सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर… सरकार का सबसे अधिक फोकस

‘राहत’ से मुस्कुराया आम आदमी
22 हजार करोड़ रुपये सालाना सरकार बिजली कंपनियों को अनुदान दे रही है.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर अधिक फोकस किया है। चुनावी साल में तो सरकार सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर जमकर खर्चा कर रही है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मिल रही राहत से मप्र का आम आदमी मुस्कुरा रहा है। यानी सरकार की सामाजिक योजनाओं का लाभ प्रदेश की अधिकांश आबादी को मिल रहा है। हालांकि सरकार को अपनी सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन पर 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शुरू से कोशिश रही है कि आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं पर अधिक फोकस किया जाए। इसलिए मप्र देश का पहला राज्य है जहां सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं की भरमार है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा सरकार इन दिनों सामाजिक क्षेत्रों से जुड़ी योजनाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। वर्ष 2018 के चुनाव में सत्ता के आंकड़ों के नजदीक पहुंचकर भी विपक्ष में बैठी भाजपा इस वर्ष होने वाले चुनाव को जीतने के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर पैसा बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। लाड़ली बहना योजना, किसानों की ब्याज माफी, मेधावी छात्रों को लैपटॉप, स्कूटी वितरण जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को पूरा करने पर भाजपा सरकार 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। सडक़, पुल-पुलिया, बांध निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों को गति देने के लिए स्वयं के राजस्व में तो वृद्धि के प्रयास किए ही जा रहे हैं, वित्तीय प्रबंधन पर भी जोर दिया जा रहा है। वहीं, आर्थिक गतिविधियों और विकास कार्यों को गति देने के लिए ऋण भी लिया जा रहा है। आने वाले दिनों में दस हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया जाएगा। प्रदेश के ऊपर अभी तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपये का ऋण है।
चुनाव से पहले सरकार ने उठाए कई कदम
मध्य प्रदेश सरकार पूंजीगत व्यय बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है। विभिन्न समाजों के उत्थान और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चुनाव के पहले कई कदम उठाए हैं। विभिन्न समाजों के बोर्ड गठित करने के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं लागू की गई हैं तो मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के माध्यम से बड़े वर्ग को छुआ है। एक करोड़ 25 लाख विवाहित महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। योजना के दायरे में विस्तार करते हुए अब 21 और 22 वर्ष की विवाहित महिलाओं के भी पंजीयन किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री इसे मुफ्त बांटने के स्थान पर महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण का माध्यम बताते हैं। यह राशि धीरे-धीरे बढ़ाकर तीन हजार रुपये तक ले जाने की घोषणा की गई है। रक्षाबंधन से पहले 27 अगस्त को होने वाले लाड़ली बहना संवाद में इस राशि में वृद्धि की घोषणा भी की जा सकती है। सहकारी समितियों से ऋण लेकर समय पर नहीं चुकाने के कारण अपात्र हुए किसानों के ऊपर से ब्याज की गठरी उतारने ब्याज माफी योजना लाई गई है। इसमें 11 लाख 91 हजार किसानों को लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये का ब्याज माफ किया जाएगा। अब तक साढ़े नौ लाख किसानों का एक हजार 700 करोड़ रुपये ब्याज माफ किया जा चुका है। दस हजार करोड़ रुपये का ऋण बिना ब्याज के देने की व्यवस्था रखी गई है। इतना ही नहीं मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए मेधावी छात्रों को लेपटाप और स्कूटी देने की योजना भी संचालित की जा रही है। अब कॉलेज जाने वाली लाड़ली लक्ष्मी को प्रथम वर्ष में साढ़े 12 हजार और अंतिम वर्ष में साढ़े 12 हजार रुपये देने का प्रविधान भी किया गया है। महिला स्व-सहायता समूहों की 35 लाख बहनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बैंकों से ऋण दिलाने और ब्याज अनुदान देने के साथ कई और कदम भी उठाए जा रहे हैं। इसके बाद भी घोषणाएं अभी थमी नहीं हैं और प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू होने तक थमनी भी नहीं है।
मप्र की वित्तीय स्थिति अच्छी
एक तरफ सरकार सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, वहीं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि मप्र की वित्तीय स्थिति अच्छी है। हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। प्रति व्यक्ति आय एक लाख 40 हजार रुपये से अधिक हो चुकी है। राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रविधान अनुसार की ऋण लिया गया है। प्रदेश सरकार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। आधा प्रतिशत ऋण विद्युत क्षेत्र में कुछ सुधारों के साथ लिया जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2023- 24 में अभी तक छह हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया है।इस वर्ष सरकार 45 हजार करोड़ रुपये तक ऋण ले सकती है।
लोकलुभावन योजनाओं पर अधिक खर्च
लोकलुभावन योजनाओं को संचालित करने में मप्र भी पीछे नहीं है। किसान, अनुसूचित जाति एवं जनजाति सहित अन्य वर्गों को साधने के लिए बजट का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा अनुदान में जा रहा है। बिजली अनुदान, बिजली बिल माफ, डिफाल्टर किसानों की ब्याज माफी, पांच करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं को एक किलोग्राम की दर से गेहूं और चावल देने के लिए सालाना करोड़ों रुपए व्यय किए जा रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी, तीर्थदर्शन, कन्यादान, सहरिया, भारिया और बैगा जनजातीय परिवारों को विशेष पोषण भत्ता सहित अन्य योजनाएं संचालित हैं। सरकार सोशल इंजीनियरिंग के तहत सभी वर्गों को साधने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। सबसे बड़ा खर्च बिजली पर दिए जाने वाले अनुदान है। डेढ़ सौ यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं से मात्र एक रुपये यूनिट की दर से बिल लिया जा रहा है, जबकि इसकी लागत कहीं अधिक होती है। 22 हजार करोड़ रुपये सालाना सरकार बिजली कंपनियों को अनुदान की राशि देती है। कोरोना काल में उपभोक्ता बिल जमा नहीं कर पाए तो समाधान योजना लागू करके सरचार्ज पूरा माफ कर दिया। इसके बाद भी वसूली नहीं हुई तो सरकार ने छह हजार करोड़ रुपये का बकाया बिल ही माफ कर दिया।
800 करोड़ ब्याज भी हर साल भर रही सरकार
किसानों को साधने के लिए ब्याज रहित ऋण दिया जा रहा है। इसकी प्रतिपूर्ति सहकारी बैंकों को ब्याज अनुदान के रूप में करनी होती है। इस पर प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। हालांकि, इस वर्ष दर में कमी करने से यह राशि छह सौ करोड़ रुपये के आसपास रहने की संभावना है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना लागू की गई है। इसके लिए 600 करोड़ रुपये का प्रविधान रखा है। इसी तरह शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी लाड़ली लक्ष्मी योजना में 922 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। अब सरकार योजना का दूसरा चरण लागू करने जा रही है। सहरिया, भारिया और बैगा जनजाति की महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह विशेष पोषण भत्ता, मुख्यमंत्री कन्या विवाह में प्रति हितग्राही 55 हजार रुपये देने का प्रावधान रखा है। इसी तरह कई अन्य योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं। इन सभी योजनाओं के खर्च को देखता तो यह कुल बजट का दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये का लगभग 25 प्रतिशत होता है।