अपराधियों को अनोखी सजा

अपराधियों को अनोखी सजा.

प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में 2010 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, साहब इनदिनों ग्वालियर जिले के कलेक्टर हैं। यह साहब हैं, अक्षय कुमार सिंह। दरअसल वे लगातार नवाचार कर रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक ऐसा प्रयोग किया है, जिससे वे चर्चा में आ गए हैं। दरअसल, जिले में अपराधिक प्रकृति के दो व्यक्तियों ने गुहार लगाई थी कि साहब हम अब अपराध व अन्याय से दूर रहेंगे। हम अच्छे नागरिक बनकर शांतिपूर्ण जीवन जीने का वचन देते हैं। हमें जिला बदर में सजा ना दी जाए। हम स्वच्छता से पर्यावरण संसाधन और सामुदायिक सेवा जैसे कार्य करने को तत्पर है। फिर क्या था, साहब ने दोनों आरोपियों को सुधरने का मौका देते हुए पौधों की रखवाली करने की जिम्मेदारी सौंप दी।

कलेक्टर ने जड़वा दिया ताला
हमेशा शांतचित रहने वाले 2014 बैच के एक आईएएस अधिकारी का गुस्सा इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। साहब इन दिनों विंध्य क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर हैं। हमेशा मातहतों के साथ खुश मिजाजी से काम करने वाले साहब गत दिनों इस कदर आग बबूला हो गए कि उन्होंने जिला परियोजना समन्वयक ऑफिस में ताला जड़वा दिया। दरअसल, गत दिनों कलेक्टर ने डीपीसी से स्कूल के निर्माण कार्य को लेकर फाइल मांगी थी, लेकिन डीपीसी फाइल देने में टालमटोल कर रहे थे। समय पर फाइल ना मिलने से कलेक्टर नाराज हो गए और जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय में काम कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर निकालकर कार्यालय में ताला लगा दिया। इस घटनाक्रम के बाद कलेक्ट्रट में हडक़ंप मच गया। घटनाक्रम से जुड़े वीडियो भी सामने आए हैं, जिसमें अधिकारी बैग लिए बाहर निकलते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, वर्षों से जमे अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। वो अब अपने सीनियर अधिकारियों की भी बात नहीं सुनते हैं।

वाह कलेक्टर मैडम!
2014 बैच की एक महिला आईएएस अधिकारी वैसे तो अपने काम को लेकर हमेशा चर्चा में रहती हैं, लेकिन इस बार उनका अलग अंदाज देखने को मिला है। डॉ. सलोनी सिडाना वर्तमान में महाकौशल क्षेत्र के आदिवासी जिले मंडला जिले की कलेक्टर हैं। गत दिनों वे जिले के स्कूलों का निरीक्षण करने गई थीं। स्कूल के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मिड डे मील के तहत मिल रहे खाने को चेक किया है। खाने की गुणवत्ता को देखने के लिए वे अपनी टीम के साथ जमीन पर बैठ गईं और उन्हें भी बच्चों के लिए बने मिड डे मील को परोसा गया। कलेक्टर जब मिड डे मिल की थाली खा रही थीं, तो उनके बगल में रसोइया बैठी थीं। इस दौरान कलेक्टर मैडम ने खाना बनाने वाली रसोइया को अपनी ही थाली में खिलाया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग कलेक्टर की तारीफ करते हुए लिख रहे हैं वाह कलेक्टर मैडम। काश, हर अफसर आप जैसा होता।

कलेक्टर की बोली ने शहद घोली
जब कोई बड़ा अधिकारी किसी आम आदमी से मुस्कुराकर बात कर लेता है तो, उसकी आधी समस्या का समाधान तो वैसे ही हो जाता है। इसका नजारा गत दिनों ग्वालियर-चंबल के एक जिले में देखने को मिला। दरअसल, अंचल के गुना जिले के कलेक्टर तरुण राठी जिला अस्पताल के औचक निरीक्षण पर पहुंचे। यहां उन्होंने अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। ओपीडी से बाहर निकलते हुए कलेक्टर ने कुछ मरीजों से चर्चा की। इसी दौरान एक मरीज से उन्होंने बीमारी को लेकर चर्चा की। मरीज ने बताया कि वह बीपी की समस्या को लेकर आया है। उसका बीपी एब्नार्मल है। कलेक्टर ने उसकी जांच रिपोर्ट देखी तो बीपी ज्यादा नहीं था। नार्मल के आस-पास ही था। इस पर कलेक्टर ने कहा कि यह तो आदर्श स्थिति के पास है। मैं खुद अगर अपना बीपी चैक कराऊंगा, तो इसके आसपास ही निकलेगा। साहब की यह बात सुनकर वह रोगी इस कदर खुश हुआ कि जांच में उसका बीपी नार्मल आया।

कडक़ मिजाजी का नुकसान
कभी-कभी आदमी का स्वभाव उस पर भारी पड़ जाता है। खासकर प्रशासनिक अफसरों को इसका खामियाजा अक्सर उठाना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण 2013 बैच की एक युवा महिला आईएएस सोनिया मीना के रूप में सामने आया है। दरअसल, जिस दिन मऊगंज को प्रदेश का 53वां जिला बनाया गया उसी दिन सरकार ने मैडम को वहां का कलेक्टर नियुक्ति कर दिया गया। लेकिन चार घंटे बाद ही उनका तबादला निरस्त कर दिया गया। दरअसल, मैडम तेजजर्रार और कडक़ मिजाज की अफसर हैं। मऊगंज नया जिला बना है। ऐसे में मैडम की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए कि वे नए जिले में नई-नई व्यवस्था में फिट नहीं बैठ पाएंगी। क्योंकि पूर्व में वे जिस जिले में भी जिस पद पर पदस्थ रही हैं, वे विवादों में पड़ जाती हैं। वे किसी से भी पंगा ले लेती हैं। इसलिए उनकी जगह दूसरे अधिकारी को कलेक्टर बनाकर भेजा गया है।