डेढ़ माह में कांग्रेस करेगी आधा दर्जन बड़ी रैलियां

राहुल, प्रियंका और खरगे होंगे शामिल.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अब विधानसभा चुनाव में महज चार माह का समय रह गया है। चुनाव की घोषणा अक्टूबर माह में होना संभावित है। ऐसे में कांग्रेस ने इसके पहले ही प्रदेश में करीब डेढ़ माह में आधा सैकड़ा बड़ी रैलियां करने की रणनीति बनाई है। खास बात यह है कि इन्हें अलग-अलग अंचलों में आयोजित किया जाएगा जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तक शामिल होंगे। यह फैसला उस राजनीतिक मामलों की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया है, जो हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के आवास पर हुई है। बीते चुनाव की ही तरह इस बार भी कांग्रेस अभी से पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर चुकी है। यही वजह है कि पार्टी के कई केन्द्रीय नेता लगातार मप्र में प्रवास कर रहे हैं। इन रैलियों की शुरुआत 22 जुलाई को ग्वालियर में होने वाली प्रियंका गांधी की सभा से होगी। इसके बाद राहुल की सभाएं अगस्त में लगातार आयोजित की जाएंगी। जबकि दो सभाएं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आयोजित की जाएंगी। यह सभाएं आरक्षित वर्ग की सीटों वाले इलाकों में आयोजित किए जाने की तैयारी की जा रही है। उनकी सभाओं के माध्यम से कांग्रेस उन एक सैकड़ा सीटों पर पार्टी की पकड़ मजबूत करना चाहती है, जो आदिवासी और अनुसूचित जाति बहुल हैं। खरगे की सभाओं के जरिए इन जिलों को कवर किया जाएगा। इस दौरान कांग्रेस ने कर्नाटक पैटर्न पर जनता के बीच में ग्राउंड जीरो तक प्रदेश में भाजपा के 18 साल के भ्रष्टाचार को जोर -शोर से उठाने की तैयारी की है। इसके अलावा सभाओं में खासतौर पर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर भी जोर दिया जाएगा। इस बैठक की खासियत यह रही कि इसमें कांग्रेस संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी के मैसेज को कांग्रेस के बड़े नेताओं तक दिया। उन्होंने कहा कि मप्र में कंफर्ट मेजोरिटी में कांग्रेस की सरकार बन रही है। इसलिए सभी चुनाव की तैयारियों में लग जाएं। 12 जून को प्रियंका गांधी ने जबलपुर में एक विशाल रैली की थी। इसके साथ ही प्रदेश में पार्टी ने चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी थी। प्रियंका गांधी राजनीतिक रूप महत्वपूर्ण ग्वालियर में 22 जुलाई को एक रैली करने वाली हैं। वहीं, 25 अगस्त को तीन ओबीसी, एससी और एसटी की अत्याधिक आबादी वाले क्षेत्रों में भी रैली होगीं।
यह है आरक्षित सीटों का गणित
प्रदेश में 230 सीटों की विधानसभा में अनुसूचित जाति (अजा) की 35 और अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग के लिए 47 आरक्षित हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग की 41 सीटें ऐसी हैं, जहां एससी एसटी वोटर निर्णायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति वर्ग की 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीटें मिली थी। 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। हालांकि उपचुनाव के बाद समीकरण बदले और बीजेपी सरकार में आ गई, लेकिन कांग्रेस अब इन्ही सीटों पर फोकस कर रही है। इसमें शहडोल, डिंडोरी, मंडला, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र शामिल हैं, और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में भिंड, मुरैना, टीकमगढ़, रीवा और रायसेन शामिल हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की 7.26 करोड़ आबादी में अनुसूचित जाति 15.6 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 21.1 प्रतिशत हैं। अगर इसके पहले हुए विस चुनाव 2013 के परिणामों पर नजर डालें तो तब कांग्रेस को महज 15 एसटी और 4 एससी के लिए आरक्षित सीटों पर ही जीत मिल सकी थी।
पांच वादों के प्रचार-प्रसार पर भी फोकस
बैठक में कमलनाथ ने कहा कि प्रियंका गांधी ने जो पांच गारंटी सरकार बनने पर पूरा करने का जनता से कमिटमेंट किया है, उन्हें हर घर तक पहुंचाया जाए। बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जेपी अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा, नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, सांसद विवेक तन्खा और समेत सभी सदस्य मौजूद थे। बैठक में कांग्रेस के संगठनात्मक 65 हजार बूथों को मजबूत बनाए जाने पर जोर दिया गया। कांग्रेस अब तक के सबसे मजबूत संगठन के रूप में इस बार विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरेगी। सेक्टर और मंडलम की नियमित हो रही बैठकों और वहां से जो फीडबैक आ रहा है, उसके अनुसार जनता में चुनाव को लेकर उत्साह है।
महाकौशल की 38 सीटों पर दारोमदार
माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल की 38 सीटों पर सत्ता का दारोमदार रहेगा। महाकौशल से 2018 में बीजेपी को मात्र 13 सीटों पर और कांग्रेस को 24 सीट पर जीत मिली थी। एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने निर्दलीय चुनाव लडक़र जीती थी। कांग्रेस के लिए यह प्रदर्शन 2013 चुनाव के मुकाबले डबल खुशी देने वाला रहा था। 2013 के आंकड़े देखने पर स्पष्ट है कि बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया था। राजनीतिक दृष्टि से महाकौशल में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडौरी और बालाघाट जिले हैं। कांग्रेस के सामने इस बार इस अंचल में पुरानी जीत दोहराने की चुनौती है।