अब कसौटी पर भाजपा के 124 विधायक

आधे मंत्रियों के टिकट खतरे में!

भाजपा अब तक प्रत्याशियों की तीन सूचियां जारी कर चुकी है, जिसमें 79 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जा चुके हैं। पहली दो सूची में भाजपा ने 39-39 नाम जारी किए थे। तीसरी सूची में सिर्फ एक नाम घोषित किया था। अब 151 सीटें शेष रह गई हैं जहां, भाजपा को प्रत्याशी का नाम सामने लाना है। इनमें 124 वे सीटें हैं, जहां भाजपा के विधायक हैं। इस बार संगठन की कसौटी पर प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार के करीब आधे मंत्रियों समेत पांच दर्जन विधायकों के टिकट खतरे में हैं। दरअसल, पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे और प्रवासी कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट में इन विधायकों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकमबेंसी है। इसलिए माना जा रहा है कि इनकी जगह दूसरों को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है।
भाजपा ने अभी तक प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उससे एक मात्र संदेश दिया गया है कि केवल जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। इससे भाजपा विधायकों को टिकट कटने का डर सताने लगा है। जानकारी के अनुसार इस बार मप्र में भाजपा हर मामले में फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। इसी के तहत कमजोर सीटों पर दिग्गजों को टिकट देकर साफ कर दिया है कि पार्टी को जीत से कम कुछ नहीं चाहिए। पार्टी की इस फॉर्मूले पर कई मंत्री कसौटी पर हैं।
तीन विधायकों का टिकट कटा, 60 कतार में
प्रदेश में भाजपा के 127 विधायक हैं। इनमें से पार्टी ने दूसरी सूची में 3 विधायकों का टिकट काट दिया है। मैहर से बगावती सुर अपनाने वाले नारायण त्रिपाठी विधायक हैं, जिनकी जगह श्रीकांत चतुर्वेदी को कैंडिडेट घोषित किया गया है। सीधी से विधायक केदारनाथ शु्क्ल का टिकट कटा है, उनकी जगह पर सीधी सांसद रीति पाठक को उतारा गया है। जबकी नरसिंहपुर से जालम सिंह पटेल का टिकट काटा गया है, उनकी जगह पर उनके ही भाई और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को टिकट दिया गया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो अब संगठन की कसौटी पर प्रदेश सरकार के आधे मंत्रियों के साथ ही तकरीबन 60 विधायक हैं। ये वे विधायक हैं, जिनके खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकमबेंसी है।
चौथी सूची में दिखेगा गुजरात फॉर्मूला
वैसे तो भाजपा हर विधानसभा चुनाव में खराब परफॉर्मेंस वाले विधायकों का टिकट काटती है। लेकिन इस बार हर बार की अपेक्षा अधिक विधायक कसौटी पर हैं। इसलिए भाजपा जो चौथी सूची जारी करेगी, उसमें गुजरात फॉर्मूला का असर दिखेगा। गौरतलब है कि भाजपा की दूसरी सूची जारी होने के बाद से पार्टी में टिकट के दावेदारों में हडक़ंप की स्थिति है। पार्टी ने दिग्गजों को मैदान में उतारकर साफ संदेश दिया है कि वह हर कीमत पर जीत चाहती है। कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर दिग्गजों को उतारने के बाद पार्टी बड़े पैमाने पर उम्मीदवारों में फेरबदल भी करने जा रही है। चौथी सूची में एक दर्जन मंत्रियों समेत करीब साठ विधायकों के टिकट काटे जाने के संकेत सूत्र दे रहे हैं। इनमें किसी न किसी कारण से विवाद में रहे और नान परफार्मर मंत्री शामिल हैं। इसके अलावा करीब 50 विधायकों के टिकट भी काटे जाएंगे। भाजपा सूत्रों के अनुसार चौथी सूची करीब 60 लोगों की बताई जा रही है। इसमें भी कई चौंकाने वाले नाम होंगे। पार्टी ने टिकट का आधार सिर्फ जीत रखा है। इस सूची में वे नेता भी शामिल होंगे जो अन्य दलों से हाल ही में भाजपा में आए हैं। इसके लिए पार्टी