सर्वे के आधार पर मंत्रियों के कटेंगे ‘पर’

भोपाल/मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। भाजपा ने अभी तक तीन


सूचियों के माध्यम से 79 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। प्रत्याशियों को देखकर यह तो साफ है कि टिकट वितरण के मामले में इस बार भाजपा ने निष्पक्षता दिखाई है। टिकट वितरण से पहले भाजपा ने कई सर्वे कराए हैं, वहीं चार बाहरी राज्यों के विधायकों को फील्ड में पहुंचाकर वास्तविक स्थितियों को जाना है। बाहरी विधायकों की रिपोर्ट के आधार पर ही स्थानीय क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के विधानसभा टिकट घोषित किए जा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि चौथी सूची और उसके बाद की अन्य सूचियों में चौकाने वाले नाम हो सकते हैं। वहीं कई मंत्रियों के टिकट पर भी कैची चलाई जा सकती है। इसलिए भाजपा में चौथी सूची का बेसब्री से इंतजार है।
मप्र विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा दिन शेष नहीं है। जल्द ही आदर्श आचार संहिता लगेगी। सत्ताधारी दल भाजपा एक के बाद एक चौंकाने वाले काम कर रही है। भाजपा ने जहां कांग्रेस से पहले अपनी तीन सूचियां जारी कर कर दी है, वहीं दूसरी सूची में तीन केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव को मैदान में उतारकर देश भर की राजनीति में हल चल मचा दी है। बताया जा रहा है कि भाजपा की चौथी सूची भी सभी को चौका देगी। माना जा रहा है कि यह सूची गुजरात फार्मूले पर आधारित होगी। इस सूची में प्रदेश सरकार के एक दर्जन से अधिक मंत्री व 30 से अधिक विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मप्र विधानसभा चुनावों को बहुत गंभीरता से ले रहा है। हर हाल में भाजपा नेतृत्व मप्र में भाजपा की सरकार देखना चाहता है।
सर्वे में कई मंत्रियों की स्थिति चिंताजनक
राजनीति के जानकारों द्वारा कयास लगाए जा रहे हैं कि, भाजपा की चौथी सूची गुजरात फार्मूले पर आधारित होगी। यानी इस सूची में मंत्रियों की स्थिति का पता चल जाएगा। दरअसल, पार्टी ने जो सर्वे कराया है उसमें कई मंत्रियों की स्थिति चिंताजनक बताई गई है। भाजपा के मौजूदा सर्वे ने सूबे के कई मंत्रियों के टिकट में रोड़ा अटका दिया है। इन मंत्रियों को चुनाव लड़ाने के लिए गुजरात फार्मूले के आधार पर निर्णय हो सकते हैं, जिसमें मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र एक्सचेंज किए जा सकते हैं। इससे पार्टी के निर्णयकर्ताओं को पशोपेश में डाल दिया है। सूत्रों की मानें तो जन आर्शीवाद यात्रा के आधार पर भाजपा ने जो सर्वे कराया है, उसमें एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की हालत पतली बताई जा रही है। इनमें से कुछ मंत्रियों को घर बैठाने की तैयारी हो रही है, तो कुछ मंत्रियों को गुजरात पैटर्न पर दूसरे क्षेत्रों से मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है। इसमें ये देखा जा रहा है कि दूसरे क्षेत्र से चुनाव लडऩे से नतीजे प्रभावित तो नहीं होंगे और वहां किसी भी तरह की भीतरघात तो नहीं होगी। साथ ही नजदीकी विधानसभा सीटों पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। सूत्रों की माने तो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कांग्रेस से आए कुछ पावरफुल नेताओं को टिकट देने के बारे में फैसला नहीं ले पा रहे है। पार्टी को डर है कि उपचुनाव में जिस तरह से कई नेताओं को पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं और मतदाताओं ने नकार दिया था, उस तरह की स्थिति इस चुनाव में दोहराई जा सकती है।
इन मंत्रियों पर मंडरा रहा खतरा
जानकारों की मानें तो जिन मंत्रियों के क्षेत्र बदले जाने की चर्चा है। उनमें मंत्री प्रेम सिंह पटेल , ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, ओपीएस भदौरिया (इनका टिकट कट भी सकता है), भारत सिंह कुशवाहा, मीना सिंह और बिसाहूलाल सिंह प्रमुख बताए जा रहे हैं। इनके अलावा कुछ विधायकों के भी विधानसभा क्षेत्र बदले जाने की बात कही जा रही है। इनमें सूबेदार सिंह राजौरा, विष्णु खत्री, प्रदीप पटेल, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, केपी त्रिपाठी, रामलल्लू वैश्य, शारदेंदु तिवारी, राकेश गिरी गोस्वामी और निवाड़ी से अनिल जैन के नाम लिए जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार भाजपा जिन 30 से ज्यादा विधायकों के टिकट काट सकती है, उनमें इन विधायकों के नाम भी शामिल हैं। जातिगत समीकरण के चलते यदि इनमें से किसी को चुनाव लडाऩा पड़े, तो उनके विधानसभा क्षेत्र बदले जाना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि इस पर भाजपा से जुड़े सूत्रों ने मोहर नहीं लगाई है, लेकिन ये तय है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार कर रहा है। सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी अपने कुछ ऐसे पूर्व विधायकों को चुनावी मैदान में उतार सकती है, जिनका पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया गया था। लेकिन उनकी लगातार पांच साल अपने क्षेत्रों में सक्रियता बनी रही और अब पार्टी उन्हें एक बार फिर से टिकट देकर मैदान में उतार सकती है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा की अगली सूची में कुछ और सांसदों के टिकट हो सकते हैं। इनमें टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेन्द्र खटीक, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, शहडोल सांसद हिमांद्री सिंह और रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा, राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार के नाम भी बताए जा रहे हैं।