कमलेश्वर के प्रोजेक्शन से कांग्रेसी सकते में

भोपाल।मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। प्रदेश में सबसे बड़ा वोट


बैंक पिछड़ा वर्ग का है। यही वजह है कि दोनों प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा व कांग्रेस के अलावा सभी राजनैतिक दलों का फोकस इसी वर्ग पर बना हुआ है। इस वर्ग का महत्व समझते हुए ही कांग्रेस को प्रदेश में इस वर्ग के ऐसे चेहरे की तलाश बनी हुई थी, जिसकी समाज पर मजबूत पकड़ हो, जो अब जाकर पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल पर जाकर समाप्त हो गई है।
यही वजह है कि कमलनाथ द्वारा उन्हें लगातार प्रोजेक्शन किया जा रहा है, जिससे कांग्रेसी सकते में बने हुए हैं कि आखिर कमलेश्वर में ऐसा क्या है जो उन्हें अन्य नेताओं की तुलना में सर्वाधिक महत्व दिया जा रहा है। गौरतलब है कि पार्टी में अभी इस वर्ग का उनसे बड़ा चेहरा कांग्रेस के पास अरुण यादव का है , लेकिन पार्टी में उन्हें कम ही महत्व मिल पा रहा है। इसकी वजह है पार्टी में व्याप्त गुटबाजी। अगर पटेल और यादव की तुलना की जाए तो, पटेल का प्रभाव न केवल अपनी जाति पर है , बल्कि वे अपने गृह अंचल मालवा -निमाड़ में भी अन्य नेताओं की तुलना में भी अधिक पकड़ रखते हैं। इसके बाद भी पार्टी में पटेल को आगे बढ़ाकर प्रदेश में कांग्रेस पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का नया नेतृत्व तैयार करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैंं। शायद यही वजह है कि विंध्य अंचल की सिहावल सीट से विधायक कमलेश्वर पटेल को तेजी से आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों के तहत ही उन्हें पार्टी ने पहले उन 16 नेताओं में शामिल किया , जिन्हें अलग-अलग जिलों में परिवर्तन यात्रा निकालने का दायित्व दिया गया था। इसके बाद अब पार्टी ने उन्हें चुनाव के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाने वाली चुनाव अभियान, चुनाव और छानबीन समिति का सदस्य बनाकर महत्व दिया गया है। अगर पार्टी के नेताओं की माने तो प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के बड़े वोट बैंक को देखते हुए कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।
इसके तहत ही पार्टी ने पूर्व में राजमणि पटेल को राज्यसभा भेजा था। दरअसल राजमणि पटेल भी विंध्य अंचल से आते हैं। यह वो इलाका है जहां इन दोनों ही नेताओं के समाज का बोलबाला है। इस वर्ग का अधिकांश मतदाता चुनावों में बसपा के साथ खड़ा नजर आता है। इस कदम को कांग्रेस के साथ जोड़ने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। फिलहाल यह दोनों नेता तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कितना असर डाल पाते हैं, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा। दरअसल विंध्य अंचल में पूरी राजनीति ठाकुर , कुर्मी और ब्राह्म्णों के आसपास ही रहती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि पार्टी के ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरे रामनिवास रावत की पूरी तरह से अनदेखी की गई है।
कांग्रेस कर रही लगातार प्रयास
कांग्रेस द्वारा बीते साल हुए नगरीय निकाय चुनाव के समय ओबीसी आरक्षण का मामला पूरी ताकत के साथ उठाया गया था। इस मामले को उठाने के लिए पार्टी की तरफ से कमलेश्वर पटेल को ही कमान दी गई थी। इसके अलावा कमलनाथ ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को पार्टी के पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष बनाकर विंध्य अंचल का साधने के लिए एक और कदम उठाया हुआ है। दरअसल यही वो अंचल है, जहां पर बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा था। इस तरह से इस अंचल को भी साधने का प्रयास किया गया है। इस अंचल में बीते चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव हार गए थे, जिसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया के अलावा पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह जैसे चेहरे भी शामिल हैं।
अरुण यादव को भी जिम्मेदारी
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर और सागर तो पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को सतना, पन्ना, दमोह और रायसेन जिले में परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी दी गई। इन जिलों में पिछड़ा वर्ग की संख्या चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाली है। इन क्षेत्रों में पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं मिली थी। इसके ही मद्देनजर कमलेश्वर पटेल को महत्व देते हुए उन्हें चुनाव के पहले विंध्य के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों का भी दौरा करने को कहा गया है।