भाजपा की चुनावी तैयारियों व जन आर्शीवाद यात्रा के बीच.
एक बार फिर से भाजपा में भगदड़ शुरु हो गई है। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने विरोधी दलों का दामन थामना तय कर लिया है। इन नेताओं में आदिवासी से लेकर पिछड़ा वर्ग तक के बड़े चेहरे शामिल है। इन नेताओं की वजह से कांग्रेस ही नहीं बल्कि, आप जैसी पार्टी को ताकत मिलना तय हो गया है। जिन नेताओं ने भाजपा को अलविदा कहा है , उनमें पूर्व विधायक ममता मीणा भी शामिल हैं। उनके द्वारा आप का साथ देना तय कर लिया गया है। इसी तरह से बालाघाट के पूर्व सांसद बोधसिंह भगत कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। इसके अलावा श्रीमंत समर्थक इंदौर के भाजपा नेता प्रमोद टंडन ने भी भाजपा छोड़ दी है। बुधनी के भाजपा नेता राजेश पटेल भी कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। इंदौर के भाजपा नेता दिनेश मल्हार ने भी पार्टी छोड़ दी, लेकिन उन्होंने अभी किसी दूसरे दल में जाने की घोषणा नहीं की है।
पूर्व विधायक मीणा ने आप में जाने का तय कर लिया है। वे दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेंगी। दरअसल वे भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज चल रही थीं। उनकी जगह पार्टी ने प्रियंका मीणा को टिकट दिया है। उनकी नाराजगी की वजह है पार्टी के नेताओं द्वारा की गई वादा खिलाफी। टिकट कटने के बाद से ही ममता मीणा द्वारा लगातार अपने क्षेत्र में जन आशीर्वाद यात्रा निकालती रही हैं। वे आज भोपाल में आकर व्यक्तिगत रूप से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा सौपने जा रहीं हैं। इसके तत्काल बाद वे भोपाल से सीधे समर्थकों के साथ दिल्ली रवाना हो जाएंगे, जहां पर वे कल बुधवार को आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेंगी। माना जा रहा है कि उन्हें आप द्वारा उम्मीदवार बनाया जाएगा।
इससे और बढ़ गई नाराजगी
पूर्व विधायक ममता मीणा का कहना है कि टिकट कटने के बाद हम शांत थे, किन्तु पार्टी कार्यक्रमों में तक हमें बुलाना बंद कर दिया गया था। जिस तरह से उमा भारती को जन आशीर्वाद यात्रा, में नहीं बुलाया गया, उसी तरह हमें भी नहीं पूछा गया। यही नहीं पार्टी ने पुराने कार्यकर्ताअ है। उन्हें दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया गया है। इतना अपमान कैसे सहन करें। एक महीने पार्टी का इंतजार किया। आज यह पार्टी वो पार्टी नहीं बची है।
टंडन भी हुए बेगाने
श्रीमंत समर्थक इंदौर के भाजपा नेता प्रमोद टंडन ने भाजपा छोड़ दी। उनके अलावा इंदौर के भाजपा नेता दिनेश मल्हार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। उधर, कहा जा रहा है कि श्रीमंत समर्थक ग्वालियर चंबल के आधा दर्जन बड़े नेता भी 15 दिनों में साथ छोडक़र कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इंदौर में टंडन ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कहा कि वे 23 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में फिर से कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेकर घर वापसी कर लेंगे। उनका कहना है कि मैं लंबे समय से भाजपा में सहज महसूस नहीं कर रहा था। उधर, इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे दिनेश मल्हार ने भी भाजपा छोड़ दी। उन्होंने कहा कि वे अगला निर्णय दो दिन में करेंगे। इसी तरह से बुधनी के भाजपा नेता राजेश पटेल भी कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं।
पूर्व सांसद भगत भी हुए कांग्रेसी
भाजपा को महाकौशल इलाके में भी एक बड़ा झटका लगा है। बालाघाट के पूर्व सांसद बोधसिंह भगत ने अब कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की है। कांग्रेस की सदस्यता लेने के लिए भगत बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ भोपाल आ चुके हैं। भगत कटंगी विधानसभा सीट से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन भाजपा से टिकट कटने के संकेत मिलने पर उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जोशी के अलावा पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, गिरिजाशंकर शर्मा, वीरेंद्र रघुवंशी भी उन बड़े नामों में शामिल हैं। जिन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। भोपाल में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता के भांजे आशीष अग्रवाल भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
अब तक दजर्ननों नेता छोड़ चुके हैं भाजपा
प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले जिस तेजी से नेता पार्टी बदल रहे हैं, ऐसा कम ही देखने को मिला है। भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की संख्या तकरीबन 3 दर्जन से ज्यादा हो गई है। ममता मीणा से पहले 2 बार विधायक रहे नर्मदापुरम इलाके कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा के भाई गिरजाशंकर ने कांग्रेस ज्वाइन की थी। प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी नेताओं का लगातार पार्टी को छोड़ना चुनौती बन गया है। ऐसा कोई हफ्ता नहीं जा रहा जब भाजपा से कोई नेता कांग्रेस में नहीं जा रहा हो। ऐसे नेताओं की संख्या तकरीबन 41 के आसपास है। भाजपा इनके पार्टी छोड़ने को चुनौती नहीं मानती है लेकिन इन नेताओं का अपना क्षेत्र में प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। संगठन में नए लोग आ गए हैं, वे पुराने लोगों को लगातार दरकिनार कर रहे हैं। पुराने नेताओं की पूछपरख नहीं की जा रही है और संगठन में भी कोई सुनने वाला नहीं है। सूबे के असंतुष्टों को मनाने का जिम्मा तमाम केंद्रीय स्तर के नेताओं को देने के बाद भी पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में कमी नहीं आ रही है।
यह नेता भी छोड़ चुके हैं भाजपा का साथ
जो भाजपा नेता साथ छोड़ चुके हैं उनमें पूर्व विधायकगण ममता मीणा (बीनागंज), गिरजाशंकर (नर्मदापुरम), दीपक जोशी (हाटपिपल्या), अनुभा मुंजारे, भंवर सिंह शेखावत (धार), कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, आदिवासी नेता और पूर्व सांसद माखन सिंह सोलंकी (बड़वानी), सेवड़ा के पूर्व विधायक राधेलाल बघेल के अलावा पूर्व विधायक राव देशराज सिंह जी के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव (अशोक नगर), नरियावली विधायक प्रदीप लारिया के भाई हेमंत लारिया, हरदा में मंत्री कमल पटेल के सहयोगी रहे दीपक सारण, मध्य प्रदेश दुग्ध संघ और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर रही प्रसिद्ध पर्वतारोही मेघा परमार, नीतू परमार नगर पालिका अध्यक्ष मुल्ताई बैतूल, पूर्व दस्यु मलखान सिंह, सुरखी से नीरज शर्मा, डॉ. आशीष अग्रवाल गोलू शामिल हैं।