भोपाल/मंगल भारत। मध्यप्रदेश के 1.36 करोड़ लोग गरीबी
के दायरे से मुक्त हो गए हैं। इनमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की 15 लाख महिलाएं भी शामिल हैं। ये महिलाएं 10 हजार रुपए मासिक की आय अर्जित करने लगी हैं। बावजूद इन्हें मुफ्त में राशन और सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसको लेकर आजीविका मिशन से जुड़ी शहडोल जिला पंचायत सदस्य की लोकायुक्त में शिकायत करते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने संबंधी आवेदन दिया गया है। भोपाल के सोशल एक्टिविस्ट भूपेंद्र प्रजापति ने लोकायुक्त में शिकायत करते हुए सरकारी सुविधा लेने वाली ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला पंचायत प्रतिनिधियों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने जिला पंचायत शहडोल की सदस्य फूलवती सिंह के बारे में बताया कि वे कावेरी स्व सहायता समूह की सचिव हैं। वे आर्थिक रूप से संपन्न हैं, जिला पंचायत सदस्य बनने पर सरकार से मानदेय मिल रहा है। उनके पति वर्ष 1988-89 से शासकीय शिक्षक हैं।
यह हैं नियम
सामाजिक आर्थिक जातिगत सर्वेक्षण 2011 के अनुसार स्व सहायता समूह की सदस्य होने के लिए बीपीएल होना आवश्यक है । समूह की सदस्य वह महिला नहीं हो सकती जिसका परिवार आयकर दाता हो और जिसकी पारिवारिक आए 10 हजार रु. से ज्यादा हो तथा 5 एकड़ से ज्यादा जमीन हो । शिकायतकर्ता भूपेंद्र प्रजापति का कहना है कि मैंने जिला पंचायत शहडोल की सदस्य की लोकायुक्त में शिकायत की है। अगर सही जांच की जाए तो प्रदेश में ऐसे कई आर्थिक रूप से मजबूत परिवार मिलेंगे, जिन्होंने समूह के जरिए करोड़ों रु. आजीविका हेतु लिए हैं।
ऐसे ले रहीं सरकारी फायदा
कावेरी समूह जुलाई 2007 से पंजीकृत है। समूह के माध्यम से पोषण आहार वितरण, गेहूं धान खरीदी केंद्र, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए यूनिफॉर्म सिलाई आदि के काम दिए गए।
श्योपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष भी है समूह में
ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी बड़ी संख्या में महिलाएं पंच, सरपंच, उप सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा जिला पंचायत सदस्य से लेकर अध्यक्ष पद तक पहुंची हैं। इन्हें सरकार द्वारा मानदेय दिया जा रहा है। जिला पंचायत श्योपुर की अध्यक्ष महिला समूह में होते हुए निर्वाचित हुई हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन में करीब 35 लाख महिलाएं शामिल हैं।
समूह में रहकर महिलाओं के लिए काम तो कर सकती हैं
शहडोल की जिला पंचायत सदस्य स्व सहायता समूह की सदस्य रहते हुए महिलाओं के उत्थान के लिए काम तो कर सकती हैं। उन्हें मिशन की ओर से कोई आर्थिक फायदा नहीं दिया जाएगा। मिशन की करीब 15 लाख महिलाएं अब दस हजार रुपए तक मासिक कमाई करने लगी हैं।
एलएम बेलवाल, सीईओ,
ग्रामीण आजीविका मिशन