जीवनभर ‘राज’ करने वाले अब राजनीति में

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में विधानसभा चुनाव के लिए


सियासी दल अपनी तैयारियों को धार देने में लगे हैं। वहीं जीवन भर ‘राज’ करने वाले नौकरशाहों की नजर भी विधानसभा चुनाव पर है। अलग-अलग पेशे से जुड़े अफसर इस बार चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। कोई भाजपा और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है, तो कोई इन दोनों दलों को टक्कर देने के लिए तीसरे दल के साथ जा रहा है। प्रदेश में दो दर्जन सीटों पर प्रशासनिक सेवा से जुड़े अफसर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसमें कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, आईएफएस, डॉक्टर, प्रोफेसर आईपीएस अफसर तक शामिल हैं। वहीं कुछ तो अपनी नई पार्टी बनाकर राजनीति कर रहे हैं। राजनीति का आकर्षण ही कुछ ऐसा है, जिसमें हर कोई हाथ आजमाना चाहता है। राजनीति के बदलते दौर में नौकरशाहों की रुचि बढ़ रही है। यही वजह है कि सेवानिवृत्ति के बाद अधिकारी बिना देरी किए राजनीतिक दलों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं। चुनावी साल में आधा दर्जन से ज्यादा सेवानिवृत्त अधिकारी कांग्रेस, भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं। हालांकि इनमें भाजपा से जुडऩे वालों की संख्या ज्यादा है। जबकि कई अधिकारी ऐसे हैं, जो राजनीतिक दलों के साथ अनौपचारिक रूप से जुड़े हैं। राजनीतिक दलों को भी प्रशासनिक कार्य की दृष्टि से सेवानिवृत्ति अधिकारियों की जरूरत होती है।
घोषणा पत्र बना रहे नौकरशाह
प्रदेश के दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में घोषणा पत्र बनाने की जिम्मेदारी नौकरशाहों के पास है। मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के चुनावी वचन पत्र और भाजपा के दृष्टि पत्र दो सेवानिवृत्त अधिकारियों की निगरानी में तैयार हो रहा है। कांग्रेस के वचन पत्र का काम वीरेन्द्र बाथम देख रहे हैं, जबकि भाजपा का दृष्टि पत्र कवीन्द्र कियावत तैयार करा रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में मप्र में कई अधिकारी ऐसे हैं, जो भाजपा से टिकट की दावेदारी के लिए गोटियां फिट कर रहे हैं। श्याम सिंह कुमरे सिवनी जिले की बरघाट सीट से दावेदारी कर रहे हैं। वेदप्रकाश जबलपुर पश्चिम से दावेदारी कर सकते हैं। 15 दिन पहले सेवानिवृत्त हुए आईपीएस पवन जैन राजस्थान भाजपा में शामिल हो गए हैं। हालांकि कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं, जो अन्य दलों के साथ जुड़े हैं। जबकि राज्य प्रशासनिक एवं अन्य सेवाओं के अधिकारी भी राजनीति में आने का रास्ता खोज रहे हैं। जबकि आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारियों की पत्नियां राजनीतिक दलों के साथ जुड़ी हैं और चुनाव में टिकट की दावेदारी भी कर रही है। राजनीतिक दलों के साथ जुडऩेे वाले कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू में जांच चल रही है। इनमें से कुछ के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायत है। सेवा में रहते भी गंभीर आरोप लगे थे। हालांकि राजनीतिक दलों से जुड़ने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ जांच की गति मंद हो जाती है।
भाजपा के साथ बड़ा वर्ग
प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ अफसरों का बड़ा वर्ग जुड़ रहा है। अभी तक कई अधिकारी भाजपा के साथ जुड़ गए हैं, वहीं कई कवायद में लगे हुए हैं। आईएएस महेश चंद्र चौधरी सेवानिवृत्त होने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। ये छिंदवाड़ा कलेक्टर और जबलपुर संभागायुक्त रहे हैं। वहीं आईएएस एसएन सिंह चौहान वर्तमान में भाजपा के सदस्य है। वे पार्टी कार्यालय में अक्सर देखे जाते हैं। कुछ महीने पहले विचार मंच पर प्रदेश के सेवानिवृत्ति आईएएस एवं आईपीएस अफसरों को एकजुट करने का काम भाजपा ने किया था। आईएएस एसएस उप्पल भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान के समय ये भाजपा से हैं। वर्तमान में वे भाजपा विधि एवं विधायी कार्य एवं निर्वाचन संबंधी कार्य के प्रदेश संयोजक हैं। आईएएस कवीन्द्र कियावत भोपाल संभागायुक्त से सेवानिवृत्त होकर भाजपा से जुड़े। वे उज्जैन समेत कई जिलों में कलेक्टर रह चुके हैं। अब मप्र भाजपा की घोषणा समिति में मुख्य भूमिका में हैं। आईएएस भागीरथ प्रसाद सेवानिवृत्ति के बाद कांग्रेस से जुड़े 2014 के विधानसभा चुनाव में भिंड से कांग्रेस का टिकट तय होने के बाद भाजपा में आए और सांसद बने। आईएएस श्याम सिंह कुमरे सेवानिवृत्ति के बाद अपने गृह जिले सिवनी में जनजातियों के बीच सक्रिय हैं। पिछले तीन साल से जनजाति कल्याण से जुड़ी संस्थाओं में काम कर रहे हैं। वर्तमान में बरघाट सीट से भाजपा से टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं। आईएएस पन्नालाल सोलंकी सेवानिवृत्ति के बाद भाजपा जुड़ गए।
कांग्रेस के लिए कर रहे काम
प्रदेश में कई अफसर ऐसे हैं, जो कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं या कांग्रेस के टिकट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। आईएएस वीरेन्द्र कुमार बाथम प्रमुख सचिव से सेवानिवृत्ति होने के बाद कांग्रेस से जुड़ गए। 2018 के चुनाव में वचन पत्र तैयार करने में भूमिका निभाई। 2023 के चुनाव के लिए भी वचन पत्र तैयार करवा रहे हैं। आईएएस अजिता वाजपेयी अपर मुख्य सचिव से सेवानिवृत्त होने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गईं। वे प्रशासनिक सलाहकार की भूमिका में हैं। साथ ही वचन पत्र समिति में भी शामिल हैं। आईपीएस एमपी वरकड़े डीआईजी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। 2018 में कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की। इस बार फिर दावेदार हैं। आईएफएस आजाद सिंह डबास भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ओबीसी विभाग के संयोजक बने। हालांकि बाद में कांग्रेस छोड़ दी।
ये भी उतर सकते हैं राजनीति में
आईएएस समान शेखर ने दो महीने पहले नौकरी से इस्तीफ दे दिया दिया। रतलाम समेत कई जिलों के कलेक्टर एवं जबलपुर संभागायुक्त रहे हैं। इनके भी चुनाव लडऩे की अटकलें हैं। हालांकि उन्होंने अभी स्पष्ट नहीं किया है। राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निशा बांगरे दो महीने पहले तब चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने अचानक नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वे बैतूल की आमला सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। जिसको लेकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।