दिग्विजय सिंह निकाल रहे लोकतंत्र बचाओ पदयात्रा.
प्रदेश में चुनावी सरगर्मियों के बीच भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा और कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा चल ही रही है। इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनाव के पहले एक बार फिर पदयात्रा निकालने जा रहे हैं। इसके पहले 2018 विस चुनाव के पहले उन्होंने 3500 किमी की नर्मदा परिक्रमा की थी। जिसका सियासी लाभ कांग्रेस को मिला था। सिंह आज से अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं, जो 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन समाप्त होगी। यह यात्रा कांग्रेस की कमजोर कड़ी वाले जिले विदिशा में निकाली जाएगी। बताया जा रहा है कि 10 दिन तक विदिशा के अलग-अलग विधानसभाओं में पदयात्रा होगी। पिछले चुनाव में विदिशा जिले में 5 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस को मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री की लोकतंत्र बचाओ पदयात्रा का आगामी विधानसभा चुनाव में कितना सियासी लाभ पार्टी को मिलता है, यह तो समय बताएगा।
अब कांग्रेस घर-घर देगी गंगाजल
कथा, कीर्तन और दफ्तर में सुंदरकांड से शुरू हुए कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की कड़ी में एक और नया प्रयोग किया गया है। इंदौर के कांग्रेस नेताओं द्वारा अब घर-घर गंगाजल की एक लाख बोतलें बांटी जाएंगी। यह शुरुआत में इंदौर के विधानसभा क्षेत्र, फिर मालवा-निमाड़ के इलाकों में बांटा जाएगा। गंगाजल के साथ कार्यकर्ता कमलनाथ के ग्यारह वचन छपे पोस्टर भी बांटेंगे। इसके माध्यम से कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी की छवि बदलने का प्रयास करेंगे।
निशा बांगरे ने दी चेतावनी
डिप्टी कलेक्टर के पद से त्यागपत्र देने वाली निशा बांगरे ने गुरुवार को एक वीडियो मैसेज के जरिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया। उन्होंने शासन को चेताया कि मेरा इस्तीफा नामंजूर कर चुनाव लड़ने से रोका जाता है, तो आमरण अनशन करूंगी। उन्होंने कहा कि अगर किसी पार्टी ने मुझे टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय लडूंगी। उन्होंने कहा, सर्वधर्म प्रार्थना में जाने से शासन के पत्र द्वारा उन्हें रोका गया और इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दिया तो तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। एक माह तक इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जीएडी के सर्कुलर के विपरीत उनके खिलाफ अपने घर के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के कारण विभागीय जांच शुरू कर दी और इसी जांच का हवाला देकर इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया।
‘आप’ के बाद अब ‘बाप’ भी लड़ेगी चुनाव
जिस आदिवासी वोट बैंक पर प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस आंखें गड़ाए हुए हैं, वहीं ,जयस और बाप जैसी पार्टियों ने चुनावी मैदान में कूदने का ऐलान कर दिया है। इससे इन दलों के समीकरण गड़बड़ाने के आसार बढ़ रहे हैं। भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) पश्चिम मध्य प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। गौरतलब है कि पिछले नगरीय निकाय चुनाव में मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ा था। भारतीय आदिवासी पार्टी मूलत: राजस्थान की पार्टी बताई जा रही है, जिसका मध्यप्रदेश और गुजरात से सटे भील आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में प्रभाव अधिक है। इसी माह 10 सितम्बर को बनी यह पार्टी अब मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।