लाड़ली बनी गेम चेंजर

80 फीसदी आबादी हुई मामा की कायल.

शतरंज और राजनीति के संदर्भ में कहा जाता है कि जो समय पर सही चाल चल देता है, वह हारी बाजी भी हार भी जीत जाता है। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो ऐसे बाजीगर हैं जो हर बाजी जितना जानते हैं। इसलिए मिशन 2023 में ऐतिहासिक जीत के लिए उन्होंने लाड़ली बहना योजना का ऐसा दांव चला है कि उससे कांग्रेस का पूरा खेल ही बिगड़ गया है। लाड़ली बहना योजना भाजपा के लिए गेम चेंजर बन गई है।

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी
भोपाल (डीएनएन)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के एकमात्र नेता हैं जो राजनीति ही नहीं जनता की नब्ज को भी भलीभांति जानते हैं। इसलिए वे प्रदेश के अब तक के लोकप्रिय नेताओं में सबसे आगे हैं। इसकी वजह भी है। दरअसल, शिवराज मौके की नजाकत को भलीभांति जानते हैं। इसलिए विषम परिस्थिति होने के बाद भी वे ऐसी नीति और योजनाएं धरातल पर उतार देते हैं, जिससे जनमानस उनकी ओर हो जाता है। मिशन 2023 में कमजोर पड़ रही भाजपा को जब मजबूत करने की कवायद शुरू हुई तो मुख्यमंत्री ने लाड़ली बहना योजना लॉन्च की। आज यह योजना गेम चेंजर साबित हुई है। मप्र की आधी आबादी ही नहीं बल्कि 80 फीसदी लोग मामा की वाहवाही करने लगे हैं।
प्रदेश में महज चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस आधी आबादी पर है। यही वजह है कि लगातार सीएम उन्हें एक के बाद एक सौगात देने की घोषणा करने के साथ ही उनके क्रियान्वयन पर पूरा जोर लगा रहे हैं। यही वजह है कि अब उनके द्वारा कहा गया है कि वे आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं की आमदनी 10 हजार रुपए प्रतिमाह करने का संकल्प ले चुके हैं। दरअसल शिवराज को वैसे ही मामा नहीं कहा जाता है, इसके पीछे उनकी वे योजनाएं हैं, जिनका फायदा प्रदेश में बच्चियों से लेकर महिलाओं तक को मिल रहा है। वे देश के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री हैं , जिन्हें महिलाएं सीएम की जगह मामा या फिर भाई कहना पसंद करती हैं। उनकी योजनाओं की वजह से ही वे किसी भी प्रदेश में महिलाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री बने हुए हैं। अब तक प्रदेश में बीते दो दशक में अपनी इसी छवि की वजह से ही वे भाजपा को लगातार सत्ता में वापिस लौटाते रहे हैं। शिवराज के अब तक के कार्यकाल में महिलाओं को सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये सरकार ने मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना व लाड़ली बहना योजना जैसी योजनाओं को मूर्तरूप दिया है। हाल ही में शुरू की गई लाड़ली बहना योजना के तहत प्रदेश की लगभग सवा करोड़ महिलाओं को 15 हजार करोड़ रुपए सरकार हर माह दे रही है। इसमें भी धीरे-धीरे राशि बढ़ाकर 3 हजार रुपए करनेे की योजना है। लाड़ली बहना योजना के तहत जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, वहीं लाड़ली बहना सेना के माध्यम से उन्हें ताकतवर बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के हर गांव में महिलाओं को लाड़ली बहना सेना में संगठित किया जायेगा। छोटे गांव की लाड़ली बहना सेना में 11 महिला सदस्य और बड़े गांव में 21 महिलाएं शामिल की जायेंगीं।

चुनावी साल में मास्टर स्ट्रोक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनके द्वारा आधी आबादी को वोटतंत्र में पूरी तरह से तब्दील कर दिया गया है। इसकी वजह है उनकी अपनी कार्यशैली। वे इस आबादी के साथ न केवल भावनात्मक रुप से जुड़े हुए हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं के माध्यम से भी उन्हें अपने साथ लगातार जोड़े रखते हैं। इसकी वजह है उनके शासन काल में समय-समय पर इनके लिए शुरु होने वाली एक के बाद एक योजना। प्रदेश में कन्या जन्म से लेकर उसकी शादी और फिर उसके बुढ़ापे तक में आर्थिक मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अलावा महिलाओं को राजनैतिक व आर्थिक क्षेत्र में संबल प्रदान करने का श्रेय भी शिवराज को ही जाता है। भाजपा की प्रदेश में ताकत भी इसकी वजह से यही आधी आबादी बनी हुई है। चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस मामले में एक कदम आगे बढ़ाते हुए लाड़ली बहना योजना लॉन्च कर दी गई है। यानि की चुनावी साल में यह शिवराज सिंह चौहान का मास्टर स्ट्रोक है, जिसकी काट किसी अन्य दल के पास