भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। बीते एक पखवाड़े से मप्र देशभर में अपनी उपलब्धियों के लिए चर्चित बना हुआ है। पहले गरीबी के मामले में कमी आने के मामले में और अब ग्रामीण विकास के मामले में प्रदेश ने पहला स्थान प्राप्त किया है। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले में अब तक जो दस राज्य पहले दस स्थानों पर चल रहे थे, उन्हें भी मप्र ने पीछे छोड़ दिया है। दरअसल हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के क्रियान्वयन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें मप्र को पहला स्थान प्रदान किया गया है। इसमें बताया गया है कि मप्र में सर्वाधिक साढ़े चार हजार करोड़ रुपए के विकास के कामों को पूरा किया गया है। इस मामले में महाराष्ट्र को दसवां स्थान दिया गया है। वहां पर महज साढ़े चार सौ काम पूरे हुए हैं। इस योजना में उन गांवों को चयन किया गया था, जहां पर अनुसूचित जाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत या उससे अधिक है। इसकी वजह से प्रदेश के चयनित हर गांव के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 20 लाख रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा भी इन 1074 ग्रामों के विकास के लिए 210 करोड़ 90 लाख रुपए दिए गए हैं। इस राशि से अब तक 4500 विकास कार्य कराए जा चुके हैं , जबकि करीब तीन हजार काम अभी जारी हैं।
इस तरह के कराए जाते हैं काम
इस योजना में गांवों के लोगों को विभिन्न विकास विभागों की योजनाओं का लाभ दिलाना। जैसे स्कूल जाने योग्य बच्चों का प्रवेश शालाओं में कराना। सभी बच्चों का टीकाकरण कराना। वृद्धावस्था एवं दिव्यांग जन पेंशन के लिए सभी पात्रों के बैंक खाते खुलवाना, आधार कार्ड बनवाना आदि। इसके अलावा पेयजल एवं सफाई व्यवस्था, ठोस एवं तरल कचरे के निराकरण, आंगनवाडिय़ों में शौचालयों का निर्माण, आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण, बारहमासी सडक़ों का निर्माण, सोलर लाईट एवं स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था करने जैसे कार्य किये जा रहे हैं।
अजा बहुल ग्रामों का होना है समग्र विकास
इस योजना का उद्देश्य ही अनुसूचित जाति बहुल गांवों का समग्र विकास करना है। इन गांवों के लिए सामाजिक सुरक्षा, पोषण, सडक़ें, आवास, विद्युत प्रदाय, स्वच्छता, ईंधन की उपलब्धता, कृषि, वित्तीय समावेश, डिजिटल सुविधा, जीवन-यापन और कौशल विकास से संबंधित करीब 50 ऐसे निगरानी योग्य संकेतक तैयार किए गए हैं, जिनके आधार पर गांव के विकास की समीक्षा की जा रही है। इस योजना की शुरुआत केन्द्र सरकार द्वारा 2014-15 में किया गया था। जिसके तहत केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं को मिलाकर गांव विकास रोडमैप तैयार किया गया है। शुरू में प्रदेश के 327 गांवों का चयन किया गया था, लेकिन बाद में बीते साल योजना के मापदण्डों में बदलाव कर न्यूनतम 500 जनसंख्या वाले गाँवों में अनुसूचित जाति समुदाय की कम से कम 40 प्रतिशत संख्या का मापदण्ड रखा गया है। इस आधार पर प्रदेश के 619 और गांवों को इसमें शामिल करने की कार्रवाई की जा रही है। इस योजना में मुख्य रूप से दो प्रकार के कार्य किये जाते हैं। ग्राम की विकास योजना तैयार कर ग्राम के समुचित अधोसंरचनात्मक विकास के लिए विभिन्न विकास विभागों की योजनाओं का कियान्वयन कराना। ऐसे कार्यों के लिए जिनमें विकास कार्यों के लिए धनराशि उपलब्ध होने में दिक्कत हो, वहां गैप-फिलिंग निधि से कार्य कराया जाता है।