ईपीएफओ में कर्मचारियों का पूरा रिकॉर्ड, फिर भी मांग रहे 28 साल पुराने रिकॉर्ड…
भोपाल/मंगल भारत। मप्र सहित देश के लाखों कर्मचारियों की हायर पेंशन पाने की चाहत लालफीताशाही में फंस गई है। दरअसल, कर्मचारियों से 28 साल पुराने वेतन के रिकार्ड मांगे गए हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्देश के बाद कर्मचारी अपने 28 साल के रिकॉर्ड को खोजने में जुट गए हैं। जबकि हकीकत यह है कि ईपीएफओ में हर एक कर्मचारी का पूरा रिकॉर्ड होता है। लेकिन अफसरों की भर्राशाही के कारण कर्मचारियों को परेशान होना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईपीएफओ ने मप्र सहित देश भर से लाखों कर्मचारियों से हायर पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प तो मांग लिया है, लेकिन राह में कई बाधाएं भी खड़ी हो गई हैं। कर्मचारियों से 28 साल पुराने वेतन संबंधी रिकॉर्ड देने को कहा जा रहा है , जबकि ईपीएफओ के पास सभी कर्मचारियों का पूरा रिकॉर्ड मौजूद है। मोदी सरकार
ने इस योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है लेकिन, लालफीताशाही के चलते कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। कर्मचारियों की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया कहते हैं कि हायर पेंशन नहीं देने के बहाने हैं। कर्मचारी से 28 साल पुरानी पे- स्लिप चाहिए थी, तो नौकरी ज्वाइन करते समय ही बता देना था।
1995 के बाद का रिकॉर्ड मांगा
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के बंद हो चुके कई निगम-मंडल, संस्थानों के ऑनरशिप बदल गए। संस्थानों के कर्मचारी अधर में हैं। उनके बारे में अभी तक कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं दी गई। हायर पेंशन का विकल्प कर्मचारियों को देने के लिए श्रम मंत्रालय ने दो डेडलाइन बढ़ाई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि करीब 18-20 लाख लोगों ने ईपीएफओ में ऑनलाइन आवेदन जमा करा दिए लेकिन, अब सदस्यों से 1995 के बाद का पीएफ स्टेटमेंट एवं वेतन का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। ज्यादातर कर्मचारियों के पास इतनी पुरानी पे-स्लिप मौजूद नहीं हैं, जबकि नियोक्ता और ईपीएफओ के पास सभी कर्मचारियों का पूरा रिकॉर्ड मौजूद है। ईपीएफओ भोपाल के कमिश्नर अमिताभ प्रकाश का कहना है कि कर्मचारियों के वेतन डिटेल नियोक्ता के पास होना चाहिए, उनसे ही यह जानकारी मांगी गई है। विभाग ने कर्मचारियों से यह ब्योरा नहीं मांगा । उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए। बंद हो गए संस्थानों के बारे में मुख्यालय से दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।
आखिर इनका क्या होगा
प्रदेश में कई ऐसे संस्थान जो बंद हो गए अथवा बिक चुके हैं। अब उनके हजारों कर्मचारी अधर में हैं। मप्र में ही राज्य परिवहन निगम, भूमि विकास निगम, तिलहन संघ, राज्य उद्योग निगम सहित बड़ी संख्या में निजी संस्थान बंद हो चुके हैं। कई संस्थानों की ऑनरशिप बदल गई है। ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों की संख्या हजारों में हैं। ऐसे सदस्यों के लिए ईपीएफओ ने कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई। हायर पेंशन स्कीम 16 नवंबर 95 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए लागू की गई है। ईपीएफओ ने पुरानी परिवार पेंशन स्कीम को इसमें ही मर्ज कर दिया है। सेवानिवृत्त ईपीएफ कल्याण समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर परसाई का कहना है कि सरकार हायर पेंशन नहीं देना चाहती इसलिए कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। ईपीएफओ के पास पूरा रिकॉर्ड है। नियोक्ता हर साल सभी सदस्यों का पीएफ स्टेटमेंट जमा कराते हैं। बंद संस्थानों के बारे में भी स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है।