गरीबी खत्म होने को चुनावी मुद्दा बनाएगी भाजपा

भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मिशन 2023 को फतह


करने के लिए भाजपा और कांग्रेस में खंदक की लड़ाई लड़ी जा रही है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे को घेरने के लिए रोज नए नारे गढ़ रही हैं, रोज नए मुद्दे निकाल रही हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा के हाथ में एक ऐसा मुद्दा लग गया है, जो इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सभी दांवों और घोषणाओं पर भारी पड़ सकता है। वह है प्रदेश में गरीबी कम होने का। भाजपा इस मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी। गौरतलब है कि आज से करीब 18-20 साल पहले मप्र की गणना देश के बीमारू और गरीब राज्यों के रूप में होती थी। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों, नीयत और योजनाओं के कारण आज मप्र गरीबी से मुक्त प्रदेश बनने जा रहा है। हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि मप्र में 16 फीसदी से ज्यादा लोगों की गरीबी खत्म हो गई है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी कुछ वर्षों में मप्र पूरी तरह गरीबी से मुक्त हो जाएगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो सीधा जनता से जुड़ा हुआ है। अत: यह भाजपा के लिए मास्टर स्टोक साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि हाल ही में नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक) जारी किया है। जिसके अनुसार मप्र में 15.94 प्रतिशत अर्थात 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी सीमा से बाहर आए हैं, यह मप्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। मप्र में लोगों के पोषण, रहन-सहन, खान-पान के स्तर में लगातार सकारात्मक बदलाव आया है, जो केंद्र और राज्य सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं के परिणाम स्वरूप ही संभव हुआ है। दरअसल, मप्र में जबसे शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, उनका फोकस मप्र को देश का सबसे विकसित राज्य बनाने पर रहा है। यही कारण है कि वे रात-दिन मप्र के विकास के लिए काम करते रहते हैं। केंद्र की योजनाओं का सबसे पहले क्रियान्वयन करने में मप्र का कोई जवाब नहीं है। वहीं मुख्यमंत्री ने हर वर्ग के लिए योजनाएं बनवाई हैं। इस कारण प्रदेश में गरीबी कम हुई है।
उपलब्धि को भुनाने की यह है प्लानिंग
नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा ने उसे भुनाने की जो प्लानिंग बनाई है उसके अनुसार जिलों में नीति आयोग की रिपोर्ट पर कार्यशालाएं की जाएंगी। बुद्धिजीवियों व सोशल मीडिया इंफ्लुएन्शर्स के जरिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। रिपोर्ट डाटा से दिग्विजय सिंह शासन व शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल पर प्रचार किया जाएगा। जिलों के गरीबी रेखा के डाटा व किए गए विकास काम बताएं जाएंगे। 12 पैरामीटर्स पर गरीबी कम होने के काम बताए जाएंगे। सीएम शिवराज खुद गरीबी कम होने के डाटा अपनी सभाओं में बताएंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं को डाटा समझाकर कैम्पेनिंग में लगाए जाएंगे और नीति आयोग के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के जरिए ब्रांडिंग भी की जाएगी। इस दौरान होने वाली सभाओं में बताया जाएगा की प्रदेश में सरकार 5.18 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है इससे गरीबी घटी है। प्रदेश में दीनदयाल रसोई में 5 रुपए में भोजन दिया जा रहा है। भू-अधिकार योजना में 24 हजार जमीन के पट्टे दिए, पीएम आवास में 34.58 घर बनाए, आयुष्मान भारत में 29.58 लाख को मुफ्त इलाज दिया और उज्जवला योजना में 82.7 लाख को फ्री गैस कनेक्शन दिया गया है।
हर क्षेत्र में विकास से गरीबी में आई कमी
स्वच्छता में सबसे उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्वच्छता से वंचित लोगों में 19.81 प्रतिशत प्रतिशत की कमी आई है। खाना पकाने के ईंधन से वंचित लोगों के अभाव में 16.28 प्रतिशत की कमी, आवास से वंचित रहने वालों की संख्या में 15.12 प्रतिशत, पोषण अभाव में रहने वालों की संख्या में 13.6 प्रतिशत की कमी आई है। