भोपल।मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। प्रदेश में तीन माह बाद
होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के साथ ही कांग्रेस के प्रभाव वाली सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने नई रणनीति बनाई है। इसके तहत कांग्रेस के मजबूत गढ़ बन चुकी सीटों पर उसके आसपास के लगातार जीत दर्ज करने वाले नेताओं को उतारने की रणनीति तैयार की जा रही है। लगातार हार रही सीटों को भाजपा ने आंकाक्षी नाम दिया है। इन सीटों पर जीत के लिए भाजपा के रणनीतिकार लगातार मंथन कर रहे हैं। इस मंथन में विचार किया जा रहा है कि पार्टी लगातार हार रही सीटों के पड़ौसी सीट के उस भाजपा नेता को उतारा जाए, जो लगातार जीत रहा है। पार्टी का मानना है यह नेता अपने चुनावी प्रबंधन के कौशल से लगातार हारी हुई सीटों को जीत सकते हैं।
पार्टी का मानना है कि इस प्रयोग से न केवल उस नेता के जरिए उसकी जीती हुई स्थाई सीट पर कब्जा बना रहेगा , बल्कि उसी नेता के चुनावी प्रबंधन के बल पर हारी हुई विधानसभा सीट पर भी भाजपा का कब्जा हो जाएगा। इस प्रयोग की एक और वजह बताई जा रही है कि अगर जीत मिलती है तो ठीक है , नहीं तो अगली बार हारने वाले नेता का टिकट काटने की जरुरत नहीं रह जाएगी। इस बहाने लगातार जीतने वाले नेताओं की सीट पर नया चेहरा उतारने का भी मौका मिल जाएगा। यह बात अलग है कि लगातार जीतने वाले नेता इस सूचना के बाद हतप्रभ हैं। एक ही सीट पर लगातार जीत दर्ज करते आ रहे नेता अपने मजबूत गढ़ को छोडऩा नहीं चाहते हैं। भाजपा के रणनीतिकारों ने ऐसे एक दर्जन नामों की सूची तैयार की है। संगठन की मंशा है कि इन मजबूत सीटों के नेताओं को मुश्किल सीटों पर उतारा जाए और उनकी सुरक्षित सीटों पर नए चेहरों को मौका देकर नई लाइन तैयार कर ली जाए।
जिन नेताओं को दूसरी सीटों पर लड़ाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है उनमें सर्वाधिक नाम मालावा निमाड़ इलाके के हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इंदौर में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 और 4 नंबर भाजपा के लिए सर्वाधिक सुरक्षित सीट है। इन सीटों पर पार्टी नेता भारी मतों से जीत दर्ज करते आ रहे हैं। इन दोनों सीटों से रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। इन दोनों ही नेताओं को दूसरी विधान सभी सीट पर चुनाव लड़ाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इनके द्वारा अपनी-अपनी सीट पर बड़ी और मजबूत टीम खड़ी कर ली गई है। इसी तरह से तीसरा नाम मंत्री ऊषा ठाकुर का है। उन्हें हर बार लगभग नई सीट पर उतार जाता है , इसके बाद भी वे लगातार जीत दर्ज कर लेती हैं। इस वजह से उन्हें भी इस बार नई हारी हुई सीट पर उतारा जा सकता है। इसी अंचल से एक और नाम पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह नाम है वन मंत्री विजय शाह का। वे अब तक खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट पर लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। उनका आसपास की विधानसभा सीटों पर भी प्रभाव माना जाता है। इसी वजह से माना जा रहा है कि इस बार पार्टी उन्हें टिमरनी सीट पर भेज सकती है। इसकेे एवज में उन्हें अपनी सीट से किसी समर्थक को विजय दिलाने का जिम्मा दिया जा सकता है। यह बात अलग है कि शाह अपने बेटे को भी सियासत में आगे बढ़ाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। अगर धार जिले की बात की जाए तो, धार शहरी एवं बदनावर की सामान्य सीट पर एक ही चेहरे लगातार जीत रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार रणनीति के तहत पार्टी वर्तमान विधायक नीना वर्मा को किसी कठिन सीट पर उतार सकती है। ऐसा होने पर पार्टी को विक्रम वर्मा