आधी आबादी के हाथ सत्ता की चाबी.
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र के चुनावी समर में भाजपा अगर सबसे अधिक किसी वर्ग को महत्व दे रही है तो वह है आधी आबादी, यानी महिलाओं का वर्ग। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो हमेशा से ही महिलाओं के लिए ऐसी योजनाएं क्रियान्वित करते रहते हैं ,जिसके कारण उन्हें मामा और भाई की उपाधि मिली हुई है। इस बार लाड़ली बहना योजना सबसे बड़ा उदाहरण है। वहीं केंद्र सरकार ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर महिलाओं को साध लिया है।
अब भाजपा का उम्मीद है कि चुनाव में उसे आधी आबादी का भरपूर समर्थन मिलेगा और पार्टी को बड़ी जीत मिलेगी। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का फोकस महिलाओं पर रहेगा। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार पार्टी महिला प्रत्याशियों की संख्या बढ़ा सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 24 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था। इनमें से 11 ही चुनाव जीत पाई थीं। भाजपा की ओर से हाल में 79 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। इनमें से 11 सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया है। अगर चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो, मप्र में सरकार बनाने और गिराने का दमखम इनमें है। यही कारण है कि भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी इन्हें साधने में जुटी हुई हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहनों को हजार रुपए महीने, फ्री में घर, 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने के वादे कर चुके हैं। अब प्रधानमंत्री भी क्यों पीछे रहते। उन्होंने भी चुनाव में आरक्षण देकर महिलाओं को सशक्त करने की बात कही। केंद्र की मोदी सरकार हो या मप्र की शिवराज सरकार, दोनों ने ही चुनाव में महिला मतदाताओं को साधने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्र सरकार ने आधी आबादी को साधने के लिए पिछले महीने संसद का विशेष सत्र बुलाकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया। इसमें लोकसभा व विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। वहीं, मप्र सरकार ने आखिरी दांव के रूप में जहां लाड़ली बहना योजना और 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की योजना लागू की है। योजना में अक्टूबर से 1.31 करोड़ महिलाओं को प्रति महिला 1250 रुपए दिए जाएंगे। इससे पहले भी केंद्र और राज्य सरकार ने महिलाओं को हित में कई बड़े फैसले किए। भाजपा को महिला हितैषी निर्णयों का चुनाव में कितना फायदा मिलेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।
19 सीटों पर पुरुषों से अधिक हैं महिलाएं
प्रदेश में वर्तमान में मतदाताओं की संख्या पांच करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या दो करोड़ 81 लाख 26 हजार 191 है, जबकि महिलाओं की संख्या दो करोड़ 62 लाख 49 हजार 578 है। मप्र का इतिहास और वर्तमान देखा जाए तो 19 विधानसभा सीटों में महिला मतदाता, पुरुष मतदाताओं से अधिक हैं। दिलचस्प बात यह है कि साल 2018 के विधानसभा चुनावों में इन 19 में से 14 सीटों पर कांग्रेस ने फहत हासिल कर ली थी, जबकि बीजेपी को चार सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा था। मामला सिर्फ 19 सीटों तक ही नहीं सीमित है। महिला शक्ति प्रदेश के 96 सीटों की हार-जीत तय करने की स्थिति में हैं। 24 विधानसभा सीटों में 1000 पुरुष वोटर में 980 महिला मतदाता हैं, जबकि 77 सीटें ऐसी हैं, जहां पर एक हजार पुरुष मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या 950 से भी अधिक है।
आधी आबादी पर भाजपा की आस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल में समय-समय पर महिलाओं को लेकर योजनाएं लागू करते रहे हैं। फरवरी में उन्होंने लाड़ली बहना योजना लॉन्च करने की घोषणा की थी। योजना में जून से महिलाओं एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं और अक्टूबर से 1.31 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपए दिए जाएंगे। उनकी लाड़ली बहना योजना चुनाव में भाजपा के लिए गेम चेंजर मानी जा रही है। साथ ही सरकार ने सभी उज्ज्वला गैस कनेक्शनधारियों और लाड़ली बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की योजना लागू की है। इससे पहले शिवराज सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में महिलाओं को 50 प्रतिशत और पुलिस समेत अन्य सभी सरकारी भर्तियों में उन्हें 35 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। सरकार महिला स्व सहायता समूहों को 2 प्रतिशत ब्याज दर पर बैंक से लोन उपलब्ध करा रही है। सीएम शिवराज ने प्रदेश की हर महिला की मासिक आय 10 हजार रुपए करने की टारगेट तय किया है। राज्य सरकार प्रदेश की महिला कर्मचारियों को 7 दिन अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश (सीएल) दे रही है। उन्हें एक साल में 20 दिन आकस्मिक अवकाश दिए जा रहे हैं, जबकि पुरुष कर्मचारियों को 13 दिन आकस्मिक अवकाश मिलते हैं। सीएम शिवराज ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला कर्मचारियों को 7 दिन का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश देने की घोषणा की थी। बाद में जीएडी ने इस संबंध में आदेश जारी किया था।