अफसरों के इस नवाचार से बढ़ रही उनकी लोकप्रियता.
भोपाल/मंगल भारत। अगर आपको कलेक्टर युवाओं को पढ़ाते हुए नजर आएं, तो चौंकिएगा नहीं। इसकी वजह है, मप्र में कई जिलों के कलेक्टर अब मास्साब की भूमिका में भी नजर आ रहे हैं। वे युवाओं को आखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा के लिए तैयारी कराने के लिए ही कलेक्टर के साथ ही शिक्षक और उनके अभिभावकों की भूमिका का भी निर्वाहन कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे एक नहीं बल्कि कई कलेक्टर हैं। उनके इस कदम को युवाओं को लेकर कर्तव्य के रुप में देखा जा रहा है। इसके लिए इन कलेक्टरों द्वारा अपने संपर्क और प्रभाव का इस्तेमाल सकारात्मक रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए देश की कई प्रमुख कोचिंग संस्थानों और इस क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं से भी मदद ली जा रही है। खास बात यह है कि युवाओं को मार्गदर्शन देने के लिए वरिष्ठ आईएएस अफसर ड्यूटी का समय और सरकारी कामकाज निपटाने के बाद अलग से समय निकालते हैं। ऐसे कलेक्टरों के मार्गदर्शन और सहयोग की वजह से बीते तीन सालों में करीब दो सैकड़ा युवा विभिन्न सरकारी सेवाओं में बतौर अफसर से लेकर अन्य पदों तक में नौकरी पा चुके हैं। कलेक्टरों की इस रुचि को देखते हुए अब तो प्रदेश में कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आने लगी है। ऐसी ही एक श्योपुर की संस्था द्वारा कलेक्टरों से संपर्क कर सीहोर, गुना, टीकमगढ़, जबलपुर, ग्वालियर और बालाघाट शहर में युवाओं के लिए कोचिंग सेंटर तक खोल दिए हैं। इस तरह के प्रयासों से प्रदेश के प्रतिभावान गरीब बच्चों को स्थानीय स्तर पर बेहतर तैयारी करने का मौका मिल रहा है। इसकी वजह से जहां अभिभावकों को आर्थिक राहत मिल रही है तो वहीं ,बच्चों को भी घर ही रह कर तैयारी करने का भी मौका मिल रहा है। इसका फायदा सर्वाधिक उन बच्चों को मिल रहा है जो प्रतिभावान होने के बाद भी आर्थिक तंगी की वजह से नौकरी की तैयारी करने से वंचित रह जाते हैं।
इस तरह से किया चयन
इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी के लिए युवाओं का एक परीक्षा के माध्यम से चयन किया जाता है। हरदा जिले के कलेक्टर ऋषि गर्ग ने विजन आईएएस नई दिल्ली के संयुक्त सौजन्य से 12वीं पास छात्र-छात्राओं को यूपीएससी की तैयारी कराने की पहल की है। उन्होंने इस तरह की तैयारी आधा सैकड़ा युवाओं को कराने के लिए 929 विद्यार्थियों की लिखित एवं मौखिक रुप से परीक्षा ली। इसमें से पहले पचास स्थान पर आने वाले युवाओं का चयन कर उनकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। इस मामले में गर्ग का कहना है कि जिले में कई प्रतिभावान युवा हैं, लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है और उनके सामने कई बार आर्थिक समस्या भी रहती हैं। इसलिए इस तरह का नवाचार किया जा रहा है। इसी तरह से कटनी कलेक्टर अवि प्रसाद ने पहली बार कलेक्टर बनते ही जिले के युवाओं को राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एवं मार्गदर्शन के लिए कोचिंग शुरु की है। इसमें उनके द्वारा भारत निर्माण कोचिंग की भी मदद ली जा रही है।
आलीराजपुर में भी जारी है पहल
आलीराजपुर जैसे आदिवासी जिले में भी कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह ने नर्मदा ज्ञान मंदिर के सहयोग से कोचिंग शुरु की है। जिले में इसकी जिम्मेदारी नायब तहसीलदार हर्षल बहरानी और डॉ. प्रमेय रेवडिय़ा को दी है। इस प्रयास की वजह से ही इसी साल पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में तीन बच्चों को सफलता मिली है। अब दो माह से करीब 40 बच्चों को एमपी पीएससी की तैयारी कराई जा रही है। इसके बाद अब यूपीएससी के लिए भी सत्र जल्द शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इस दौरान कलेक्टर भी सप्ताह में एक बार स्वयं जाकर बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं। इसी तरह के प्रयास सतना जिले में भी कलेक्टर अनुराग वर्मा द्वारा शुरु किया गया है। वहां पर बकायादा पहले बच्चों का पंजीयन कराया गया है। इसके बाद उनमें से 120 को तैयारी कराई जा रही है। इस प्रयास की वजह से ही इस बार एमपीपीएससी में करीब दस बच्चे प्रारंभिक परीक्षा में सफल हो चुके हैं। इसमें आदर्श परिवार संस्था से भी सहयोग लिया जा रहा है।
इन अफसरों के प्रयासों को मिली सफलता
एमएसएमई के सचिव पी नरहरि अच्छे मेंटर हैं। उनके मार्गदर्शन में 300 से अधिक युवा आईएएस और आईपीएस सहित कई अन्य तरह के अफसर बन चुके हैं। इसी तरह से इंदौर कलेक्टर इलैया राजा टी ने भिंड कलेक्टर रहते हुए संकल्प नाम से कोचिंग शुरु की थी , जिसकी वजह से अब तक लगभग 40 बच्चों का विभिन्न विभागों में चयन हो चुका है। अपर सचिव मुख्यमंत्री प्रीति मैथिल नायक भी बच्चों को मार्गदर्शन दे रही हैं। उनके प्रयासों से एक युवती भी आईपीएस बन चुकी हैं। उधर, भास्कर लाक्षाकार ने गुना कलेक्टर रहते नि:शुल्क कोचिंग प्रारंभ की थी। जिसकी वजह से उसमें आने वाले 20 से अधिक युवाओं का चयन विभिन्न विभागों में हो चुका है।