भोपाल/मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। करीब चार साल पहले
सस्ते बीज की खरीदी के लिए जिस बिचौलियों की व्यवस्था को समाप्त किया गया था, उस व्यवस्था को पलट कर अफसरों ने दुगने दामों पर बीज की खरीदी तय कर डाली। इससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा है। अहम बात यह है कि इस तरह से दोगुने दामों का भुगतान बीते चार सालों से अनवरत रुप से जारी है। दरअसल बिचौलियों की व्यवस्था अफसरों को खूब रास आती है। प्रदेश में सरकारों को बीज विक्रय करने वालों का पूरा सिंडिकेट है। इस सिंडिकेंट के हिसाब से ही सरकारी स्तर पर बीज की खरीदी किए जाने के आरोप लगते रहते हैं। वर्ष 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने के बाद बीज खरीदी में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और मंहगे दामों पर बीज की खरीदी पर रोक लगाकर बिचौलिया कंपनियों के सिंडिकेट को समाप्त करने की दिशा में एक आदेश जारी किया गया था। इस पर अमल शुरु हुआ ही था, कि कमलनाथ सरकार गिर गई। इसके बाद एक बार फिर पुराने आदेश को पलट दिया गया। जिससे सिंडिकेट को सक्रिय होने का भरपूर मौका फिर से मिल गया। इसका फायदा उठाते हुए किसानों के लिए हाइब्रिड टमाटर का बीज 48 हजार रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाने लगा। यह भाव राष्ट्रीय बाजार में तय दामों से दुगने भाव हैं। खरीदी में भ्रष्टाचार का यह गोरखधंधा बीते चार सालों से लगातार जारी है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय कृषि संचालनालय द्वारा कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में 3 जून 2019 को बिचौलियों की प्रथा खत्म करने के लिए आदेश जारी किया था। आदेश में साफ लिखा था, कि बिचौलियों को हटाने की दृष्टि से राष्ट्रीय बीज निगम अथवा अन्य शासकीय संस्थाओं द्वारा उत्पादित बीज ही खरीदा जाए। लेकिन उद्यानिकी विभाग ने 1 जून 2023 को निर्देश जारी कर बीज खरीदी सिर्फ एमपी एग्रो के माध्यम से करने की बात कही। ऐसे में बीज खरीदी के लिए, जो नियम तय किए गए थे, उससे दोगुनी कीमत पर सब्जियों के बीज की खरीदी हो रही है। उद्यानिकी से जुड़े कुछ अधिकारियों का मानना है कि अगर बीज खरीदी के लिए एमपी एग्रो के अतिरिक्त अन्य शासकीय संस्थाओं का विकल्प होता तो किसानों और विभागीय अधिकारियों के पास बीज की कई वैरायटी और अन्य दरों को चुनने का विकल्प भी होता।
केंद्र से मिले थे कई विकल्प
केंद्रीय कृषि विभाग ने मध्यप्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण (हॉर्टिकल्चर) विभाग को 7 जून 2022 को एक पत्र लिखा था, जिसमें नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत 79 करोड़ 82 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे, जिसका उपयोग हॉर्टिकल्चर की विभिन्न स्कीमों में खर्च किया जाना था। इस पत्र में बीज उपलब्ध कराने वाले सरकारी संस्थान, नर्सरी और कृषि विश्वविद्यालयों का भी जिक्र किया गया था। लेकिन, मध्यप्रदेश सरकार ने बीज खरीदी के लिए सिर्फ एमपी एग्रो का ही चयन किया। जबकि राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड), जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य सरकार की नर्सरियों और एमपी एग्रो (एजेंसी) से बीजों की खरीदी की जा सकती है।