गरीबी हटाने व गेहूं निर्यात में मप्र ने मारी बाजी

आमजन की आय में की सवा लाख की वृद्धि …

मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। एक समय था जब मप्र बीमारु राज्य था और प्रदेश में हर क्षेत्र में समस्याएं ही समस्याएं ही थीं, लेकिन बीस साल के शासन में भाजपा ने इन सभी पर काम करते हुए मप्र को हर क्षेत्र में विकसित बनाते हुए खुद को विकसित राज्य के रुप में स्थापित करने में सफलता पाई है। मध्यप्रदेश प्रति व्यक्ति आय पहले 11 हजार 700 रुपए थी, जो अब बढक़र एक लाख 40 हजार रुपए हो गई है। यह बात केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्रदेश सरकार गरीब कल्याण महाअभियान के तहत मध्यप्रदेश के रिपोर्ट कार्ड (2003-2023) को जारी करते समय कही है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश प्रगति के सभी क्षेत्रों में आगे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को प्रगति की ओर उन्मुख राज्य बनाया है। हमें आजादी के अमृतकाल में सतत् विकास की ओर अग्रसर होना है। वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री मोदी जी ने मध्यप्रदेश को निरंतर और मन से आवश्यक सहयोग दिया है। बीमारू राज्य से बेमिसाल राज्य बनने वाले मध्यप्रदेश ने अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का गठन वर्ष 1956 में हुआ। वर्ष 1980 में आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ आशीष बोस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को एक प्रतिवेदन दिया था, जिसमें अविभाजित मध्यप्रदेश सहित, उत्तरप्रदेश, बिहार और राजस्थान को बीमारु राज्य कहा गया था। तब इन राज्यों को देश की ग्रोथ में बाधा मानते हुए कहा गया था कि इन राज्यों में सुधार आसान नहीं है। लेकिन मध्यप्रदेश ने इस टैग को खत्म किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को बीमारु राज्य से मुक्ति मिली है। प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में सफलता मिली है। चाहे कृषि का क्षेत्र हो, युवाओं को स्वभाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की सुविधा देने का प्रश्न हो, महिलाओं का कल्याण हो, सडक़, पानी, बिजली का क्षेत्र हो, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र हो, गरीबों को योजनाओं का लाभ दिलवाने का कार्य हो, सभी में मध्यप्रदेश ने बीस वर्ष में उल्लेखनीय कार्य किया है। आम जनता के हित में कार्य कर मध्यप्रदेश में बेमिसाल राज्य बना। बिजली, पानी, सडक़, स्वास्थ्य और सुशासन के साथ मजबूत कानून व्यवस्था से प्रदेश में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है।
विभागों की उपलब्धियों को भी बताया
मध्यप्रदेश में शिक्षा का बजट 2556 करोड़ से बढक़र 38 हजार करोड़ हुआ है। कोई भी समाज शिक्षा के विकास के बिना खड़ा नहीं हो सकता। मध्यप्रदेश में पूर्व सरकार के समय स्वास्थ्य का बजट सिर्फ 580 करोड़ रुपये था जो अब 16 हजार करोड़ है। इसमें आयुष्मान भारत योजना शामिल नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान में सिर्फ 844 रुपये की राशि खर्च होती थी अब लगभग 7 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। एमएसएमई सेक्टर में साल भर में 4 हजार 299 उद्योगों के पंजीयन होते थे। अब इनकी संख्या 3 लाख 61 हजार है। सडक़ निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पहले सिर्फ 60हजार किलोमीटर सडक़ें थीं। अब मध्यप्रदेश में 5 लाख 10 हजार किलोमीटर लम्बाई से अधिक की सडक़ें हैं जो आठ गुना से भी ज्यादा हैं। एनएच सडक़ों की लम्बाई 4800 से बढक़र 13 हजार किलोमीटर हो गई। कृषि क्षेत्र में कृषि विकास दर साढ़े छह गुना बढ़ गई है। गेंहूं खरीदी 4 लाख 38 हजार मीट्रिक टन से 70 लाख 96 हजार मीट्रिक टन हो गई है। धान खरीदी 0.95 हजार मीट्रिक टन से बढक़र 46 लाख 30 हजार मीट्रिक टन हो गई है। प्रदेश में 90 लाख से अधिक किसानों को 19 हजार करोड़ रुपए से अधिक लाभ दिए गए हैं। मध्यप्रदेश में नि:शुल्क राशन वितरण का लाभ सिर्फ 52 लाख परिवारों को मिलता था, जो करीब सवा करोड़ लोगों को मिल रहा है। मेडिकल सीटें 620 थीं ,जो अब 4 हजार से ज्यादा हैं।
इन उपलब्धियों का किया उल्लेख
शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश गरीबी से लोगों को मुक्ति दिलवाने में सबसे आगे है। पिछले 20 वर्ष में शिक्षा, सडक़, कृषि विकास दर, गेहूं खरीदी, धान खरीदी, राशन के वितरण, विद्यालयों के उन्नयन, पर्यटन क्षेत्र परियोजनाओं के क्रियान्वयन, योजनाओं के संचालन, नयी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाएं खोलने, राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण, हवाई अड्डों के विकास, ऊर्जा उत्पादन, ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा और अद्वैत संस्थान प्रारंभ करने की पहल, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण की पहल, सिंचाई क्षेत्र, महाकाल लोक के निर्माण, भोपाल और इन्दौर में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट, पेसा नियम लागू करने और निवेश के लिए मध्यप्रदेश को अनुकूल राज्य के रूप में उभारने के कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाने और नए भारत के निर्माण करने के संकल्प में मध्यप्रदेश जैसे राज्य सहयोगी हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का स्मरण भी किया।
डबल इंजन की सरकार ने कई कीर्तिमान बनाए
उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था का आकार 2003 के 71 हजार करोड़ से विगत वर्ष 13 लाख 50 हजार करोड़ तक ला दिया गया है। विशेषकर 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से डबल इंजन की मध्यप्रदेश सरकार ने विकास के नये कीर्तिमान रचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश के विकास को गति प्रदान करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। राष्ट्रीय जीएसडीपी में योगदान का प्रतिशत भी इस अवधि में 3.6 प्रतिशत से बढक़र आज 4.8 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2003 में 23 हजार करोड़ से बढक़र आज मध्यप्रदेश का बजट 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये हो गया है।