अब अंचलों पर भी करेंगे अमित शाह फोकस

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में होने वाले विधानसभा


चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अब मप्र में पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। उनकी सक्रियता इससे ही समझी जा सकती है कि वे, इस माह में तीन बार प्रदेश के प्रवास पर आ चुके हैं और कल से फिर चौथी बार दो दिनी प्रवास पर आ रहे हैं। बीते चुनाव में प्रदेश के भाजपा नेताओंं पर किया गया पार्टी आलाकमान का भरोसा पार्टी को झटका दे चुका है। इसी वजह से इस बार प्रदेश की चुनावी कमान केन्द्रीय नेताओं ने अपने हाथों में ले ली है। इसी के तहत अब शाह खुद मप्र पर पूरा फोकस कर रहे हैं। वे अब प्रदेश में अंचलवार प्रवास करने जा रहे हैं। इसी के तहत भोपाल आने के बाद वे अगले दिन यानि की 30 जुलाई को इंदौर भी जा रहे हैं, जहां पर वे करीब एक लाख कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उन्हें पार्टी की जीत के गुर बताएंगे। बेहद अहम बात यह है कि शाह इसी हफ्ते में दूसरी बार दो दिन के लिए फिर से आ रहे हैं। वे इसके पहले बुधवार शाम भी भोपाल आए थे। इस दौरान उनके द्वारा चुनावी तैयारियों को लेकर फीडबैक लिया जा चुका और साथ ही टिकट वितरण संकल्प यात्रा और खफा कार्यकर्ताओं को मनाने पर भी लंबा मंथन प्रदेश के शीर्ष नेताओं के साथ किया गया था। इस दौरान उनके द्वारा प्रदेश के नेताओं की लगाम भी कसी गई। अब वे 30 जुलाई को इंदौर में बूथ कार्यकर्ताओं से रूबरू होंगे। उनका मकसद कार्यकर्ताओं को संदेश देना है कि हम सिर्फ नेताओं के भरोसे नहीं हैं। चुनाव जिताने की असली ताकत कार्यकर्ता होते हैं। मध्यप्रदेश में मैदानी कार्यकर्ताओं का प्रदेश के बड़े नेताओं से नाराज होने का फीडबैक लगातार केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच रहा है। इसी के बाद दिल्ली के नेताओं ने प्रदेश में न केवल अपनी सक्रियता बढ़ाई है, बल्कि चुनाव की कमान भी अपने हाथों में ले ली है। दरअसल पार्टी हाईकमान से लेकर तमाम केन्द्रीय नेताओं को लगातार फीडबैक मिल रहा है कि प्रदेश में कार्यकर्ता सत्ता व संगठन के कामकाज से खुश नही है। इसके अलावा पार्टी के सामने सरकार को लेकर एंटी इनकमवेंसी दूर करने की भी बड़ी समस्या बनी हुई है। इन मामलों में केन्द्रीय नेता पहले ही सत्ता व संगठन को चेता चुके थे, लेकिन इसको लेकर प्रदेश स्तर पर कोई ठोस कदम ही नहीं उठा सका, लिहाजा चुनावी साल में यह मामले ङ्क्षचता की वजह बन चुके हैं।
आदिवासी सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन रहा था फीका
साल 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा को प्रदेश की कुल 47 आदिवासी सीटों में से महज 16 पर ही जीत मिल सकी थी। इसकी वजह से भाजपा को मध्य प्रदेश में 15 साल बाद विपक्ष में बैठना पड़ा था। आदिवासी बहुल इलाके में वैसे 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ था। जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं, वहां सिर्फ बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली। यह 2013 की तुलना में 18 सीट कम थीं। दरअसल प्रदेश में साल 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.53 करोड़ से अधिक थी। दस साल पहले मध्य प्रदेश के कुल 7.26 करोड़ निवासियों में से 21.08 आदिवासी थे। अगर बात वर्तमान समय की करें तो फिलहाल आदिवासी समुदाय की आबादी लगभग 1.75 करोड़ है, जो सूबे की कुल जनसंख्या का 22 प्रतिशत हैं। राजनीतिक जानकार कहते है कि राज्य की अन्य 35 विधानसभा सीटों पर आदिवासी मतदाता 50 हजार से अधिक हैं। यही वजह है कि इस चुनावी साल में राजनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री, अमित शाह सहित तमाम दिग्गज भाजपा नेता आदिवासी इलाकों में पब्लिक रैली कर चुके हैं।
