चुनावी शंखनाद से पहले कमजोर सीटों पर घोषित होंगे प्रत्याशी

हाई-प्रोफाइल और मंत्री-विधायकों की सीटों पर सबसे बाद में होगा निर्णय.

पहली सूची जारी करने के बाद भाजपा में जिस तरह कुछ प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है, उसको देखते हुए पार्टी ने चुनावी शंखनाद यानी आचार संहिता लागू होने से पहले कमजोर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करने की तैयारी कर ली है। पार्टी की रणनीति के अनुसार शेष बची 64 आकांक्षी सीटों के साथ ही पार्टी उन 20-25 सीटों पर प्रत्याशी चयन करने में विशेष सतर्कता बरत रही है, जहां सर्वे में विधायक को कमजोर बताया गया है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार इन सीटों पर अप्रत्याशित चेहरों को टिकट दे सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि आचार संहिता लगने से पहले इन सीटों पर भाजपा दो-तीन किस्तों में टिकटों की घोषणा कर देगी। इसके पीछे रणनीति यह है कि प्रत्याशियों को प्रचार करने का भरपूर मौका मिल सकता है। संभावना जताई जा रही है कि इस बार अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लागू हो सकती है। चुनाव आयोग ने मप्र सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव 2018 के कार्यक्रम का ऐलान 6 अक्टूबर को किया था। उसी दिन से इन सभी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। मप्र में सभी सीटों पर एक ही चरण में 28 नवंबर को वोटिंग और 11 दिसंबर को मतगणना कराई गई थी।
मप्र विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं। इससे पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों दल के नेता तैयारी में जुट गए हैं। अब दोनों ही दलों के नेताओं को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है। इस बीच कांग्रेस पहली और भाजपा ने अपनी दूसरी प्रत्याशियों की सूची को रोक दिया है। माना जा रहा है कि दोनों ही दलों को सूची के बाद असंतुष्टों के आक्रोश फूट पड़ने का डर है, इसलिए कांग्रेस जनाक्रोश यात्रा पूरी होने का और भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा संपन्न होने का इंतजार कर रही है। माना जा रहा है कि दोनों दल अपनी यात्राओं के बाद प्रत्याशियों का एलान कर सकते हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो भाजपा ने 13 सितंबर को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में करीब 40 नामों पर मुहर लगा दी गई है। हालांकि, इस सूची के नामों की घोषणा भाजपा ने अब तक नहीं की है। जबकि इससे पहले केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के अगले ही दिन भाजपा ने 39 हारी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया था। इसके बाद कई सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध शुरू हो गया था। कई जगह जन आशीर्वाद यात्रा में भी इसका असर देखने को मिला। अब पार्टी भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित कर रही है। इसमें 10 लाख कार्यकर्ताओं का एकजुट करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। पार्टी अब कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद अपनी दूसरी सूची का ऐलान करने की योजना पर काम कर रही है, ताकि प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद कहीं कोई विरोध प्रदर्शन हो तो उसका कार्यक्रम पर कोई असर ना हो।
120-125 सीटों पर पूरी तैयारी
गौरतलब है कि मप्र में भाजपा इस बार कुछ अलग ही रणनीति पर काम कर रही है। इसी के तहत पार्टी ने 39 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। अब पार्टी अन्य सीटों पर प्रत्याशी चयन की कवायद में जुटी हुई है। इसके तहत चुनाव आचार संहिता के पहले तक तीन किस्तों में करीब 120-125 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया जाएगा। साथ ही सभी 230 सीटों पर चुनावी घोषणाओं से पहले बड़े नेताओं का धुंआधार प्रचार एवं चुनावी सभाएं भी करा ली जाएं ताकि , चुनावी खर्च का मीटर डाउन होने के पहले ही प्रचार का आधे से ज्यादा काम निपट जाए। इसके बाद हाई-प्रोफाइल, कश्मकश वालीं और मंत्री-विधायकों की सीटों पर प्रत्याशियों का फैसला अंतिम दौर तक चलता रहेगा। कई सीटों पर भाजपा चौंकाने वाले और नए चेहरे भी मैदान में उतारेगी।
सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार कार्य योजना
इस बार के चुनाव में भाजपा सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है। भाजपा के अभी तक के आकंलन में यह बात सामने आई है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 60 विधायकों का टिकट काट सकती है। दरअसल, पार्टी ने मुश्किल सीटों पर दूसरे चेहरे की तलाश की है, लेकिन आम राय नहीं बन पाई है। जहां टिकट बदलना है या विधायक का टिकट काटना है, वहां एक नहीं कई दावेदार हैं। इससे विरोध की भी आशंका है। ऐसे में पार्टी का पूरा फोकस सर्वे रिपोर्ट पर है। गौरतलब है कि भाजपा हाईकमान ने इस बार चुनाव संचालन और प्रबंधन के सभी सूत्र अपने हाथ में ले लिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुनाव संबंधी हर गतिविधि की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर के साथ केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव चुनावी प्रभारी की भूमिका में हैं। ये लोग अलग-अलग चुनावी सर्वे की रिपोर्टस का अपडेट लेने के साथ स्वयं भी वोटर्स की नब्ज भी टटोलने में जुटे हैं। प्रदेश में सत्ता- संगठन की टीम के साथ इनका समन्वय भी चल रहा है।
इस बार नई नीति-नई रणनीति
पार्टी हर सीट पर जांच परख और सर्वे के आधार पर टिकट तय करने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में कुछ सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। इस बार पार्टी की नई नीति-नई रणनीति ने सभी को चौंका दिया है। मप्र का यह प्रयोग और पैटर्न देश के अन्य राज्यों के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भी अपनाया जाएगा। भाजपा की रणनीति है कि चुनावी शंखनाद और पहले दिन से ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पर मानसिक दबाव और बढ़त बनाए रखना। यह पहला मौका है, जब भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की पहली सूची चुनाव से करीब 100 दिन पहले ही जारी कर दी। भाजपा की 103 हारी हुई सीटें हैं, इन सभी के साथ कुछ ऐसी विधानसभा सीटें जहां प्रत्याशी के नाम को लेकर कोई असहमति नहीं है। इसलिए चुनाव आचार संहिता के पहले 3 किस्तों में ऐसी लगभग सवा सौ सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया जाएगा। इसके बाद हाई प्रोफाइल और जोर-आजमाइश वाले क्षेत्रों के साथ कांग्रेस को सस्पेंस में रखने कई क्षेत्रों में डाल-डाल और पात-पात वाली ट्रिक भी अपनाई जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 2018 के चुनावी नतीजों और गलतियों से सबक लेकर भाजपा हाईकमान ने इस बार चुनाव जंग की तकनीक भी बदल दी। अलग-अलग मोर्चों पर कई टीम एक साथ आक्रामक अंदाज में काम शुरू कर चुकी हैं। चुनावी घोषणा पत्र जारी होने के पहले ही घोषणाओं का सिलसिला चल रहा है। आचार संहिता लागू होने के पहले ही सभी क्षेत्रों में घर-घर दस्तक और बड़े नेताओं की चुनावी सभाओं का आधा काम निपटाने का लक्ष्य तय किया है।