नही है। इस योजना के सहारे ही अब प्रदेश में भाजपा ने चुनावी जीत की रणनीति तैयार की है। यही वजह है कि लाड़ली बहना योजना को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली गई है। चुनाव में सियासी फायदे के लिए इस योजना का भरपूर उपयोग करने के लिए ही प्रदेश में 1700 सभाएं की जाएंगी। इस योजना के तहत प्रत्येक पात्र महिला को एक हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। यानी एक साल में 12 हजार रुपए उनके पास आएंगे। महिलाओं के लिए अब तक की यह सबसे बड़ी योजना है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इसे बढ़ाकर हर महीने 3 हजार रुपए करने की घोषणा भी की है।
मप्र में महिलाएं बड़ा वोटबैंक हैं। सूबे में मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 39 लाख 85 हजार 876 है। इनमें महिला वोटर ज्यादा हैं। इनकी संख्या 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 733 है, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 79 लाख 62 हजार 711 है। शेष अन्य मतदाता हैं। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं को साधने की कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। प्रदेश में आधी आबाधी यानि की महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, इनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना , कन्या विवाह योजना से लेकर उनको आर्थिक रुप से सक्षम बनाने की कई योजनाएं हैं। यही नहीं छात्राओं के लिए भी कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। हाल ही में सरकार ने छात्राओं को स्कूटी देने का भी एलान किया है।

बहनों की आंखों में आत्म विश्वास भरी मुस्कान
प्रदेश में जब से लाड़ली बहना योजना लॉच हुई है बहनों की आंखों में आत्म विश्वास भरी मुस्कान दिखने लगी है। खुद मुख्यमंत्री का भी कहना है कि मैं बहनों की आंखों में आंसू नहीं, सशक्त आत्म विश्वास से भरी मुस्कान देखना चाहता हूं। ईश्वर ने मुझे बहनों की जिंदगी बदलने के लिए मुख्यमंत्री बनाया है। हमारी सरकार बहनों के लिए सुख, समृद्धि, सुरक्षा और आनंद के मार्ग के साथ उनकी प्रगति के अवसर निर्मित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटी को बोझ नहीं वरदान समझा जाए, इस उद्देश्य से ही प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना आरंभ की गई। इसी क्रम में बहनों के आर्थिक सशक्तिकरण, आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान के लिए लाड़ली बहना योजना आरंभ की जा रही है। शिवराज और उनकी सरकार का लक्ष्य है बहन-बेटियों को सशक्त बनाना है। मुख्यमंत्री का कहना है कि बहन-बेटियां दर्द, बेचैनी और पीड़ा क्यों सहें। हमारी सरकार ने बहन-बेटियों को सशक्त बनाने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं आरंभ की। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना हो या लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटियों के जीवन के हर कदम को सरल बनाने के लिए हमने प्रयास किए। इसी क्रम में महिलाओं को स्थानीय निकायों और पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उनके राजनैतिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावी प्रयास किया। शासकीय नौकरियों में भी बेटियों को अधिक अवसर देने की व्यवस्था की गई है। पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्णय भी लिया गया। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही हर वार्ड और गांव में लाड़ली बहना सेना गठित की जाएगी। यह सेना बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देगी। लाड़ली बहना योजना का लाभ लेने में मदद करने के साथ घरेलू हिंसा के मामलों और गुंडे-बदमाशों को ठीक करने में भी यह सेना सक्रिय रहेगी। इससे आर्थिक सशक्तिकरण के साथ सामाजिक सुरक्षा के लिए महिलाएं एकजुट होंगी। