कैलाश उवाच, मैं..मैं…मैं

बयानों के निकाले जा रहे हैं सियासी मायने.

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मिशन 2023 में भाजपा आलाकमान ने टिकट देकर आठ दिग्गज नेताओं को चुनावी चक्रव्यूह में डाल दिया है। इस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए दिग्गज अपना सर्वस्व दांव पर लगा रहे हैं। इनमें सबसे आगे महासचिव कैलाश विजयवर्गीय हैं। विजयवर्गीय को जब से टिकट मिला है, वे लगातार अपने बयानों के कारण चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। उनकी मैं..मैं…मैं सोशल मीडिया से लेकर राष्ट्रीय मीडिया तक में छाई हुई है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय केवल इंदौर या मालवा या मप्र के ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता हैं। भाजपा आलाकमान उन्हें चुनावी रणनीतिकार मानता है। इसलिए उन्हें कठिन मोर्चों पर तैनात करता रहा है। लेकिन करीब 10 साल बाद आलाकमान ने एक बार फिर से उन्हें विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। इसके बाद से ही उनके एक के बाद एक बयान आ रहे हैं। इन बयानों के अब सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं।
हर दिन अनोखे बयान
गौरतलब है कि कैलाश विजयवर्गीय को जब से इंदौर-1 से टिकट मिला है, तब से वे अपने बयानों और सक्रियता के कारण चर्चा में बना हुआ है। टिकट मिलने पर 25 सितंबर को उन्होंने कहा कि मैं चुनाव लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं था। यह पार्टी का फैसला है। उसके बाद 27 सितंबर को बोले की अपन तो बड़े नेता हो गए… हाथ जोड़ने का नहीं, भाषण दो और निकल जाओ…4 अक्टूबर को बोले मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया हंू। मुझे बड़ी जवाबदारी मिलेगी। फिर 6 अक्टूबर को दिया उनका एक और बयान चर्चा में है। उनका बयान वायरल हो रहा है। यह बयान उन्होंने इंदौर-1 के वार्ड 5 में आयोजित कार्यक्रम में दिया। विजयवर्गीय ने यहां कार्यकर्ताओं से कहा कि इंदौर के क्षेत्र क्र. 1 को अब विकास में भी नंबर-1 बनाऊंगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस वार्ड से एक भी वोट न जाए। मैंने घोषणा की है कि जिस पोलिंग बूथ से कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा, उस बूथ अध्यक्ष को 51 हजार का इनाम दूंगा। कांग्रेस ने यहां कोई काम नहीं किया है। मैं फोकट बात नहीं करता हूं। मैं जहां भी विधायक रहा, वह विधानसभा विकास में नंबर-1 रही है। उन्होंने कहा कि इंदौर-4 में गया, इंदौर-2 में गया और महू से चुनाव लड़ा, वहां का आप विकास देख सकते हैं। आप लोगों से मेरा वादा है कि पूरे इंदौर को उठाकर इंदौर-1 में ले आऊंगा। यह भी कहा… मैं मेयर बना था, तब टेम्पो चल रहे थे। ये मैंने बंद करवाए। बस मैंने चलवाई। मेट्रो का प्रस्ताव मैंने पास करवाया। आज टेम्पो से मेट्रो तक का सफर यदि हुआ है तो भाजपा के माध्यम से हुआ है। आगे हम इंदौर को और आगे बढ़ाएंगे। भाजपा को आशीर्वाद दीजिए।
बयानों के निकाले जा रहे मायने
विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय सुर्खियों में हैं। इंदौर-1 सीट से टिकट मिलने के बाद से विजयवर्गीय लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जो चर्चा का कारण बन रहे हैं। अब विजयवर्गीय ने इंदौर में कहा कि मैं अगर समय नहीं दूंगा तो सिर्फ भोपाल में बैठकर इशारा करूंगा, उससे ही आपका काम हो जाएगा। इससे पहले भी उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया हूं। पार्टी की ओर से मुझे कुछ और बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी तो