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या में 9.54 प्रतिशत की कमी, पेयजल अभाव में 8.84 प्रतिशत की कमी और आई है। स्कूली शिक्षा के अभाव के वर्षों में 6.06 प्रतिशत की कमी देखी गई है। बैंक खाते जैसी वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों में 5.98 प्रतिशत की कमी आई है। संपत्ति के अभाव में 5.68 प्रतिशत की गिरावट आई है। भरपूर बिजली मिलने से बिजली की कमी नहीं रही। इसलिए बिजली की सुविधा से वंचित रहने वालों की संख्या में 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। स्कूल उपस्थिति में 2.48 प्रतिशत की वृद्धि एवं बाल और वयस्क मृत्यु दर में 1.26 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। अलीराजपुर जिले में गरीबों का अनुपात सबसे अधिक 31.06 प्रतिशत कम हुआ है, जो 71.31 प्रतिशत से 40.25 प्रतिशत हो गया है। बड़वानी में 28.08 प्रतिशत कम हुआ, खंडवा में 27.38 प्रतिशत, बालाघाट में 26.47 प्रतिशत, टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है । बहुआयामी गरीब आबादी का अनुपात झाबुआ में 68.66 प्रतिशत से गिरकर वर्तमान में 49.62 प्रतिशत है, जो जिले के मल्टी डायमेंशनल पावर्टी से बचने वाली 19.24 प्रतिशत आबादी को दर्शाता है। भोपाल जिले में यह अनुपात 12.66 प्रतिशत से घटकर 6.75 प्रतिशत, इंदौर में 10.76 प्रतिशत से 4.93 प्रतिशत घटकर 5.83 प्रतिशत और जबलपुर में 19.5 प्रतिशत से 14.78 प्रतिशत हो गया है। अलीराजपुर जिले में गरीबी की गहनता में 9.29 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है जो 57.06 प्रतिशत से घटकर 47.77 प्रतिशत हो गई है। बड़वानी जिले में 7.53 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है जो 61.6 प्रतिशत से घटकर 49.74 प्रतिशत हुई, झाबुआ में 7.05 प्रतिशत घटी, धार में 49.34 प्रतिशत से 7.04 प्रतिशत घटकर 42.3 प्रतिशत हो गई, जबलपुर में 45.39 प्रतिशत से 6.71 प्रतिशत गिरकर 38.68 प्रतिशत और सीहोर जिले में 46.5 प्रतिशत से 6.38 प्रतिशत घटकर 40.12 प्रतिशत देखी गई है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक अलीराजपुर जिले में 0.407 से घटकर 0.192 हो गया है। यह 0.215 की गिरावट आधे से अधिक की कमी दिखाता है। इसके बाद बड़वानी जिले में 0.353 से घटकर 0.167, झाबुआ जिले में 0.385 से घटकर 0.243, खंडवा में 0.202 से घटकर 0.067, 0.135 की कमी आई है।
5 सालों में दिखी तेजी
नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मप्र में गरीबी बीते पांच सालों में कम हुई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोगों को राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। यह हमारे लिए अच्छी बात है। नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट में मप्र के लिए खुशखबरी है। सीएम का कहना है कि नीति आयोग ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स जारी किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि मप्र में 15.94 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर हुए हैं। कुल मिलाकर 1.36 करोड़ लोग गरीबी सीमा से बाहर हुए हैं। यह हम नहीं नीति आयोग कह रहा है। मैं समझता हूं मप्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक करोड़ 36 लाख लोगो को केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अलग-अलग लाभ दे रहे हैं उसका इंपैक्ट आता है। कुल मिलाकर यह हमें सफलता मिली है। मैं मानता हूं कि यह एक बढ़ा काम है जो हमारे मप्र में केंद्र और राज्य की कई योजनाओं की वजह से हुआ है। मप्र की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 45.9 प्रतिशत थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 25.32 प्रतिशत तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75 प्रतिशत (47.57 प्रतिशत से 43.82 प्रतिशत) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है। शहरी गरीब आबादी में 6.62 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 13.72 प्रतिशत थी जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 7.1 प्रतिशत तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता 2.11 प्रतिशत (44.62 प्रतिशत से 42.51 प्रतिशत) तक कम हो गई है।
गरीबी कम होने की उपलब्धि की जमकर ब्रांडिंग
चुनावी साल में नीति आयोग की यह रिपोर्ट भाजपा के लिए संजीवनी साबित हो रही है। भाजपा सत्ता और संगठन ने प्रदेश में आगामी चुनावों के मद्देनजर गरीबी कम होने की उपलब्धि की जमकर ब्रांडिंग करने जा रही है। इसके लिए मेगा प्लान तैयार किया गया है। जिन इलाकों में गरीबी कम होने के आंकड़े ज्यादा हैं, वहां अलग से निचले स्तर तक कैम्पेनिंग होगी। सरकार का पूरा फोकस अब इस पर है कि 2003 से 2023 की तुलना करके कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकार के अंतर को बताया जा सके। इसके लिए सत्ता-संगठन दोनों के अलग-अलग कैम्पेन तैयार होंगे। ये सोशल मीडिया से लेकर मैदान तक चलाए जाएंगे। चूंकि राष्ट्रीय नीति आयोग की रिपोर्ट में गरीबी कम होने का अधिकृत आंकड़ा है।