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को लाड़ली बहना योजना से चुनाव में बहुत उम्मीदे हैं। शिवराज सरकार की ये लाड़ली बहना योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है। इस योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली राशि सीधे उनके बैंक खाता में जमा हो रही है। बता दें कि इस योजना की माध्यम से राज्य के निम्न, मध्यम वर्ग की बहनों और गरीब महिलाओं को राज्य सरकार के तरफ से प्रतिमाह आर्थिक सहायता के रूप में राशि दी जा रही है। इस आर्थिक सहायता राशि से गरीब बहनों को एक हजार रुपए प्रति माह रूप में दिया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में हर महीने पात्र महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह पोषण भत्ता देने वाली लाड़ली बहना योजना इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकती है। बता दें, प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 2.60 करोड़ से ज्यादा है। महिला सशक्तीकरण को लेकर भाजपा ने अन्य राजनीतिक दलों के मुकाबले अपनी लकीर हमेशा बड़ी रखी है। भाजपा संगठन में भी एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए हैं, वहीं विधानसभा में भी कुल 21 महिला विधायकों में भाजपा की 14, कांग्रेस की छह और बसपा की एक विधायक हैं। स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व से लेकर शासकीय सेवाओं, पुलिस और शिक्षक भर्ती सहित विभिन्न क्षेत्रों में शिवराज सरकार ने महिलाओं को 30 से 50 प्रतिशत तक आरक्षण दिया है। अपने पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना और मुख्यमंत्री कन्यादान योजना शुरू की थी। लाड़ली लक्ष्मी योजना में अब तक 44 लाख 71 हजार 87 बालिकाएं पंजीकृत हैं, जिसमें 13 लाख 55 हजार 934 हितग्राहियों को 372.69 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी जा चुकी है। इसके दूसरे संस्करण में कालेज जाने वाली बालिकाओं को भी राशि दी जा रही है। इन छात्राओं द्वारा भी भाजपा का समर्थन करने से पार्टी के लिए सत्ता का सफर तय करना आसान ही होगा। बता दें कि शिवराज सिंह की राजनीति महिला केंद्रित रही है। यही कारण है कि उनकी मामा के रूप में पहचान बनी है। इन सम्मेलनों में शिवराज द्वारा गाया जा रहा गाना फूलों का तारों को सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है, सारी उमर हमें संग रहना है भी महिलाओं के बीच पसंद किया जा रहा है। प्रदेश मंत्री, मध्य प्रदेश भाजपा रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि लाड़ली बहना योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदना और भावना से उपजी है। महिला सशक्तीकरण के लिए उनके द्वारा चलाई योजनाएं देश के लिए उदाहरण बनी हैं। चुनाव बाद होने वाले सर्वे बताते हैं कि महिलाओं का वोट भाजपा को मिल रहा है। केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार उनके भरोसे को बनाए रखने के लिए जुटी हुई है। लाड़ली बहना योजना परिवारों की मजबूती और सामाजिक आर्थिक बदलाव का बड़ा कारण सिद्ध होगी।

महिलाएं टेस्टेड और ट्रस्टेड वोटबैंक
2005 में सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश की आधी आबादी के लिए दरियादिली दिखाते रहे हैं। प्रदेश की बच्चियों के लिए सच्चे मामा साबित होने के बाद अब शिवराज सच्चे भाई के रूप पर भी मुहर लगाने की कोशिश में जुटे हैं। मध्यप्रदेश में साइलेंट वोटर यानि महिलाएं बीजेपी का टेस्टेड और ट्रस्टेड वोट बैंक हैं। 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में लड़ी बीजेपी की जीत की राह महिलाओं ने ही आसान की थी। लाड़ली लक्ष्मी योजना के साथ 2007 के बाद से ये वर्ग बीजेपी का मजबूत वोट बन गया। इस बार भी एक तरीके से महिला मतदाताओं के हाथ में ही सत्ता की कमान है। प्रदेश के 41 जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। प्रदेशभर में इनकी संख्या 7 लाख के पार पहुंच गई हैं। अमूमन सियासत से दूर और साइलेंट मोड में रहने वाला ये वोटर अब जागरूक भी हुआ है। 2013 से 2018 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढऩा इसकी तस्दीक करता है। पिछले चुनाव में ही महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत चार फीसदी तक बढ़ चुका है। बीजेपी के चुनाव मैनेजमेंट में टाइमिंग का बड़ा खेल है। इस लिहाज से देखें तो चुनाव के सालभर पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यूथ वोटर पर पकड़ बनाने का दांव खेल दिया था। लाड़ली लक्ष्मी 2.0 के तहत 14 हजार से ज्यादा लड़कियों को हायर एजुकेशन के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई है। एक परिवार में बेटी को सरकार से मिली प्रोत्साहन राशि भी चुनाव में 1+4 का कमाल करती है यानि एक को फायदे के जरिए घर के चार वोट मिलने की गारंटी। यही वजह है कि 1 मार्च को पेश हो रहे बजट में शिवराज सरकार का पूरा फोकस युवा और महिलाओं पर है। सबसे