काम भी बड़ा करूंगा। कैलाश विजयवर्गीय के इन बयानों के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। आइए, अब इन बयान के मायने समझने की कोशिश करते हैं। दरअसल, भाजपा ने 10 साल के ब्रेक के बाद कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है। उन्हें इंदौर-1 विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। इसके बाद से विजयवर्गीय अपने क्षेत्र में पार्टी की जीत के लिए प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय के ये बयान महज बयान नहीं है, इनके सियासी मायने भी हैं। जिस तरह से वे बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात कह रहे हैं। इसका मतलब सीएम पद से हो सकता है। वही, 5 अक्टूबर को उन्होंने कहा कि वे भोपाल में बैठकर इशारा करेंगे और काम हो जाएगा। इस बयान के मायने भी मुख्यमंत्री पद से जुड़े हुए हैं, क्योंकि सीएम भोपाल में रहकर ही सरकार चलाते हैं। इसलिए सियासी गलियारों में लगातार ये चर्चा हो रही है कि कैलाश विजयवर्गीय खुद को सीएम पद का दावेदार बता रहे हैं।
सिर्फ बयान या हाईकमान से मिला संकेत
भाजपा आलाकमान की बात करें तो वह कई बार साफ कर चुका हैं, कि पार्टी प्रदेश में बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ेगी। यानी इस विधानसभा चुनाव को पार्टी किसी को भी सीएम घोषित नहीं करेगी। अब तक इसी रणनीति के साथ पार्टी प्रचार-प्रसार कर रही है। लेकिन, कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेता को विधानसभा चुनाव में उतारना फिर उनका इस तरह के बयान देना राजनीति जानकारों को खटक रहा है। ऐसे में चर्चा है कि क्या विजयवर्गीय से बड़ा वादा कर ही आलाकमान ने उन्हें चुनाव लडऩे भेजा है। क्या ये बड़ा वादा सीएम पद को लेकर है। इसलिए कैलाश विजयवर्गीय लोगों को संकेत देने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय के बयान सियासी चर्चा का इसलिए भी बन रहे हैं, क्योंकि, खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान अपनी विदाई के संकेत दे चुके हैं। एक अक्टूबर को सीहोर जिले के लाडक़ुई में शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा था- ऐसा भैया मिलेगा नहीं तुम्हें, जब चला जाऊंगा तब याद आऊंगा। मैंने मध्य प्रदेश में राजनीति की परिभाषा बदल दी है।
कांग्रेस विधायक पर लगातार हमला
विजयवर्गीय कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला पर भी लगातार निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो लाख साडिय़ां बांटी जा रही है। मैं फोकट साड़ी-वाड़ी की बात नहीं करता, लेकिन जब वह कहता है कि विधानसभा की जनता मेरा परिवार है तो फिर जनता को पूछना चाहिए कि इस तरह की साड़ी दी जाती है क्या? जैसी साड़ी अपनी सगी बहनों को देते हो, कम से कम वैसी साड़ी तो दी जाना चाहिए। इस बयान पर इंदौर क्रमांक-1 से कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय शुक्ला का कहना है कि मेहमान के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ने आए नेताजी ने मतदान करने वाली जनता को चुनौती दी है। इस इनाम की घोषणा के साथ उन्होंने पैसे बांटकर चुनाव में वोट खरीदने और गुंडागर्दी करने के अपने अगले लक्ष्य का संकेत दे दिया है। इंदौर-1 को शांत क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता है। अब मेहमान इसे भी क्षेत्र क्रमांक दो की तरह बना देना चाहते हैं। हम इसकी शिकायत चुनाव आयोग को भी शिकायत करेंगे। इस मामले में उप जिला निर्वाचन अधिकारी राजेंद्र रघुवंशी का कहना है कि इस तरह के बयान की जानकारी नहीं है। कोई शिकायत आती है तो जांच करेंगे।