कहीं शिक्षकों का असंतोष न पड़ जाए भारी

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनावी साल में शैक्षणिक

सत्र शुरू होने के बाद प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग को शिक्षकों को पदोन्नति के नाम पर उच्च पद का प्रभार देने की याद आयी है। शासन द्वारा अपने स्तर पर लिए गए इस निर्णय से शिक्षकों में खुशी की वजह नाराजगी बढ़ रही है। इसकी वजह है विभाग के इस कदम से शिक्षकों को किसी तरह को कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि उन्हें तबादले का अलग से सामना करना पड़ रहा है। यही तबादला उनमें नाराजगी की बड़ी वजह बन रही है। शिक्षा विभाग ही वह विभाग है, जिसमें सर्वाधिक संख्या में महिलाएं कर्मचारी हैं, ऐसे में वे भी बड़ी संख्या में प्रभावित हो रहीं हैं। इस मामले को लेकर अब शिक्षकों संघों द्वारा विरोध के स्वर उठाए जाने लगे हैं। इन संगठनों द्वारा इस मामले में मंत्री व अधिकारियों से लिखित में अपनी शिकायत तक भेजी हैं। बताया जा रहा है कि इस मामले में शिक्षकों की राय लेने की जगह विभाग के आला अफसरों ने इस तरह का तुगलकी निर्णय लिया। इससे प्रदेश के करीब 80 हजार से अधिक शिक्षकोंं का प्रभावित होना तय है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के करीब एक लाख शिक्षक बीते कई सालों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मंशा से इत्तेफाक रखने को तैयार ही नहीं है। इस मामले को लेकर प्रदेश में कई बार आंदोलन भी हो चुका है। अब चुनावी साल में शिक्षकों की याद सरकार को आयी तो उच्च पद का प्रभार देने का तुगलगी फैसला कर लागू कर दिया गया। इसमें कुछ ऐसे नियम और शर्तें शामिल कर दी गई हैं, जो शिक्षकों के लिए मुसीबत बन रही हैं। इसे लेकर कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इस वजह से माना जा रहा है कि यह फैसला कहीं चुनाव में सरकार के लिए उल्टा न पड़ जाएग। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब सात साल से पदोन्नति पर रोक लगी। शिक्षकों में नाराजगी की बड़ी वजह है पदोन्नति, समयमान वेतनमान और पुरानी पेंशन का मामला।
नहीं होगा आर्थिक फायदा
कर्मचारी संगठनों ने उच्च प्रभार लेने का मामला स्वैच्छिक करने की मांग की है। मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का कहना है कि इस तरह का नियम जब अन्य विभागों में लागू है तो उसे शिक्षा विभाग में क्यों लागू नहीं किया गया है। विभाग की इस प्रक्रिया से कर्मचारियों, शिक्षकों को कोई आर्थिक लाभ, वरिष्ठता का लाभ भी नहीं मिलेगा। ऐसे में यह झुनझुना क्यों पकड़ाया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पदोन्नति का झुनझुना पकडक़र सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचायों को बिना काउंसिलिंग के अनिवार्यता उच्च पद का प्रभार दिया जा रहा है, जो कतई न्याय संगत नहीं है। इससे शिक्षकों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यदि विभाग को उच्च पद का प्रभार देना था तो तीन क्रमोन्नति पाए सहायक शिक्षक को कम से कम वरिष्ठ व्याख्याता का उच्च पद प्रभार देना चाहिए था, जिससे उसे आर्थिक लाभ भी होता। इस संबंध में मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री एवं प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर मांग की है कि उच्च पद का प्रभार ऐच्छिक रूप से दिया जाए, इसे अनिवार्य न किया जाए।