सीएम राइज स्कूलों के सपने नहीं हुए साकार

मेरिट में एक भी सरकारी स्कूल नहीं.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में जिस उद्देश्य के साथ सीएम राइज स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, उसमें वे फिसड्डी साबित होने लगे है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन रिजल्ट में फिसड्डी साबित हुए है। राजधानी भोपाल के आठ सीएम राइज स्कूलों में 12वीं का परिणाम पिछले साल की अपेक्षा 15 फीसदी तक गिरा है। राज्यस्तरीय या जिला स्तरीय प्रावीण्य सूची में सिर्फ महात्मा गांधी स्कूल के एक छात्र ने ही जगह बनाई है। इसके अलावा किसी स्कूल का नाम शामिल नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश में शिक्षा के लिए हजारों करोड़ रु. का बजट है, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां लैब, विषयाध्यापकों सहित अन्य संसाधनों की भारी कमी है। शिक्षाविदों का कहना है कि रिजल्ट अच्छा अथवा खराब रहने का कॅरिअर में फर्क नहीं पड़ने और ठोस कार्रवाई नहीं होने से बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं ,जो पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं रहते। इसके लिए सरकार के स्तर पर ठोस नीति बनाने की जरूरत है।
15 फीसदी तक गिरा रिजल्ट
गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले साल से सीएम राइज स्कूलों की शुरुआत जोर-शोर से हुई थी। इन स्कूलों में करोड़ों रुपए खर्च कर विश्व स्तरीय सुविधाओं को देने के वादे के साथ विकसित किया गया है। स्कूलों में तमाम सुविधाएं जैसे प्रशिक्षित और परीक्षा पास योग्य शिक्षक, सर्वसुविधायुक्त लायब्रेरी, स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, भोजन कक्ष, बायो टायलेट, मेडिकल रूम, बस सेवा सहित कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके 12वीं में इन स्कूलों का परिणाम पिछले साल की अपेक्षा 15 फीसदी तक गिरा है। सीएम राइज स्कूलों में इस साल परीक्षा या मूल्यांकन केंद्र भी नहीं बनाए गए हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता भी पर्याप्त है। यहां के शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाता है। इन स्कूलों में कोई भी गतिविधि या कार्यक्रम भी नहीं लगाए जाते हैं। इसके बाद भी 12वीं में ये स्कूल पिछड़े हुए हैं। राजधानी भोपाल के स्कूलों में 12वीं का परिणाम आठ फीसदी तक है। जहांगिरिया हायर सेकेंडरी स्कूल में बारहवीं का परिणाम 8.10 है। प्राचार्य ऊषा खरे ने कम रिजल्ट का कोई कारण नहीं बताया। जहांगीराबाद गर्ल्स स्कूल में दसवीं का परिणाम 46.06 व बारहवीं में 55.74 फीसदी है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्राचार्य ऊषा खरे का कहना है इस परिणाम से विद्यालय की छात्राएं संतुष्ट नहीं हैं। अधिकतर छात्राओं ने रिवैल्यूएशन का फार्म भरा है।
भोपाल के स्कूलों के रिजल्ट चिंताजनक
सरकार ने जिस उद्देश्य के साथ सीएम राइज स्कूलों को शुरू किया था, वह राजधानी में ही फेल हो गया। प्रदेश में एक हजार सीएम राइज स्कूल खुलना है। इसके लिए करीब एक हजार करोड़ का बजट रिजर्व रखा गया है। पहले चरण में पौने तीन सौ स्कूल शुरू किए गए हैं। प्रदेश का पहला सीएम राइज स्कूल का तमगा हायर सेकेंडरी स्कूल बरखेड़ी को दिया जाता है। इस स्कूल में बारहवीं में 43.2 फीसदी विद्यार्थी पास हुए हैं। यह रिजल्ट पिछले साल से 13 फीसदी कम है। बारहवीं में 74 में से 34 विद्यार्थी फेल हुए हैं। प्राचार्य केडी श्रीवास्तव ने विभाग को अभी तक कम रिजल्ट का कोई कारण नहीं बताया है। राजधानी के कुल आठ सीएम राइज स्कूलों में महात्मा गांधी भेल का रिजल्ट 54.3 फीसदी रहा। यह पिछले साल से दो फीसदी कम है। प्राचार्य हेमलता परिहार ने अगले साल कड़ी मेहनत की करने की बात कही है। सीएम राइज स्कूल बैरसिया में बारहवी 43.6 विद्यार्थी पास हुए हैं। रिजल्ट पिछले साल की अपेक्षा पांच फीसदी गिरा है। प्राचार्य राकेश नागर ने फिलहाल कोई कारण नहीं बताया है। सीएम राइज स्कूल कमला नेहरू में बारहवी का परिणाम 64.2 फीसदी है। हालांकि यह परिणाम औसत से ज्यादा है, लेकिन पिछले साल की अपेक्षा 14 फीसदी कम है। प्राचार्य संगीता ठाकुर अगले साल ज्यादा मेहनत करने की बात कहती हैं।