ज्यादा महिला वोटर वाली विधानसभाओं की बात करें तो इसमें इंदौर नंबर-5 में 191326, गोविंदपुरा में 180391, इंदौर नंबर-1 में 169107, हुजूर में 168353 और इंदौर नंबर-2 में 163640 महिला वोटर हैं। अगर इन सीटों पर महिलाएं योजना के लिए वोट करती है तो बीजेपी की जीत यहां पक्की है। सबसे कम महिला वोटर वाली विधानसभाओं की बात करें तो कोतमा में 70249, अनूपपुर में 83053, सेंवढ़ा में 85634, जावद में 87027 और बीना में 87564 महिला वोटर हैं। यहां महिलाओं की इतनी संख्या है कि योजना के लिए वोट करती है तो परिणाम बदल देंगीं। मध्य प्रदेश में महिला वोटरों की संख्या भले ही पुरुषों को मुकाबले कम हों। लेकिन, अक्सर चुनावों में ये देखा गया है कि इनके वोट एक तरफा गिरते हैं। 2018 के चुनाव में भी भारी एंटी इनकंबेंसी के बाद भी आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए किए गए ऐलान का फायदा बीजेपी को मिला था। मध्य प्रदेश में बच्ची के पैदा होने से बुढ़ापे तक के लिए शिवराज सरकार ने कई योजनाएं लाई हैं। इसमें हर उम्र और वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ मिल रहा है। इसके बाद अब एक और योजना जो बड़ी आबादी को कवर करेंगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि जिन सीटों पर महिलाओं को वोट एक तरफा बीजेपी को मिलगा वहां जीत लगभग पक्की हो जाएगी।
मध्यप्रदेश में 52 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर महिलाएं जीत तय करती हैं। यही कारण है कि राज्य में लड़कियों के जन्म से लेकर बुजुर्ग होने तक हर पड़ाव के लिए कोई न कोई सरकारी योजना है। हाल ही में लॉन्च की गई लाड़ली बहना योजना के माध्यम से पात्र महिलाओं को 1000 रुपए प्रति महीने मिल रहे हैं। भाजपा इसे विधानसभा चुनाव के नजरिए से गेम चेंजर मान रही है। उधर, कांग्रेस भी इसी तरह महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने का वादा कर रही है। आखिर प्रदेश में बेटी के जन्म से लेकर बहना बनने तक सरकार क्यों इतना खर्च कर रही है? शिवराज सरकार 4 करोड़ महिलाओं के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। इनमें से 2.60 करोड़ मतदाता हैं। प्रदेश में 48 फीसदी वोटर्स महिलाएं हैं। 2013 विधानसभा चुनाव की तुलना में 2018 में करीब 20 लाख से अधिक महिलाओं ने वोट दिया था। इसका सीधा असर 52 सीटों पर पड़ा था। नई महिला वोटरों की संख्या में 2.79 फीसदी का इजाफा हुआ है। 13.39 लाख नए मतदाताओं में से 7.07 लाख मतदाता सिर्फ महिलाएं हैं। मध्यप्रदेश में 2.60 करोड़ महिला वोटर्स हैं। 230 विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 18 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। इनमें बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल जिले शामिल हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से 52 सीटों पर महिला वोटर्स ने ज्यादा वोटिंग की थी। इनमें 35 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी जीती थी। 2018 के मुकाबले कुल महिला वोटर्स की संख्या बढ़ी है। 2018 में एक हजार पुरुष वोटर्स की तुलना में 898 महिला मतदाता थीं। अब 1000 पुरुष वोटर्स पर 931 महिला वोटर्स हैं। लाड़ली बहना योजना के जरिए बीजेपी 1.25 करोड़ महिला वोटर्स तक पहुंच रही है। 2.79 फीसदी महिला वोटर्स का इजाफा भी हुआ है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में 13.39 लाख नए मतदाताओं में से 7.07 लाख मतदाताएं सिर्फ महिलाएं हैं।

सामाजिक क्रांति है लाड़ली बहना योजना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि लाड़ली बहना योजना एक सामाजिक क्रांति है। योजना में प्रतिमाह उपलब्ध कराया जा रहा एक हजार रुपए केवल पैसा नहीं, बहन-बेटियों का सम्मान है। बहन-बेटियों का आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान बढ़े, परिवार में उनका महत्व और समाज में उनका मान हो, इस उद्देश्य से ही यह योजना शुरू की गई है। योजना में बहनों को प्रतिमाह दी जा रही एक हजार रुपए की राशि को क्रमश: बढ़ाकर प्रतिमाह 3 हजार रुपए किया जाएगा। बहनों की आंखों में आंसू नहीं खुशियां होंगी, यह उनका अधिकार है। रक्षा बंधन के पर्व पर 27 अगस्त को पूरे प्रदेश की बहनों से संवाद के लिए विशेष कार्यक्रम होगा तथा बहनों को उपहार प्रदान किया जाएगा।