की राजनीतिक सक्रियता एवं संगठन कौशल का लाभ तों मिलेगा ही , साथ ही धार में अन्य प्रत्याशी को मौका देकर बार-बार एक ही चेहरे की वजह से उठने वाले विरोध को भी शांत किया जा सकता है। अगर बात बदनावर सीट की करें तो, यहां से अभी मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव विधायक हैं। वे पूर्व में कांग्रेस से और अब दलबदल के बाद उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में जीत दर्ज कर चुके हैं। ऐसे में प्रयोग के तौर पर दत्तीगांव को अन्य सीट पर भेजा जा सकता है। इसी अंचल से आने वाली पार्टी की बड़ी महिला आदिवासी चेहरा रंजना बघेल भले ही बीता चुनाव मनावर से हार चुकी हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार पार्टी उनकी जीत तय करने के लिए किसी दूसरी सीट से उतार सकती है। पार्टी उन्हें गंधवानी सीट से कांग्रेस के बड़े चेहरे उमंग सिंगार के खिलाफ उतार सकती है। ऐसा कर भाजपा पूरा राजनीतिक समीकरण बदलना चाहती है। इसी तरह से लगातार तीन बार से जावरा सीट पर जीत दर्ज कर रहे राजेन्द्र पांडे को बडऩगर सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। उनकी जगह पार्टी जावरा सीट पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा के भाई और श्रीमंत समर्थक केके कालूखेड़ा को प्रत्याशी बना सकती है।
पटवारी के सामने मेंदोला हो सकते हैं उम्मीदवार
भाजपा का प्रदेश संगठन मानकर चल रहा है कि रमेश मेंदोला को इंदौर जिले की किसी भी कठिन सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। वे कहीं से भी जीत सकते हैं। जिले की विधानसभा 1, 5 और राऊ सीट पार्टी के लिए कठिन मानी जा रही है। इनमें से किसी एक सीट पर मेंदोला को भेजा जा सकता है। माना जा रहा है कि इस बार पार्टी मेंदोला को राऊ भेज सकती है। इस सीट से कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी विधायक हैं। इसी तरह से रतलाम से विधायक चेतन कश्यप को जावद या फिर मनासा सीट पर भेजने के लिए मंथन किया जा रहा है। उधर, उज्जैन से मंत्री डॉ. मोहन यादव एवं पूर्व मंत्री पारस जैन को लेकर भी विचार मंथन चल रहा है। उनकी भी सीट बदली जा सकती हैं।
ऊषा बन चुकी हैं जिताऊ चेहरा
भाजपा की हिन्दुवादी महिला नेत्री और वर्तमान मंत्री ऊषा ठाकुर पार्टी में जिताऊ चेहरा बन चुकी हैं। यही वजह है कि उन्हें एक बार फिर से किसी कांग्रेसी गढ़ में उतारने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसकी वजह है, सुश्री ठाकुर को पहली बार पार्टी ने इंदौर के विस-1 से कांग्रेस के रामलाल यादव मल्लू मैया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था। उस समय तक इसे कांग्रेस के मजबूत सीटों में गिना जाता था। इसके बाद उन्हें कांग्रेस के गढ़ विधानसभा- 3 में भेजा गया। वहां पर भी वे जीत दर्ज करने में सफल रहीं। इसके बाद एक बार फिर से उनकी सीट बदलकर उन्हें महू भेज दिया गया। वहां पर भी कांग्रेस प्रत्याशी को हराने में वे सफल रह चुकी हैं।
किस नेता को कहां भेजा जा सकता
अगर पार्टी एक बार फिर से मालिनी गौड़ को पुन: टिकट देती है तो उन्हें किसी अन्य चुनौतीपूर्ण सीट पर भेजा जा सकता है। इसमें भी माना जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के सामने उतारा जा सकता है। इसकी वजह है वे महापौर भी रह चुकी है, जिसकी वजह से उनका पूरे शहर में प्रभाव भी है। बरसों से यह परिवार सियासत कर रहा है। उनके पुत्र एकलव्य गौड़ भी लंबे समय से सक्रिय हैं, जिसकी वजह से उनके पास युवाओं की भी टीम है। इसी तरह से नीमच जिले के जावद से विधायक ओमप्रकाश सकलेचा अभी मंत्री हैं। वे भी लगातार चुुनाव जीत रहे हैं। ऐसे में उन्हें मनासा या रतलाम से मैदान में उतारकर कांग्रेस के सामने चुनौती खड़ी की जा सकती है।