आपकी सुरक्षा आपके हाथ!

मप्र में 8 हजार अपराधी फरार.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में आपको अपनी सुरक्षा स्वयं ही करनी होगी, क्योंकि यहां अपराध करने के बाद 8 हजार से अधिक अपराधी फरार हैं। ये अपराधी गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के हैं। हालांकि चुनाव को देखते हुए पुलिस सतर्क हुई है। वहीं पुलिस मुख्यालय ने उपरोक्त राज्यों की पुलिस को इन अपराधियों की रिपोर्ट भेजी है। इन अपराधियों के अलावा इस समय मप्र में 39,893 अपराधी बेल पर जेल से बाहर हैं। इनमें से कई अपराधियों की बेल निरस्त हो चुकी है, लेकिन 52 जिलों की पुलिस उनको पकड़ नहीं पाई है। या तो ये अपराधी राज्य में ही कहीं छिपकर बैठे हुए हैं या फिर राज्य से फरार हो गए हैं। वहीं पैरोल पर जेल से निकले 143 कैदी भी फरार हैं। दरअसल, चुनाव का समय आते ही पुलिस ने अपराधियों की धर-पकड़ तेज कर दी है। लेकिन प्रदेश में अपराध करने के बाद 8401 बदमाश अपने राज्यों में शरण ले चुके हैं। मप्र पुलिस को लंबे समय से दूसरे राज्यों में बैठे अपराधियों की तलाश है। हालांकि गिरफ्तारी के लिए पुलिस कोशिश कर चुकी है, लेकिन हाथ में नहीं आए थे। ऐसे अपराधियों की पीएचक्यू ने सूची तैयार की है। जिन्हें मप्र पुलिस ने फरार या फिर नियमित वारंटी घोषित कर दिया है। सभी आरोपी मप्र से सटे हुए राज्यों के हैं। जिन्होंने मप्र में दाखिल होकर अपराध किया। पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए भाग निकले।
पड़ोसी राज्यों से समन्वय नहीं
फरार अपराधियों के आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि मप्र को अपने पड़ोसी राज्यों से समन्वय नहीं है। राज्यों में कानून व्यवस्था के साथ दूसरे राज्यों में अपराध और बदमाशों पर कार्रवाई के लिए हर साल डीजी स्तर के अधिकारियों की कार्डिनेशन बैठक होती है। इस बैठक में ला एंड आर्डर बनाए रखने के लिए पुलिस अधिकायिों के सुझाव लिए जाते हैं। खास तौर से सीमा क्षेत्र में पुलिस के बीच में समन्वय पर चर्चा होती है। सवाल यह है कि मप्र के पड़ोसी राज्यों में पुलिस के बीच समन्वय नहीं है। जिसका नतीजा है कि मप्र पुलिस को दूसरे राज्यों को अपराधियों की सूची देने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
सबसे अधिक यूपी के बदमाश: पुलिस ने अपराधियों की सूची तैयार कर गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश पुलिस को भेजी दी है। सबसे ज्यादा अपराधी उत्तर प्रदेश के हैं। जो मप्र से सटे जिलों में अपराध कर फरार हो चुके हैं। पीएचक्यू द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार फरार अपराधियों में छत्तीसगढ़ के 400, गुजरात के 292, महाराष्ट्र के 1111, राजस्थान के 2198 और उत्तर प्रदेश के 4400 हैं। पीएचक्यू के अधिकारियों का कहना है कि बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए पड़ोसी राज्य की पुलिस से कई बार संपर्क किया है। उन्हें अपराधियों की जानकारी भी दी जा चुकी है लेकिन गिरफ्तारी के लिए सहयोग नहीं मिलने से सफलता नहीं मिली है। खास बात है कि फरार आरोपियों में नक्सली भी शामिल है। छत्तीसगढ़ सरकार को 46 नक्सलियों की सूची दी गई है। इन पर बालाघाट पुलिस ने इनाम भी घोषित किया है। सभी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। वे मध्य प्रदेश में नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।
जमानत पर घूम रहे 39000 से ज्यादा अपराधी
वहीं प्रदेश में 39,000 से ज्यादा खूंखार अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। एमपी के स्पेशल डीजी ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को भेजे आंकड़े में इसकी जानकारी दी है। इस आंकड़े को देख लोग मप्र पुलिस पर तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। पिछले दिनों डीजी जीपी सिंह ने पुलिस की कार्यप्रणाली की रिपोर्ट जारी कर दी थी। सिंह ने मध्य प्रदेश के 39 हजार से अधिक बेल जंपर और स्थाई वारंटियों की सूची जारी कर दी। इस सूची के बाद पुलिस अफसरों की कार्रवाई पर सवाल उठे। मामले से राजनैतिक तूल पकड़ा तो सभी जिलों में वारंटियों की धरपकड़ तेज हो गई। नाइट गश्त और कांबिंग अभियान चलाते हुए अपराधियों को पकड़ा गया। साथ ही पुलिस के सामने चुनौती एक और है।
पैरोल पर निकले 143 कैदी भी फरार
इस सब के अलावा प्रदेश में जेल से पैरोल पर निकले 143 कैदी भी फरार हैं। फरार कैदियों में भोपाल और उज्जैन में सबसे ज्यादा कैदी हैं। पुलिस अब तक इन्हें पकड़ नहीं पाई है, जबकि कोर्ट में इन्हें पेश करने के लिए ऑर्डर पर ऑर्डर आ रहे हैं। वहीं पैरोल पर भी सबसे ज्यादा फरार कैदी भोपाल और उज्जैन की जेलों से हैं। लोगों का कहना है कि अब जब राजधानी भोपाल की पुलिस का यह हाल है तो अन्य जिलों की बात ही छोड़ दीजिए। वहीं बात अगर जमानत पर छूटे अपराधियों की करें तो जमानत पर सबसे ज्यादा ग्वालियर, रायसेन और उज्जैन के आरोपी हैं।