अफसरों व नेताओं को स्मृति विश्राम की बीमारी

एडॉप्ट एन आंगनबाड़ी अभियान पड़ा ठप.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। बीते साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरु किया गया एडॉप्ट एन आंगनबाड़ी अभियान अब प्रदेश में पूरी तरह से ठप हो गया है। इस अभियान में अफसरों व नेताओं को सक्रिय भागीदारी निभानी थी। अभियान शुरु होने के बाद इन दोनों ही वर्गों के लोगों ने न केवल जमकर इसका प्रचार किया था, बल्कि कुछ हद तक सक्रियता भी दिखानी शुरु की थी, लेकिन समय के साथ इस मामले में वे स्मृति विश्राम की बीमारी का शिकार हो गए। यह अकेला पहला मामला नही है, जिसमें अफसर व नेता इस तरह की बीमारी का शिकार हुए है, बल्कि ऐसे दर्जनों मामले हैं। अभियान शुरु हुआ तो दावा किया गया कि प्रदेश की सभी मौजूदा 98 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया गया है। इस अभियान की शुरुआत स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। इसके बाद भी हमारे प्रदेश के माननीयों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली, जिसकी वजह से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाने में किसी भी विधायक का नाम तक सामने नहीं आया।
इस अभियान में जिन आधा दर्जन मंत्रियों ने सहयोग राशि दी गई थी, लेकिन इसके बाद से उनके द्वारा भी फॉलोअप तक नहीं किया जा रहा है। उधर इस मामले को लेकर विभाग के अफसरों का तर्क है कि, लाड़ली बहना योजना पर पूरा ध्यान केन्द्रित किए जाने की वजह से दूसरे अभियानों के तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल 24 मई को भोपाल में जन समुदाय से खिलौने जोडक़र आंगनबाड़ी केंद्रों के कायाकल्प करने का अभियान शुरु किया गया था। इस अभियान के तहत मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष सहित दो मंत्री, चार सांसद सहित 17 हजार जनप्रतिनिधियों ने केंद्र गोद लिए थे। 26 हजार से अधिक कर्मचारी और अधिकारी भी आगे आए थे। 1 लाख 9 हजार से अधिक लोगों के माध्यम से कुल 26 करोड़ से अधिक की राशि भी उस समय एकत्रित हुई थी।
दो संस्थाओं ने दी थी बड़ी मदद
इस अभियान के शुरु होने के बाद जब मुख्यमंत्री ने समीक्षा की थी तब पता चला था कि, सहयोग करने वालों में सबसे आगे नादर्न कोलफील्ड लिमिटेड ने 3.5 करोड़ में 25 आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण कराने का भरोसा दिया था, जबकि एनपीआईसीएल जबलपुर ने 35.70 लाख की सहायता की थी।
इन कामों में की जानी थी मदद
– अधोसंरचना मूलक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग
– बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति
– स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं में सहयोग
– निगरानी हेतु पोर्टल एवं मोबाइल ऐप
हाल बेहाल है आंगवबाड़ी केन्द्रों के
मप्र में सर्वाधिक आंगनबाड़ी धार जिले में हैं। कई जगह पीने के पानी, लाइट, टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं है। पोषण आहार की स्थिति भी कई जिलों में बहुत बेहतर है, तो कई जिलों में खराब भी हैं। सरकार बजट खर्च करती ह,ै लेकिन कुछ जगह उसकी मॉनिटरिंग बेहतर न होने से अच्छे नतीजे नहीं मिलते हैं। 2019-20 में सरकार ने 94 करोड़ के खिलौने खरीदे थे, ये जानकारी विधानसभा में ख़ुद महिला एवं बाल विकास के मंत्री बतौर ख़ुद शिवराज सिंह चौहान ने दी थी। शिवराज जानते हैं कि सिर्फ सरकार के मुख्यालय वल्लभ भवन से निकले आदेश और निर्देश से इन समस्याओं से निपटा नहीं जा सकता, लिहाजा उन्होंने इसे जनआन्दोलन बनाने का निर्णय लिया था। जब मुखिया खुद सडक़ पर हाथ ठेला लेकर निकलेगा तो जाहिर है कि जिले या मंडल का भाजपा नेता भी चाहेगा कि शिवराज जी की नजरों में आए। लिहाजा वे भी इस मामले में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेने लगे थे।
यह कहा था मुख्यमंत्री ने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 फरवरी को सीहोर में आयोजित पोषण अभियान में वर्चुअली जुडक़र प्रदेश के लोगों को संबोधित किया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा था मध्य प्रदेश को कुपोषण मुक्त करना है। उनके द्वारा इस दौरान मंत्रियों, विधायकों और अफसरों से एक-एक आंगनबाड़ी केंद्र गोद लेने की अपील की गई थी। मुख्यमंत्री ने खुद बुधनी विधानसभा के माथार के एक आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लिया था। उनके इस कदम के बाद जिलेभर में विधायकों और जनप्रतिनिधियों ने एक-एक आंगनबाडिय़ों को गोद लिया था, लेकिन इन लोगों ने जिन आगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया था, इतना समय गुजर जाने के बाद भी वहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा है। कुछ लोगों ने आंगनबाडिय़ों गोद लेकर बच्चों के लिए कुर्सी, खिलौने और कपड़े भी वितरित जरूर किए थे। इसके बाद से उनके द्वारा पलट कर नहीं देखा गया है।