भाजपा की हारी 40 सीटों पर प्रत्याशी तय, जल्द घोषित होंगे नाम

मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। प्रदेश में होने वाले विधानसभा

चुनाव की रणभेरी दो माह बाद बजना तय है। इसके पहले ही भाजपा चुनावी फतह के लिए अपना चक्रव्यूह रचने में लगी हुई है। इसके लिए बीते रोज दिल्ली में हुई केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में लगातार हारने वाली सीटों के लिए दो से तीन नामों का पैनल बनाने का तय किया गया है। इनके नाम पार्टी पहले ही घोषित कर देगी, जिससे की प्रत्याशी मैदानी स्तर पर जीत के लिए जरूरी कदम उठा सके। इस बैठक में प्रदेश की 27 सीट पर मुख्य रूप से चर्चा हुई, जिस पर पिछले चुनाव में 1000 से कम वोट से हार मिली थी। इन सीटों पर उम्मीदवारों के पैनल पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा 103 आंकाक्षी सीट पर भी चर्चा हुई, जो पिछली बार हारे थे। इसमें 30 बेहद कमजोर यानी डी कैटेगरी की सीटों पर भी मंथन किया गया है। यह शायद पहला मौका है, जब विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों के ऐलान के पहले केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक की गई है। अमूमन चुनाव की घोषणा के बाद पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाकर उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करती है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब चुनाव की घोषणा से पहले ही पार्टी ने प्रो-एक्टिव मोड में आकर सीटों के समीकरणों, उम्मीदवारों के नामों पर मंथन शुरू किया है। इससे समझा जा सकता है कि मप्र के विधानसभा चुनाव को भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व कितनी गंभीरता से ले रहा है। दरअसल जिन तीन हिंदी भाषी राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें मप्र ही ऐसा राज्य है, जहां पर अभी भाजपा की सरकार है। यही वजह है कि भाजपा के लिए यह राज्य बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है। यही वजह है कि इस राज्य की चुनावी तैयारियों की कमान स्वयं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद अपने हाथों में ले रखी है।
बीते रोज हुई बैठक में तय किया गया है, कि प्रदेश की विधानसभा सीटों को चार श्रेणी में बांटकर चुनाव अभियान चलाया जाएगा। इन चारों श्रेणियों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार कर उस पर अमल किया जाएगा। इसके लिए सीटों को ए, बी, सी और डी श्रेणी में बांटा गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चारों वर्गों की सीटों पर चर्चा हुई। ए श्रेणी में वे सीटें हैं, जहां पार्टी को हर बार जीत मिली है। बी में एक से उससे ज्यादा बार हारी हुई सीट, सी में दो या दो से ज्यादा बार हारी सीट और डी श्रेणी में कभी न जीती जा सकने वाली सीटें हैं। बीते रोज हुई बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से चुनावी तैयारियों की रिपोर्ट ली गई। कमजोर व हारी सीटों को लेकर मजबूती से काम करने की व्यूहरचना तय की गई। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में मप्र के चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जमीनी हालात की जानकारी दी। राज्य के मुद्दे भी बताए। बैठक में महासचिव बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, नरेंद्र सिंह तोमर, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी शामिल हुए। बाद में फिर से मोदी-शाह ने सीएम व अध्यक्ष के साथ बैठक की।
इंटरनल रिपोर्ट पर भी हुई चर्चा
इस बैठक में पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई, जिसमें बताया गया है कि बीजेपी संगठन और केंद्र सरकार को लेकर जनता में नाराजगी नहीं है। लेकिन लंबे समय से सत्ता में रहने की वजह से समर्थकों और कोर वोटर्स में उदासीनता है। इस उदासीनता को दूर करने के कदमों पर भी चर्चा की गई।
अगले माह होगी घोषणा
केंद्रीय नेताओं के सामने प्रदेश के नेताओं ने हारी सीटों का ब्योरा रखा। इसके बाद तय हुआ कि प्रदेश नेतृत्व जल्द से जल्द इन 40 से 50 सीटों पर दो से तीन नाम का पैनल बनाएगा। उनमें से किसी एक नाम को तय करने के बाद अगले माह सितंबर में ही प्रत्याशियों की नामों की घोषणा कर दी जाएगी, ताकि उन्हें वक्त मिल सके। सूत्रों की मानें तो ऐसी विधानसभाओं में भोपाल की उत्तर और मध्य सीटों को भी शामिल किया गया है। पहली बार मप्र के साथ समिति की आधे घंटे बैठक हुई। इसके करीब डेढ़ घंटे बाद मप्र के नेताओं को फिर बुला लिया गया था। इसमें प्रदेश में की जाने वाली घोषणाओं को लेकर चर्चा की गई।
बीते चुनाव से लिया सबक
बता दें केंद्रीय चुनाव समिति भाजपा की चुनावी रणनीति के निर्णय लेने को लेकर सबसे बड़ी कमेटी है। समिति की बैठक आमतौर पर चुनाव की तारीखों के एलान के बाद होती है। इस बार भाजपा ने बहुत पहले से तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल पार्टी 2018 की गलती दोहराना नहीं चाहती है। वहीं, कर्नाटक की हार के बाद से पार्टी अब मध्य प्रदेश में कोई जोखिम लेना नहीं चाहती है। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें है। ऐसे में मध्य प्रदेश चुनाव के परिणाम 2024 को भी प्रभावित करेंगे। यहीं वजह है कि प्रदेश के चुनाव की कमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथ में ले ली है।