सिटिंग एमएलए के भी टिकट काटेगी। गौरतलब है कि दूसरी सूची में भाजपा ने कांग्रेस से नाता तोडक़र कुछ समय पहले भाजपा में आए बृजबिहारी पटेरिया को देवरी से प्रत्याशी बनाया है। वहीं तीसरी सूची में एक मात्र टिकट पाने वाली मोनिका शाह बट्टी को भी पार्टी में शामिल होने के आठ दिन के भीतर ही अमरवाड़ा से प्रत्याशी बनाया गया है। अब चौथी सूची में भी कांग्रेस और अन्य दलों से आए नेताओं के नाम शामिल होंगे, इसकी पूरी संभावना है। हालांकि दो सूचियां आने के बाद पार्टी में विरोध के स्वर उठने भी शुरू हो गए हैं।
बदले भी जा सकते हैं घोषित चेहरे
भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की तीन सूचियां भले ही जारी कर दी हों लेकिन, पार्टी अभी भी पूरी तरह से प्रत्याशियों को लेकर कॉन्फिडेंट नजर नहीं आ रही है। पार्टी की ओर से अब इन प्रत्याशियों का फीडबैक लिया जा रहा है। दरअसल जमीन पर ये जानने की कोशिश की जा रही है कि प्रत्याशी का नाम सामने आने के बाद विधानसभा में माहौल क्या बन रहा है। जनता और कार्यकर्ता दोनों क्या कह रहे हैं। इसके लिए पार्टी की ओर से विधानसभा में कॉल करके आमजन से राय ली जा रही है। उनसे पूछा जा रहा है कि उनका प्रत्याशी कैसा है। जनता जनार्दन के साथ ही पार्टी वर्कर से भी बातचीत कर विधानसभा में अंडरकरेंट चैक किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी की ओर से विधानसभा में खंगाली गई प्रत्याशी की जमीन में निगेटिव फीडबैक भी मिल रहा है। किसी प्रत्याशी को बाहरी बताया जा रहा है तो किसी के व्यवहार को खराब। इतना ही नहीं कई सीटों पर प्रत्याशी का नाम सामने आते ही खुलकर नाराजगी सामने आ चुकी है। कई नाखुश कार्यकर्ता त्यागपत्र भी दे चुके हैं। ऐसे में पार्टी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
2 साल में 8 से अधिक सर्वे
मिशन 2023 को फतह करने के लिए भाजपा पिछले कई सालों से काम कर रही है। इसके तहत केंद्रीय और प्रदेश संगठन ने प्रदेश में विधायकों की उनके क्षेत्र में स्थिति को लेकर पिछले दो साल में आठ से अधिक सर्वे कराए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब छह महीने पहले विधायकों से वन टू वन कर उन्हें उनके सर्वे रिपोर्ट से भी अवगत करा दिया था। इस सर्वे में उनका जो पक्ष कमजोर आ रहा था, उसे बताते हुए उसे दूर करने की नसीहत दी थी। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी दो एजेंसियों से विधायकों की स्थिति का ताजा सर्वे कराया है। इस सर्वे के आधार पर ही टिकट तय होना है। बताया जाता है कि इस सर्वे में साठ के करीब विधायकों की स्थिति ठीक नहीं आई है। इसके अलावा लगभग एक दर्जन के आसपास मंत्री भी डेंजर जोन में बताए गए हैं। केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश के नेताओं से चर्चा कर इनके नामों पर कैंची चला सकता है। सूत्रों की मानें तो इसमें तीन मंत्री ग्वालियर-चंबल के बताए जाते हैं। एक मंत्री के कथित भ्रष्टाचार की शिकायतें उनके विरोधियों ने प्रमाण सहित केंद्रीय नेताओं को भेज दी है। इसके अलावा इस इलाके के दो अन्य मंत्रियों के टिकट भी खतरे में हैं। विंध्य क्षेत्र से एक मंत्री को उम्र का हवाला देकर विश्राम दिया जा सकता है तो एक अन्य मंत्री को भी उनका परफार्मेंस ठीक न पाते हुए उनका टिकट बदला जा सकता है। महाकौशल से पांच विधायकों समेत एक मंत्री का टिकट कटना तय माना जा रहा है। मालवा के एक मंत्री की शिकायत संगठन के ही नेताओं से आला नेताओं से की है। इसलिए उनका टिकट भी कट सकता है। इसी क्षेत्र के एक अन्य मंत्री भी संगठन की नजर में इस बार फिट नहीं हैं। उन पर संगठन को महत्व न देने के आरोप है। दो मंत्री ऐसे हैं जो संघ से सीधे जुड़े हैं पर इनके टिकट पर भी विचार चल रहा है।