पंचायतों में बड़ा घोटाला उजागर.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। पंचायती राज व्यवस्था में गांवों के विकास के लिए मिलने वाले फंड में किस तरह घपला-घोटाला किया जा रहा है, इसका नजारा ग्वालियर के गांवों में देखा जा सकता है। हर साल गांवों में विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किये जाते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत में गोलमाल ही गोलमाल दिखाई देता है। कहीं गंदगी व कीचड़ से सनी कच्ची सडक़ें , तो कहीं स्वीकृत पक्के नाले की जगह छोटी सी नाली तो कहीं नाली भी नहीं….। यह हाल है ग्वालियर के उन गांवों का। जहां विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए स्वीकृत हुए। लेकिन इस राशि से गांव का विकास करने का जिम्मा संभालने वाले सरपंच व सचिव करोड़ों रुपए डकार गए। ग्रामीणों की शिकायत एवं पंचायत विभाग की पड़ताल में सरपंच व सचिवों का यह भ्रष्टाचार खुलकर सामने आ रहा है। विभाग ने अप्रैल 2021 से जून 2022 (14 महीनों में) तक में हुए कार्यों में 40 सरपंचों पर 2.90 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार पकड़ा है। जिसमें से 84 लाख की वसूली हो चुकी और 1.25 करोड़ की राशि वसूलने की कार्रवाई चल रही है। वहीं इसके अलावा 1 करोड़ 30 लाख रुपए के कार्यों के शिकायत की जांच अभी चल रही है। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास का कहना है कि ग्राम पंचायतों में होने वाले ऐसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम जल्द ही मॉनिटरिंग व्यवस्था भी पहले से सख्त करने वाले हैं। जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
राशि निकाल ली काम नहीं कराया
ग्वालियर के भितरवार ब्लॉक में डोगरपुर ग्राम पंचायत में पंचायत भवन नहीं है। यहां पिछले 14 वर्षों से अब तक एक मंदिर के चबूतरे पर ही ग्राम सभा की बैठक हो रही है। 2021-22 में 15 वें वित्त आयोग ने पंचायत भवन के लिए 10 लाख रुपए आयोग फंड से व 10 लाख रुपए मनरेगा फंड से मंजूर किए थे। जिसमें से 5 लाख रुपए तत्कालीन सरपंच नरेश सिंह रावत व सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने निकाल लिए। लेकिन इतनी राशि का कार्य नहीं कराया, जिसके बाद जिला पंचायत ने सरपंच व सचिव के खिलाफ 5 लाख रुपए वसूली के आदेश दिए हैं। इस पंचायत भवन के लिए गांव के ही नारायण सिंह ने 6 विस्वा जमीन दान में दी थी, लेकिन उनका दर्द है कि जिस मकसद से जमीन दी, वह अब तक पूरा नहीं हो पाया। अचरज वाली बात यह है कि गांव में जिन कार्यों का पैसा निकालकर काम ही नहीं हुआ। वे काम भी विकास यात्रा में गिनाए गए हैं। इसके पोस्टर बैनर आज भी भगवानपुरा में टंगे हैं।
न सडक़ बनी न नाली
हस्तिनापुर, मुरार ब्लॉक की बड़ी ग्राम पंचायतों में शामिल है। यहां प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना व मनरेगा से सीमेंट कंक्रीट रोड स्वीकृत हुई। जिसकी लागत 6.44 लाख रुपए थी, 350 मीटर बनने वाली यह सडक़ 25 मीटर भी नहीं बनी और आवंटित राशि निकालकर पूरा पैसा हड़प लिया गया। इसी तरह 15 वें वित्त आयोग एवं मनरेगा से नाली के लिए 3.23 लाख रुपए स्वीकृत हुए। लेकिन जिम्मेदार इसका शिलान्यास कर बनाना ही भूल गए। वहीं गांव के प्राचीन हनुमान मंदिर में लोगों की सुविधा के लिए 4 लाख रुपए की लागत से एक भवन (चबूतरा) स्वीकृत हुआ। उसके सिर्फ पिलर खड़े हुए हैं और पूरी राशि निकाल ली गई। इन सभी कार्यों की राशि तत्कालीन सरपंच पातीराम जैतवार व सचिव तिलक सिंह ने निकालकर हड़प ली।