अचानक दिल्ली गए सीएम शिवराज सिंह
बीती रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अचानक दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उनके साथ राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश भी दिल्ली गए हैं। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले से मुलाकात के लिए वे दिल्ली गए हैं। बताया जाता है कि सीएम चौहान दिल्ली में अमित शाह और संगठन के अन्य नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति को अंतिम रूप दिया जा सकता है। कुछ अन्य महत्वपूर्ण समितियों को लेकर भी शीर्ष नेता सीएम शिवराज सिंह से चर्चा कर सकते हैं।
नहीं चलेगी सिफारिश
शाह ने प्रदेश के नेताओं से साफ कहा कि हर हाल में पार्टी के नाराज नेताओं को मनाना ही होगा। उनकी नाराजगी दूर करने के साथ यह संदेश हर कार्यकर्ता और नेता तक पहुंचाना है कि एकजुट होकर लड़ने पर ही जीत मिलेगी। विधानसभा क्षेत्र में कामकाज के प्रदर्शन के आधार पर ही विधायकों को चुनावों में टिकट दिया जाएगा। सिफारिश के आधार पर नहीं परफॉर्मेंस के आधार पर टिकट दिया जाएगा।
विजयवर्गीय को ताकत दिखाने का मौका
प्रदेश की सत्ता से लगातार अनदेखी का शिकार बनते रहे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शाह के इंदौर प्रवास ने अपनी ताकत दिखाने का मौका दिया है। इसकी वजह है बूथ कार्यकर्ताओं का आयोजन इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक दो यानी कैलाश विजयवर्गीय के प्रभाव वाले क्षेत्र के कनकेश्वरी गरबा ग्राउंड पर होने जा रहा है। इसकी कमान खुद विजयवर्गीय ने संभाल रखी है। विजयवर्गीय इसी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। अभी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उनके समर्थक रमेश मेंदोला करते हैं। संभावना यह है कि विधानसभा चुनाव में यहां से कैलाश के बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिल सकता है, जो फिलहाल इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन से विधायक हैं 2018 के विधानसभा चुनाव में इंदौर -उज्जैन संभाग की आदिवासी सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन बहुत फीका रहा था।
कई वरिष्ठ नेताओं का है निगेटिव फीडबैक
भाजपा सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की सर्वे रिपोर्ट में कई वरिष्ठ नेताओं की स्थिति अच्छी नहीं बताई गई है। माना जा रहा है कि 29 जुलाई को अमित शाह के साथ बैठक में टिकट पर चर्चा होगी। जानकारों की माने तो कई ऐसे पुराने मंत्री और विधायक हैं, जिनकी परफॉर्मेंस उनके क्षेत्र में अच्छी नहीं है। ऐसी स्थिति में भाजपा चुनाव में टिकट काटने में कोई लापरवाही नहीं करेगी। भले की नाराजगी या फिर भितरघात की आशंका पैदा हो जाए। अमित शाह की मंशा है कि सभी 230 विधानसभा सीटों में भाजपा के किन नेताओं की क्या स्थिति है। इस मामले में प्रभारी भूपेंद्र यादव को सर्वे की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। इसमें कौन, कहां पर सक्रिय नहीं है और किन मौजूदा विधायकों को लेकर उनके क्षेत्र में नाराजगी है का पूरा आंकलन किया जा रहा है।