राज्य से लेकर केन्द्रीय कमेटियों में दिया जा रहा है दायित्व.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। भाजपा की तर्ज पर अब मप्र में कांग्रेस पीढ़ी परिवर्तन करने की राह पर चल निकली है। यही वजह है कि अब प्रदेश संगठन के कार्यक्रमों के साथ ही चुनाव की तैयारी में भी युवाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी के लिए युवाओं को लगातार दायित्व सौंपे जा रहे हैं। इसके साथ ही माना जा रहा है कि अब कांग्रेस भी प्रदेश में अच्छे नेताओं की दूसरी पीढ़ी तैयार करने की ओर आगे बढ़ रही हैॅ। इसकी बड़ी झलक हाल ही में घोषित की गई चुनाव संबंधी दो समितियों में साफ-साफ देखी जा सकती है। खास बात यह है कि इन समितियों में किसी एक क्षेत्र की जगह सभी क्षेत्रों से युवाओं को शामिल कर उन्हें आगे लाने का प्रयास किया गया है। दरअसल अब तक प्रदेश में जो भी पार्टी के बड़े नेता हैं, वे सभी अपनी आयु के साठ साल पूरे कर चुके हैं। ऐसे में पार्टी को ऊर्जावान नए नेताओं की आवश्यकता बीते कई सालों से महसूस की जा रही थी। इसी कमी को पूरा करने के लिए अब कमलनाथ के नेतृत्व में नए चेहरों को पार्टी के कामों में लगाने में प्राथमिकता दी जा रही है। गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का दौर बीते तीन सालों से चल रहा है, जिसकी वजह से संगठन में नए चेहरों को काम करने का अधिक मौका दिया जा रहा है।
इन्हें संगठन में दी जिम्मेदारी
गंधवानी से विधायक उमंग सिंघार को पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही जिम्मेदारी दे चुकी है। इसी तरह से पार्टी में आदिवासी नेतृत्व की कमी को पूरा करने के लिए डॉ. विक्रांत भूरिया और रामू टेकाम को आगे लाने का काम किया जा रहा है। इन दोनों ही युवाओं द्वारा इन दिनों प्रदेश में आदिवासी स्वाभिमान यात्रा निकाली जा रही है। इसी तरह से पहले ओमकार सिंह मरकाम को आदिवासी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि प्रदेश में पार्टी की सरकार के समय हिना कांवरे को विधानसभा उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। खास बात यह है कि यह सभी अभी युवा हैं।
पीढ़ी परिवर्तन समय की मांग
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि पीढ़ी परिवर्तन और सोशल इंजीनियरिंग समय की मांग है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ इसकी सार्थकता को समझते हुए निर्णय ले रहे हैं। हमारी कथनी और करनी में अंतर नहीं है। हमें अपने नेताओं में से ही नई पीढ़ी का चयन करना है, जबकि भाजपा आयतित नेताओं के भरोसे है। उधर, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस में वंशवाद के आधार पर पीढ़ी परिवर्तन होता है। बेटा, बेटी, बहू, भाई, भतीजा को आगे किया जाता है। भाजपा नेता नहीं कार्यकर्ता आधारित संगठन है। स्वाभाविक रूप से पीढ़ी परिवर्तन होता है। अलग-अलग दौर में इस प्रकार की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से चलती रहती है।
केन्द्रीय नेतृत्व भी तैयार
कमलनाथ की तरह ही पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व भी पीढ़ी परिवर्तन करना चाहता है। यही वजह है कि हाल ही में घोषित चुनावी राज्यों के पर्यवेक्षकों की सूची में भी अनुभवी नेताओं के साथ युवाओं को भी मौका दिया गया है। यही वजह है कि इसमें मीनाक्षी नटराजन जैसे नेताओं को जगह दी गई है।
कमलनाथ ने भी ऐसा किया था
करीब डेढ़ दशक बाद प्रदेश में 2018 में जब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब भी कमलनाथ द्वारा अपने मंत्रिमंडल में अधिकांश युवा विधायकों को ही शामिल किया गया था। सत्ता जाने के बाद से संगठन में उनके द्वारा युवाओं को लगातार आगे किया जा रहा है। इसी तरह से हाल ही में मिशन 2023 के तहत प्रदेश के 16 नेताओं के नेतृत्व में यात्रा निकाली गई तो उसमें भी युवाओं को ही नेतृत्व करने का मौका दिया गया है।
समितियों में इन युवाओं को मौका
हाल ही में घोषित की गई चुनाव अभियान और चुनाव प्रचार समिति में पार्टी की ओर से जीतू पटवारी, तरुण भनोत, कमलेश्वर पटेल, ओमकार सिंह मरकाम, हिना कांवरे, सुरेंद्र सिंह बघेल, सुखदेव पांसे जैसे युवा नेताओं को रखा गया है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में पार्टी द्वारा नया नेतृत्व तैयार किया जा रहा है। इसके पहले मंत्रिमंडल में शामिल युवा नेताओं को बढ़े और महत्वपूर्ण जिलों का भी प्रभार दिया गया था। उस समय जयवर्धन सिंह जैसे युवा मंत्री को इंदौर और उज्जैन जैसे महत्वपूर्ण जिलों का प्रभार दिया गया था।