मुख्यमंत्री का कहना है कि भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही बहन-बेटियों की पूजा होती रही है। ऐतिहासिक रूप से बीच का कालखण्ड ऐसा आया जिसमें बेटियों के साथ भेदभाव होने लगा, बेटी को जन्म से ही अभिशाप और बेटे को कुल का दीपक और बुढ़ापे का सहारा माना जाने लगा। बेटियों के साथ अन्याय होने लगा, बेटियां कोख में ही मारी जाने लगी। इस पीड़ादायी वेदना से भरी स्थिति को बदलने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध थी। बेटी को बोझ न समझा जाए, इसी उद्देश्य से लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई। हमारा संकल्प था कि प्रदेश की धरती पर पैदा होने वाली बेटी लखपति पैदा हो। बहन-बेटियों के सशक्तिकरण के लिए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई, पुलिस और शिक्षकों के पद भी महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए। महिलाओं के नाम सम्पत्ति के पंजीयन में भी छूट दी गई।
उनका कहना है कि महिला सशक्तिकरण के इसी क्रम में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शुरू की गई है। प्रतिमाह बहन बेटियों को राशि उपलब्ध कराने का उद्देश्य यह है कि वे अपनी आवश्यकता और अपनी मर्जी के अनुसार बिना रोक-टोक के पैसा खर्च कर सकें। वे अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहें। गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों की महिलाओं के लिए यह बड़ी राहत है। योजना आरंभ होने के बाद कई बहनों ने इस पैसे से बच्चों की फीस भरी है, उन्हें कपड़े, किताब और अन्य जरूरत का सामान स्वयं खरीद कर दिया है। कई बहनें चाय की दुकान, सिलाई-कढ़ाई जैसे अपने काम आरंभ करने की दिशा में भी पहल कर रही हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि बहन-बेटियों को अपनी स्थिति सुधारने के लिए संगठित होना होगा। हर गाँव और हर वार्ड में लाड़ली बहना सेना गठित की जा रही है। बहनें इस सेना से जुड़ें, बहनों की यह सेना उनके हितों की रक्षा और उन्हें आगे बढ़ाने में हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। हम बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। बहन-बेटियों के विरूद्ध अपराध करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। उन्हें सुरक्षित वातावरण मिले, इस उद्देश्य से ही शराब की दुकान के साथ चलने वाले अहाते बंद किए गए हैं। हमारा प्रयास है कि हर बहन की आय 10 हजार रुपये प्रतिमाह हो, इस दिशा में हम निरंतर सक्रिय हैं और संगठित रहकर प्रगति और विकास का नया इतिहास रचेंगे।

‘लाड़ली ’ पर कई राज्यों की नजर
जिस तरह पारस पत्थर जिस भी लोहे को छू लेता है वह सोना हो जाता है, वैसा ही हाल कुछ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है। वे जो भी योजना शुरू करते हैं वह प्रदेश ही नहीं देशभर में लोकप्रिय हो जाती हैं। यही हाल मामा की लाड़ली बहन योजना का है। अभी हाल ही में शुरू हुई योजना ने जहां मप्र की महिलाओं में आत्मनिर्भरता का भाव भर दिया है, वहीं अन्य राज्य भी योजना का अध्ययन करने में जुट गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की यह योजना लाड़ली लक्ष्मी से भी अधिक पॉपुलर हो रही है। दरअसल लाड़ली बहना हर माह त्यौहार और हर माह उपहार देने वाली योजना साबित होगी। दरअसल, शिवराज की योजनाएं लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। लाड़ली बहना योजना देश में अपने आप में अनुठी योजना है और इसका लाभ प्राप्त करने के लिए प्रदेश की महिलाओं में क्रांतिकारी उत्साह नजर आ रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन की मुख्यमंत्री खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वहीं प्रदेशभर में महिला सम्मेलन आयोजित कर मुख्यमंत्री बहनों को इसकी जानकारी दे रहे हैं। परिवारों में बहनें, पैसों के लिए मोहताज और दूसरों पर निर्भर रहती हैं। बहनों के पास स्वयं और अपने बच्चों की बेहतरी पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। विशेष रूप से गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं की इस निर्भरता और बेचारगी की स्थिति को बदलने की तड़प मेरे मन में हमेशा बनी रही। आर्थिक सशक्तिकरण आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान का आधार है। बहनों के सशक्तिकरण के लिए सीधे उनके खाते में पैसा डालने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना आरंभ की गई है। यह योजना बहनों के जीवन में नया विश्वास जगाएगी।