अब चुनाव आयोग से तबादलों के लिए सरकार को लेनी होगी अनुमति.
मनीष द्विवेदी। मंगल भारत। राज्य सरकार व शासन को अब समय पर निर्णय नहीं लिया जाना भारी पडऩा तय है। इसकी वजह है निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में ही सरकार को पत्र लिखकर बता दिया गया था कि 30 जुलाई के बाद प्रदेश में तबादले नहीं किए जा सकेंगे। इसके बाद भी शासन व सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण पदों पर नवीन पदस्थापनाएं नहीं की जा सकी हैं। इसकी वजह से अब नई पदस्थापनाओं के लिए सरकार को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। उधर, चुनाव आयोग ने डिप्टी कलेक्टरों की भी सूची तलब कर ली है। दरअसल यही वो अधिकारी हैं, जिनकी चुनावी प्रक्रिया में बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। आयोग ने पत्र लिखकर सरकार से यह सूची तलब की है।
इस पत्र ने ही सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में भोपाल सहित कई जिलों में डिप्टी कलेक्टर के तबादलों से रिक्त हुए पदों पर नई पदस्थापना नहीं की गई है। इस स्थिति की वजह से सरकार अब तक मांगी गई डिप्टी कलेक्टरों की सूची आयोग नहीं सौंप सकी है। यह सूची आयोग ने आज 31 जुलाई तक सौंपने को कहा था। ऐसे में अब आज का ही दिन शेष रह गया है। माना जा रहा है कि इस मामले में असहज स्थिति से बचने के लिए सरकार अब हर हाल में आज की तारीख में डिप्टी कलेक्टरों की एक नई तबादला सूची जारी कर सकती है। इधर, आयोग द्वारा 2 अगस्त से मतदाता सूची का द्वितीय विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरु किया जाना है। यह 31 अगस्त तक चलेगा। गौरतलब है कि तीन माह बाद नंवबर में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही वजह है कि आयोग भी अपने स्तर पर चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने में तेजी से लगा हुआ है। चुनाव आयोग द्वारा सरकार से प्रभारी डिप्टी कलेक्टरों की सूची मांगी जाने की वजह है , उन्हें ही दो अगस्त से शुरू हो रहे मतदाता सूची का द्वितीय विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रीकरण अधिकारी बनया जाना है। रजिस्ट्रीकरण अधिकारी प्रत्येक विधानसभा के लिए बनाए जाते हैं। एक बार जिस अफसर को आयोग द्वारा रजिस्ट्रीकरण अधिकारी बना दिया जाएगा, फिर उसका तबादला नहीं किया जा सकता है। नाम घोषित किए जाने के बाद इन्हें बदला नहीं जा सकेगा। उधर, कई जिलों में सरकार ने तहसीलदारों को प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बनाकर पदस्थ कर दिया है। इनमें कई जिलों में तो सभी डिप्टी कलेक्टरों के पद प्रभारियों के जिम्मे कर दिए गए हैं। इसका उदाहरण छतरपुर जिला है। इस जिले में छह सर्किल हैं, सभी में प्रभारी डिप्टी कलेक्टर पदस्थ कर दिए गए हैं , तो कई जिलों में रिक्त डिप्टी कलेक्टरों के पदों पर पदस्थापना ही नहीं की गई है।
29 दिनों तक चलेगा नाम जोडऩे व काटने का काम
प्रदेश भर में दो अगस्त से 31 अगस्त तक मतदाता सूची में नए नाम जोडऩे, वोटर लिस्ट में संशोधन, मृत मतदाता और दोहरी प्रवृष्टि वाले मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन लिए जाएंगे। 31 अगस्त तक प्राप्त आवेदनों का निराकरण 22 सितम्बर तक किया जाएगा। सभी काम निपटने के बाद आयोग चार अक्टूबर को फाइनल वोटरों लिस्ट जारी करेगा।
आज निकलेंगी तबादलों की थोक में सूचियां
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार 31 जुलाई तक जिलों में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके राजस्व एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को जिले से बाहर तबादला किया जाना है। आज सोमवार 31 जुलाई को तबादलों का अंतिम दिन होने की वजह से माना जा रहा है कि,देर रात तक इन दोनों ही विभागों के अलावा कई अन्य विभागों द्वारा थोक में ताबदला आदेश जारी किए जाएंगे। उधर, आज ही मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना को चुनाव आयोग को शपथ पत्र देना होगा कि आयोग के निर्देशानुसार सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है। इसके बाद यदि कोई अधिकारी ऐसा पाया जाता है जिसे तीन साल एक स्थान पर पदस्थ रहते हुए हो गए हैं और उसे नहीं हटाया गया है, तो आयोग अपने स्तर से उस पर कार्रवाई करेगा। 15वीं विधानसभा का कार्यकाल छह जनवरी 2024 को पूरा हो रहा है। इसके पूर्व चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अगर जरुरी होने पर तबादला करना पड़े, तो उसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेना जरुरी होगा। इसी तरह से आयोग के निर्देश हैं कि चुनाव आयोग ने जिन अधिकारियों को दंडित किया है या फिर जांच करने के निर्देश दिए थे, उन्हें चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाए। जिन अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन्हें भी चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा जाएगा।
हर हाल में आज देनी होगी आमद
निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य शासन ने जिलों में तीन साल की अवधि से एक ही स्थान पर तैनात अफसरों के बीते तीन दिनों में थोकबंद तबादले किए हैं। अब इन अफसरों से हर हाल में आज शाम तक आमद देने को कहा गया है। यही वजह है कि जिलों से इन्हें तबादला आदेश जारी होते ही एक तरफा रिलीव कर दिया गया है। इसकी वजह से इन अफसरों को अब अपना सामान तक ले जाने का समय नहीं दिया गया है। यह तबादले ऐसे समय किए गए हैं, जब नया शिक्षण सत्र शुरु हो चुका है, ऐसे में अफसरों के सामने बच्चों का शैक्षणिक संस्थानों में नए सिरे से प्रवेश कराने का संकट भी बन गया है। दरअसल सरकार चाहती तो इनके तबादले बीते दो माह पहले ही कर सकती थी।