मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनाव के ठीक पहले अब प्रदेश
मंत्रिमंडल का विस्तार तय हो गया है। इस विस्तार में चार नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है। इन चार चहरों में कौन-कौन होगा इसका फैसला आज होने की संभावना है। अगर आज नाम तय हो जाते हैं , तो कल शपथ कराई जा सकती है, अन्यथा मामला कुछ दिनों के लिए टल जाएगा। समय कम होने की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार को अब टाला नहीं जाएगा। यही वजह है कि चार में जो दो नाम तय हो चुके हैं, उन्हें भोपाल बुला लिया गया है, जबकि दो अन्य नामों को लेकर जारी चर्चा के बीच दावेदार भी भोपाल आ गए हैं। बताया जा रहा है कि जिन चार विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा उनमें से दो को कैबिनेट और दो विधायकों को बतौर राज्यमंत्री शपथ दिलाई जाएगी। इस कार्यकाल में शिवराज सरकार का यह चौथा मंत्रिमंडल विस्तार होगा। सूत्रों का कहना है कि जो दो नाम पहले ही तय किए जा चुके हैं, उनमें पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और राजेंद्र शुक्ल के नाम शामिल हैं, जबकि दो अन्य नामों को तय करने कवायद जारी है। इनमें भी एक नाम को लेकर एकराय नहीं बन पा रही है। यह नाम है पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के भतीजे राहुल लोधी का। दावेदार विधायक अब शपथ ग्रहण कार्यक्रम होने के बाद ही भोपाल को छोड़ेगें। बसेन व शुक्ला का कैबिनेट मंत्री बनना तय है, जबकि दो अन्य जो मंत्री बनाए जाएंगे उन्हें बतौर राज्यमंत्री की शपथ दिलाई जाएगी। नाम तय करने में सर्वाधिक मुश्किल लोधी समाज के विधायक को लेकर आ रही है। उमाभारती अपने भतीेजे राहुल लोधी को बतौर मंत्री देखना चाहती हैं। इसमें सबसे बड़ा पेंच हैं उनका पहली बार का विधायक होना। उनके नाम पर ही एक राय नहीं बन पा रही है। दरअसल पार्टी में लोधी समाज के कई अन्य विधायक हैं, जिनका व्यक्तिगत रुप से राहुल की अपेक्षा अधिक प्रभाव है। इनमें जालम सिंह पटेल के अलावा प्रधुम्र सिंह लोधी के नाम शामिल हैं। जालम सिंह केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई हैं और कई बार के विधायक होने के साथ ही पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। दरअसल चुनाव के समय भाजपा के रणनीतिकार इन चेहरों के जरिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधना चहते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में अभी मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं, जबकि चार पद खाली हैं। इन रिकत पदों को भरकर ही पार्टी क्षेत्रीय व समीकरण साधना चाहती है। इसके अलावा एक पद आदिवासी महिला विधायक को मिलना तय माना जा रहा है। यह नाम महाकौशल अंचल से हो सकता है।
अभी यह है अंचलवार प्रतिनिधित्व
अगर प्रदेश मंत्रिमंडल में अंचलवार प्रतिनिधित्व को देखा जाए तो प्रदेश में सात अंचल माने जाते हैं। इनमें महाकौशल व विंधय से सबसे कम एक- एक, निमाड़ इलाके से दो , मध्य अंचल से तीन, बुंदेलखंड से चार , मलावा से आठ और ग्वालियर -चंबल अंचल से सर्वाधिक 11 मंत्री हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में बिसेन का नाम तय है। वे भाजपा के वरिष्ठ नेता और बालाघाट से सात बार विधायक हैं। वह कैबिनेट में जगह की मांग को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं। वह मप्र के महाकौशल क्षेत्र से आते हैं, जहां 2018 में कांग्रेस को 24 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 13 सीटें जीतीं। बिसेन के मंत्री बनने से पार्टी को चुनाव से ठीक पहले क्षेत्र तक पहुंच बनाने में आसानी होगी। इसी तरह से चार बार के रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला विंध्य क्षेत्र से आते हैं, जहां भाजपा ने 2018 में 30 में से 24 सीटें जीतकर जीत हासिल की। वर्तमान में राज्य मंत्रिमंडल में विंध्य से एक मंत्री हैं, इसलिए शुक्ला के शामिल होने से पार्टी इस क्षेत्र से अधिक मंत्रियों की मांग को पूरा करेगी।
जारी है मंथन का दौर
मंत्रिमंडल में किसे शामिल करना है। इसको लेकर मंथन का दौर जारी है। इसके तहत बीे रोज भी पार्टी के बड़े नेताओं के बीच विचार विमर्श किया गया। इसमें कोई नाम तय नहीं हो पाने से अब आज एक बार फिर से मंथन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर इसमें सहमति बन जाती है तो फिर शाम को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। यह मंथन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ,प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और कैलाश विजयवर्गीय के बीच किया जा रहा है।
ओबीसी को साधने की कोशिश
कैबिनेट विस्तार के जरिए मध्य प्रदेश के क्षेत्रीय और जातीय बैलेंस बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार में जिन नेताओं के नाम चल रहे हैं, उनमें एक ब्राह्मण , एक आदिवासी और दो ओबीसी नेता संभावति हैं। शिवराज की इन्हें कैबिनेट में शामिल करके जातीय समीकरण साधने की कवायद है। राजेंद्र शुक्ल मध्य प्रदेश के विंध्य से आते हैं, जालम सिंह पटेल बुंदेलखंड ,जबकि गौरीशंकर बिसेन महाकौशल से आते हैं। इस तरह विंध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्र के नेताओं को कैबिनेट में शामिल कराकर सियासी संदेश देने की कोशिश है। इसी तरह से प्रदेश में कांग्रेस भी ओबीसी समुदाय को साधने की कवायद में जुटी हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सागर की रैली में ऐलान किया है कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इतना ही नहीं कमलनाथ लगातार ओबीसी के अलग-अलग नेताओं के साथ बैठकें भी कर रहे हैं। प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी हैं और इन्हें बीजेपी का परंपरागत वोटर भी माना जाता है, लेकिन कांग्रेस की ओबीसी प्रेम ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में जिन 4 नेताओं के नाम की चर्चा चल रही है, उसमें 2 ओबीसी नेता शामिल हैं।