीति पर काम कर रही है। इसी के तहत पार्टीे मतदाताओं को लुभाने के लिए इस बार अनोखा प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत पार्टी सागर में बन रहे रविदास मंदिर के लिए प्रदेश के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जाकर एक मुी चावल और गांव की मिट्टी लेगी। पार्टी को उम्मीद है कि इस अनोखे प्रयोग से वह बड़े वोट बैंक को साध पाएगी।यह रणनीति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा तैयार की गई है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा जातिगत समीकरणों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। दरअसल चुनावों से पहले शिव व वीडी की जोड़ी ने एक बड़ा दांव चल दिया है। भाजपा की ओर से संत रविदास मंदिर के लिए चंदा जुटाने का ऐलान किया है। बता दें कि इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन के लिए देशभर से चंदा जुटाया था। अब सागर के रविदास मंदिर के लिए भी भाजपा हर घर से ईंट, पत्थर और चावल चंदा करेगी और हर गांव से एक मुी मिट्टी भी जुटाएगी। इस तरह से सामाजिक समरसता का नया माहौल पैदा करेगी।
दलित आबादी पर फोकस
दरअसल, भाजपा सामाजिक समरसता के माध्यम से बड़े वोट बैंक को साधने में लगी हुई है। भाजपा का कहना है कि संत रविदास किसी एक जाति के नहीं थे, बल्कि वे सर्व समाज के सर्वमान्य संत थे और इसलिए उनका मंदिर सभी के सहयोग से निर्माण किया जाना चाहिए। इस सिलसिले में भाजपा हर घर से चावल, ईंट, पत्थर और मिट्टी का चंदा करेगी। चंदा में लिए गए चावलों का प्रयोग मंदिर के भूमिपूजन पर होने वाले भोज में किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 फरवरी को संत रविदास मंदिर बनाए जाने का ऐलान किया था। इस दौरान उन्होंने जानकारी दी थी कि मंदिर के लिए सागर में नरयावली के बड़तूमा गांव में 11 एकड़ जमीन सरकार की ओर से अलॉट कर दी गई है। सीएम ने यह भी बताया था कि सागर में बनने वाले संत रविदास मंदिर के निर्माण लिए इस वित्त वर्ष के बजट में 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। चुनावी साल में भाजपा ने प्रदेश की दलित आबादी को लुभाने के लिए सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में संत रविदास मंदिर के नाम पर शिलापूजन यात्राएं निकालने की तैयारी की है। यात्राएं शुरू करने जुलाई के दूसरे सप्ताह का समय तय किया गया है। यात्रा के साथ राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर के नेताओं के दौरे भी बनाए जा रहे हैं। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा इन यात्राओं को निकालेगा और पार्टी संगठन साथ-साथ रहेगा।
राम मंदिर की तर्ज पर शिला पूजन यात्रा
भाजपा एक बड़ा सियासी दांव चलने जा रही है। यह ऐसा दांव है जिसके चलते ही भाजपा को राजनैतिक रूप से हारे हुए उस गढ़ की जीत आसान हो जाएगी , जिसकी वजह से बीते विस चुनाव में पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। संघ व भाजपा नेताओं द्वारा इस गढ़ की जीत के साथ ही दलित मतदाताओं को साधने के लिए तैयार की गई रणनीति की वजह से अभी से माने जाना लगा है कि इस बार दलित मतदाता पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में ही खड़ा होगा। इसे जातिगत समीकरण साधने का सबसे बड़े सियासी दांव के रूप में देख जा रहा है। सागर में 100 करोड़ रुपए की लागत से भव्य संत रविदास मंदिर के निर्माण का प्रोजेक्ट हाथ में लिया गया है। जिस तरह राम मंदिर निर्माण की यात्राएं निकाली गईं थीं, उसी तर्ज पर रविदास मंदिर के लिए हर जिले में यात्रा की तैयारी की गई है। इन यात्राओं को भाजपा ने समरसता यात्रा और संत रविदास शिलापूजन यात्रा नाम दिया है। यात्राओं के साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र में अजा वर्ग के बड़े नेताओं के दौरे भी बनाए जा रहे हैं। अजा वर्ग के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं की ब्रांडिंग भी की जाएगी। इसके साथ मंदिर निर्माण के लिए अजा वर्ग के एक-एक व्यक्ति को जोड़ने की योजना बनाई गई है। इस प्रोजेक्ट में सभी परिवारों के जुड़ाव तय करने के लिए एक मु_ी चावल, एक ईंट और गांव की मिट्टी लेने की योजना बनाई गई है।
राम मंदिर की तर्ज पर चलेगी मुहिम
संघ, भाजपा व सरकार ने मिलकर सामाजिक समरसता की रणनीति तैयार की है। इसके तहत भाजपा का संगठन व सरकार मिलकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों से मांगे गए सहयोग और उसके पक्ष में बनाए गए माहौल की ही तरह से संत रविदास मंदिर के लिए भी ठीक उसी तरह की ही मुहिम छेडऩे जा रही है। इसकी वजह से भाजपा को एक साथ कई मोर्चों पर फायदा हो सकता है। दरअसल प्रदेश में एस्ट्रोसिटी एक्ट को लेकर दिए गए बयान की वजह से अब भी ग्वालियर -चंबल अंचल के लोगों में नाराजगी बनी हुई है। यही नहीं इस तरह का कदम उठाए जाने से सरकारी खजाने पर भी आर्थिक भार नहीं आएगा और राजनैतिक रुप से इस वर्ग का समर्थन भी मिल जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस यात्रा की तैयारियां और रोड मैप पर मंथन करने आज पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा की प्रदेश स्तरीय बैठक मुख्यालय में बुलाई जा रही है। बैठक में समरस भोज, समरसता यात्रा और संत रविदास मंदिर के लिए शिला पूजन यात्रा की रूपरेखा बनाई जाएगी।
17 फीसदी है वोट बैंक
दरअसल, मप्र के 17 प्रतिशत एससी वोट बैंक पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरे हैं। क्योंकि इस वर्ग का जिस पार्टी को साथ मिलता है, सत्ता तक पहुंचने की उसकी राह आसान हो जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इस वर्ग ने अहम रोल निभाया था। यही वजह है कि इस बार भी भाजपा और कांग्रेस में इस वर्ग को साधने के लिए अभी बिछात बिछाई जा रही है। प्रदेश में एसटी की 47 सीटें हैं। इसके अलावा इस वर्ग का करीब आधा सैकड़ा सीटों पर बड़ा प्रभाव भी है। पिछले चुनाव 2018 में भाजपा को ग्वालियर-चंबल संभाग में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। यही कारण है कि इस बार इस वर्ग के लिए आरक्षित 35 सीटों के अलावा उन सभी सीटों पर भी फोकस किया जा रहा है,जहां यह वर्ग निर्णायक स्थिति में है। 2018 में भाजपा को अजा वर्ग की 16 सीटों पर सफलता मिली थी। इसके बाद 2020 में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद हुए उपचुनाव में पांच और सीटें (अंबाह, भांडेर, अशोकनगर, सांची व सांवेर) भाजपा को मिलीं थीं। इस तरह भाजपा अभी अनुसूचित जाति वर्ग की 21 सीटों पर काबिज है। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की 1.13 करोड़ 42 लाख यानि करीब 16 फीसदी आबादी है। इनके लिए विधानसभा में 35 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से कुल 21 सीटों पर भाजपा काबिज है।