सेवानिवृत्त शिक्षक को दे डाली पदोन्नति

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश का शिक्षा विभाग नियम कानून की


जगह शायद अफसरों की मनमर्जी से अधिक चलता है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि, संचालनालय में पदस्थ अफसरों की कार्यप्रणाली से ही यह पता चल जाता है। इसकी वजह है वह पदोन्नति सूची , जिसमें कई ऐसे शिक्षकों को सालों के इंतजार के बाद अब जाकर पदोन्नति दी गई है, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। खास बात यह है कि यह वे शिक्षक हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सालों पहले अलंकृत किया जा चुका है। नियमानुसार पुरस्कार मिलते ही उन्हें पदोन्नत करने का नियम है , लेकिन इस नियम विभाग पालन ही नहीं कर रहा है।
हाल ही में राष्ट्रपति और राज्यपाल से पुरस्कार प्रदेश के 25 शिक्षकों को पदोन्नति प्रदान करने की जो सूची जारी की गई है, उसमें कुछ ऐसे शिक्षकों के नाम भी शामिल हैं , जो अब सेवा में ही नहीं रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें पदोन्नत किए जाने से कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। ऐसे ही एक शिक्षक हैं रामकृष्ण बघेले, जो हाल ही में नौ दिन पहले 30 जून को सेवानिवृत्त हो गए हैं। दरअसल हरदा में पदस्थ रहे, इन्हें नवाचार के लिए 2002 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था, लेकिन उस समय मिलने वाली पदोन्नति का आदेश अब जाकर तब निकाला गया है , जब वे सेवानिवृत्त हो गए हैं। नियमानुसार उन्हें यह पदोन्नति तभी मिल जानी चाहिए थी, जब उनको पुरस्कार मिला था। इसी तरह से एक अन्य शिक्षक देवीदयाल भारती हैं, जिन्हें 1995 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था, उन्हें अब जाकर तब पदोन्नत किया गया है , जब उनकी सेवानिवृत्ति में एक साल का ही समय बचा है। गौरतलब है कि दो दिन पहले शुक्रवार को लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने पदोन्नति का आदेश जारी किया है। इस मामले में सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण बघेल का कहना है कि मैंने वर्षों तक इस सम्मान को पाने के लिए संघर्ष किया था, अच्छा होता कि सेवा के दौरान ही मुझे यह पदोन्नति दी गई होती। अब इसका क्या लाभ है। उन्होंने कहा कि अगर ये पदोन्नति पहले मिल जाती तो इस पदनाम का लाभ भी मिलता।
यह है नियम
शासकीय शिक्षक संघ के सचिव देवी दयाल भारती का कहना है कि पदोन्नति का नियम है कि जिस दिन पुरस्कार मिले, उस दिन ही प्रमोशन का पत्र मिलना चाहिए, लेकिन 20 साल बाद पदोन्नति मिलना समझ से परे है। सेवानिवृत्ति से पहले ये पदोन्नति मिलती तो उसका लाभ शिक्षक को मिलता।
पहली सूची में तीन पूर्व शिक्षकों के नाम थे
पूर्व में 27 नामों की एक पदोन्नति सूची जारी की गई थी , जिसमें ऐसे तीन शिक्षकों के नामों को शामिल किया गया था, जो सूची जारी होने के ही पहले सेवानिवृत्त हो चुके थे। इसका पता चलते ही विरोध शुरू हुआ तो उस सूची का निरस्त कर नए सिरे से 25 नामों की सूची जारी की गई , लेकिन उसमें भी इसी तरह की गड़बड़ी हो गई। बताया जा रहा है कि यह सूची आठ फरवरी को हुई विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में की गई सिफारिश के आधार पर जारी की गई है। ऐसे ही एक अन्य मामले में भोपाल के शिक्षक धीरेंद्र कुमार तोमर को 10 साल के इंतजार के बाद पदोन्नति दी गई है। उन्हें 2013 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था। अभी उनकी नौ साल नौकरी शेष है। इसी तरह से कई सालों के इंतजार के बाद शिक्षक देवीदयाल भारती को भी पदोन्नति दी गई है।