सर्वे बढ़ा रहे हैं दावेदारों की धडक़नें

भोपाल/मंगल भारत। मध्यप्रदेश में चुनाव की कवायद पूरी तौर


पर शुरु हो चुकी है। यही वजह है कि तमाम दलों द्वारा पार्टी प्रत्याशी की तलाश का काम भी तेज हो चुका है। इसके लिए राजनैतिक दलों द्वारा सर्वे कराए जा रहे हैं। प्रदेश की 230 विधानसभा में लगभग हर दिन कोई न कोई टीम जहां सर्वे के नाम पर लोगों से राय ले रही है, तो अब फोन पर भी सर्वे होने की बात सामने आ रही है। ऐसे में इन सर्वे पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं इन सर्वे के नाम पर कुछ लोग ठगी तो नहीं कर रहे हैं। प्रदेश में चंद महीने बाद अगली विधानसभा चुनने के लिए मतदान होना है। इसके लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में तमाम राजनैतिक दल अपने- अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, तो उम्मीदवार बनने के लिए कार्यकर्ता अपना वायोडाटा नेताओं तक पहुंचा रहे हैं। इससे इतर प्रदेश भर में दलों द्वारा सर्वे कराए जा रहे हैं। राजनैतिक दल सार्वजनिक तौर पर इस बात से इंकार कर रहे हैं कि उनके द्वारा किसी भी तरह का सर्वे कराया जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी बातें सामने आई हैं कि सर्वे हो रहा है और इसे करने वाली टीमें मैदान पर अंतिम आंकड़े बनाने में जुटी हुई हैं। इतना ही नहीं मोबाइल फोन के जरिए भी सर्वे होने की बात सामने आ रही है। पिछले दिनों ऐसा ही एक आडियो सामने आया है, जिसमें सर्वे करने वाले लोग टिकट का दावा कर रहे नेता से ही सवाल पूछ रहे हैं। जानकार स्वीकार करते हैं कि राजनैतिक दल अपने-अपने स्तर पर सर्वे कराकर अपने दल की वास्तविक स्थिति और संभावित प्रत्याशियों के बारे में पता लगाती है, लेकिन इसके लिए उनके अपने मापदंड होते हैं। इसमें व्यक्तिगत सम्पर्क को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन ऐसा कभी नहीं होता कि मोबाइल के जरिए सर्वे किया जाए।
सर्वे ने दावेदारों की बढ़ाई धडक़न
इधर इस तरह के सर्वे ने दावेदारों की धडक़ने भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि मोबाइल के जरिए सर्वे करने वाले लोग उनसे ही पूछ रहे हैं कि उनके यहां टिकट किसे मिलना चाहिए। इतना ही नहीं उन्हें ये भी बताया जा रहा है कि पार्टी के सर्वे में किन-किन लोगों के नाम है। इन नामों में दावेदारों का नाम भी नदारत रहता है। ऐसे में दावेदारों को स्वयं समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उनसे ऐसे सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं और क्या वाकई में उनके नाम दावेदारों की सूची में शामिल नहीं हैं। ऐसे में दावेदार अपना क्षेत्र छोडक़र भोपाल और अपने आकाओं के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इधर सूत्र दावा कर रहे हैं कि सर्वे और टिकट दिलाने के नाम पर कई लोग सक्रिय हैं, जो अपने आपको वरिष्ठ नेताओं का करीबी बताकर चुनावी टिकट दिलाने में मदद करने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठा रहा है कि कहीं टिकट के इस घमासान में कोई छला या ठगा तो नहीं जा रहा है।