श्रीमंत की सलाह को भाजपा ने किया नजरअंदाज

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। करीब 40 महीने पहले भाजपा में


शामिल हुए श्रीमंत यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया अब पूरी तरह भगवा रंग में रंग गए हैं। उनके चाल, चेहरे और चरित्र में भाजपा का रंग और ढंग दिखने लगा है। इस दौरान भाजपा ने भी उन्हें वह सबकुछ दिया ,जो -जो उन्होंने चाहा है। लेकिन गतदिनों भाजपा की प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी की बैठक में जिस तरह उनकी सलाह को नजरअंदाज किया गया, उससे लगता है कि शायद श्रीमंत भाजपा को ठीक से समझ नहीं पाए हैं, या फिर भाजपा उनकों समझ नहीं पाई है।
जानकारी के अनुसार, गत दिनों जब भोपाल में भाजपा की प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी की बैठक हुई तो, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे समय तक बैठे रहे। उन्होंने करीब हर मुद्दे पर अपनी बात रखी और सुझाव दिए। बैठक में जब हारी हुई सीटों पर पूर्णकालिक प्रभारियों के कामकाज का रिव्यू हुआ, तो सिंधिया ने कहा कि सभी हारी सीटों पर अभी से टिकट या प्रत्याशी तय कर देने चाहिए। इससे उन्हें काम करने का वक्त मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक जमावट और बाकी काम भी उसी के कहने से किए जाने चाहिए। इससे मैसेज सही जाता है। चुनाव में इसका लाभ होता है। लेकिन पार्टी ने उनकी सलाह पर कोई ध्यान नहीं दिया।
सिंधिया को आकांक्षी सीटों की चिंता
बहरहाल, सिंधिया के रुख से साफ है कि उन्हें 103 विधानसभाओं की चिंता हैं। दरअसल, 2018 में भाजपा को 121 सीटों पर हार मिली थी। इनमें से 22 सीटें भाजपा पांच हजार के कम अंतर से उसके हाथ से निकल गई थीं। उपचुनाव के बाद अभी भी 103 सीटें ऐसी हैं, जो पकड़ से बाहर हैं। इनमें श्योपुर, सबलगढ़, सुमावली, मुरैना, दिमनी, भिंड, लहार, गोहद, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेंवड़ा, करेरा, पिछोर, चाचौड़ा, राघोगढ़, चंदेरी, देवरी, बंडा, महाराजपुर, राजनगर, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, रैगांव, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, बैहर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, लखनादौन, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा, मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, उदयपुरा, विदिशा, भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, आगर, शाजापुर, कालापीपल, सोनकच्छ, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, अलीराजपुर, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी, देपालपुर, इंदौर -1, राऊ, नागदा, तराना, घट्टिया, बडऩगर , सैलाना, आलोट शामिल हैं।
भाजपा को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए करीब साढ़े तीन साल का समय जरूर हो गया है, लेकिन वे शायद भाजपा की कार्यप्रणाली को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। यही कारण है कि पार्टी ने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया। दरअसल भाजपा कोर कमेटी की बैठक चार जुलाई को हुई थी। इस बैठक में सबसे पहले चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आकांक्षी (हारी हुई सीटें) विधानसभाओं का रिव्यू किया था। इस दौरान चर्चा निकली। इस पर सिंधिया ने कहा कि सभी हारी सीटों पर अभी से टिकट या प्रत्याशी तय कर देने चाहिए। इससे उन्हें काम करने का वक्त मिलेगा। श्रीमंत ने जब यह बात कही तो वहां मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत किसी भी नेता ने जवाब तक नहीं दिया। एक वरिष्ठ नेता ने जरूर कहा कि सिंधिया भाजपा में नए हैं। दरअसल, भाजपा में टिकटों की चर्चा भी तब होती है, जब केंद्रीय नेतृत्व से संकेत मिलते हैं। उसी समय प्रदेश चुनाव समिति की बैठक होती है। पहले से प्रत्याशी घोषित नहीं किया जाता। हालांकि टिकट का मसला अलग-अलग रूप में हर बैठक में आता है।
समन्वय व समझाइश के साथ जोड़-तोड़ का फार्मूला
प्रदेश भाजपा में नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने का दौर शुरू हो गया है। केंद्रीय संगठन के निर्देश के बाद हर जिले की विधानसभा से पांच सीनियर कार्यकर्ताओं को भोपाल बुलाया जा रहा है, जिनसे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बात करेंगे। ताकि चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का गुबार निकल सके। दरअसल, प्रदेश भाजपा कार्यालय में चली बैठक में चुनाव जीतने के लिए समन्वय व समझाइश के अलावा जोड़-तोड़ का फार्मूला अपनाने पर मंथन हुआ। अब भाजपा हर क्षेत्र और क्षत्रप के हिसाब से काम करेगी। अलग- अलग अंचल के हिसाब से रणनीति की बेस लाइन तय की गई। ये भी तय हुआ कि कहां-किन प्रमुख लोगों से संवाद बढ़ाना है। असंतोष वाले नेताओं को साधने व ऐसे लोगों से भी संवाद बढ़ाना है, जो भविष्य में भाजपा से जुड़ सकते हैं। इसके लिए हर नेता अपने क्षेत्र में काम करेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने के साथ ही डैमेज कंट्रोल में जुटेंगे।
सीएम की टिफिन पार्टी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के बाद भाजपा में टिफिन पार्टी का दौर चल पड़ा है। विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आठ जुलाई की शाम को कैबिनेट के सभी सदस्यों (मंत्रियों) को टिफिन के साथ सीएम हाउस बुलवाया है। टिफिन पार्टी में सबसे पहले विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा होगी। इसके ठीक बाद कैबिनेट की बैठक भी रखी जाएगी। इसी के बाद सब मिलकर भोजन करेंगे। पार्टी आलाकमान ने विधायकों से भी कहा कि वे कम से कम 200 कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन पार्टी करें। मंत्रियों के लिए कोई संख्या नहीं है।