भोपाल/मंगल भारत। राजधानी के हबीबगंज स्टेशन से
संचालित तमाम वंदे भारत ट्रेनें रेलवे प्रशासन के लिए घोटे का सौदा साबित हो रही है। इसकी वजह है इन ट्रेनों को क्षमता के हिसाब से यात्री नहीं मिल पाना। इन ट्रेनों के संचालन को लेकर कई तरह की खमियां सामने आ रही हैं। दरअसल टाइमिंग से लेकर इसमें सफर का किराया बहुत अधिक है। इसकी वजह से यात्री इन ट्रेनों से दूरी बनाए हुए हैं। अगर भोपाल से इंदौर के बीच चलाई जा रही है सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की बात की जाए तो इसे 26 दिनों के सफर में महज 24 फीसदी ही यात्री मिल सके हैं। यानी की इस ट्रेन को अभी भी 76 फीसदी यात्रियों का इंतजार बना हुआ है।
कितने यात्रियों ने किया सफर
बीते 1 महीने में इंदौर से भोपाल के बीच 26 दिन वंदे भारत ट्रेन का आना जाना हुआ है। इतने दिनों में 3262 यात्रियों ने ही इस ट्रेन का सफर किया है। इसमें ऐसी चेयर कार में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 3037, तो एग्जीक्यूटिव कार में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या महज 225 है। ट्रेन की दोनों श्रेणियों में 530 सीट हैं। इस हिसाब से जितने यात्रियों को सफर करना था, उसका आधा प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ है। 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल की रानी कमलापति स्टेशन से इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर इंदौर के लिए रवाना किया था। 28 जून से इसका नियमित संचालन शुरू हुआ और तब से ही यात्रियों का टोटा देखा जा रहा है। इस ट्रेन में सफर करने के लिए यात्रियों को इंदौर से भोपाल के बीच सीसी श्रेणी के लिए 810 रुपए और ईसी श्रेणी के लिए 1510 रुपए चुकाने पड़ते हैं। इसमें नाश्ता भी उपलब्ध है।
यह है किराया
वहीं,भोपाल से इंदौर के बीच का किराया सीसी में 910 रुपए और ईसी में 1610 रुपए है। इसके साथ भोजन भी दिया जाता है। इतना ज्यादा किराया ही यात्रियों द्वारा इस ट्रेन से दूरी बनाए जाने की सबसे बड़ी वजह है। यह ट्रेन इंदौर से सुबह साढ़े छह बजे रवाना होती है और इसके ठीक 5 मिनट बाद इंटरसिटी चलती है, जिसका किराया सीसी में 365 और सामान्य में 100 रुपए होता है। यही वजह है यात्री वंदे भारत का सफर करना कम पसंद कर रहे है। वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रियों की कमी को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने रेलवे जोन को किराया कम करने के अधिकार दिए हुए हैं। इसमें रेलवे द्वारा किराए को लेकर समीक्षा की जा रही है। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि ट्रेन के किराए में 20 से 25 प्रतिशत की कटौती जल्द ही की जा सकती है।