केन्द्रीय मंत्री सहित चार सांसदों को भी उतारा जा सकता है मैदान में.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। बीते विधानसभा चुनाव से सबक लेकर इस बार भाजपा हाईकमान हर वो कदम उठा रहा है, जो पार्टी को पांचवी बार सत्ता में लाने की सीढ़ी बन सकता है। यही वजह है कि पार्टी अपनी हर कमजोर कड़ी को मजबूत बनाने के लिए लगातार कई चौकाने वाले कदम उठा रही है।
इसमें टिकट काटने से लेकर बड़े चेहरों तक को प्रत्याशी बनाना शामिल है। यही वजह है कि उठाए जा रहे कदमों की वजह से भाजपा के कई वजीरों को चुनावी मैदान से दरबदर होने का डर सताने लगा है। यह वे बजीर हैं, जो समय -समय पर सरकार के मुखिया शिवराज सिंह से लेकर संगठन के आला नेताओं तक की काम करने की शैली की चेतावनी को अनदेखा कर अपनी ही धुन में मस्त बने रहे हैं। ऐसे बजीरों की संख्या करीब एक दर्जन बताई जाती है। दरअसल बीते तीन चुनावों से लगातार भाजपा के एक दर्जन के आसपास अलग-अलग मंत्री चुनाव हारते आ रहे हैं। अगर बीते चुनाव में 13 मंत्री चुनाव नहीं हारते तो भाजपा को 15 महिने का सत्ता में वापसी का इंतजार नहीं करना पड़ता। यही वजह है कि भाजपा हाईकमान ने पहले से ही ऐसे मंत्रियों को टिकट कर घर बिठाना तय कर लिया है जो पार्टी की फिर से सत्ता में वापसी की राह का रोड़ा बन सकते हैं। इसके अलावा पार्टी अपने दो दर्जन से अधिक विधायकों के भी टिकट काटने जा रही है। अब तक घोषित नामों से यह तो तय हो गया है कि इस बार पूरी तरह से प्रत्याशियों के चयन पर पार्टी हाईकमान के अलावा केन्द्रीय नेताओं की नजर बनी हुई है। पार्टी ने केन्द्रीय स्तर से इस बार सर्वे से हकीकत के अलावा गोपनीय फीडबैक भी जुटाया है। इसी के आधार पर नामों का चयन किया जा रहा है। यही वजह है कि दूसरी सूची में अधिकांश ऐसे नेताओं के नाम शामिल रहे हैं , जिनके नाम न तो प्रदेश से भेजी गई सूची में थे और न ही प्रदेश स्तर पर कराए गए सर्वे में ही थे। जब सूची जारी हुई तो इन नामों को देखकर पार्टी नेता से लेकर आमजन तक चौंक गए। सूत्रों का कहना है कि पार्टी जल्द ही अपनी एक और सूची जारी करने की तैयारी में है। इस सूची में कई चौकाने वाले नाम शामिल होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इनमें एक केन्द्रीय मंत्री सहित चार सांसदों के नाम संभावित है।
आधा सैकड़ा विधायकों की रिपोर्ट बेहद खराब
सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों भाजपा के प्रवासी विधायकों ने मैदानी स्तर पर जाकर जो रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें आधा सैकड़ा विधायकों की स्थिति बेहद खराब बताई गई है। इनमें करीब एक दर्जन मंत्री भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि जिन विधायकों के टिकट कटना तय माने जा रहे हैं, उनमें केपी त्रिपाठी (सेमरिया), रामलल्लू वैश्य (सिंगरौली), महेश राय (बीना), राजेश कुमार प्रजापति (चंदला), डा. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद), राजश्री रुद्र प्रताप सिंह (शमशाबाद), उमाकांत शर्मा (सिरोंज ), विक्रम सिंह (रामपुर बघेलान), प्रहलाद लोधी (पवई), शरद कोल (ब्यौहारी), राकेश पाल सिंह (केवलारी), नागेंद्र सिंह (नागौद) और नागेंद्र सिंह (गुढ़) राकेश गिरी (टीकमगढ़), अनिल जैन (निवाड़ी), दिनेश राय मुनमुन (सिवनी), सुरेंद्र पटवा (भोजपुर), हरी सिंह सप्रे (कुरवाई), रघुनाथ मालवीय (आष्टा), राजवर्धन सिंह (नरसिंहगढ़) और धार से नीना वर्मा का नाम संभावित है।
इन मंत्रियों के कट सकते हैं टिकट
जानकारों की मानें तो बुंदेलखंड क्षेत्र के 5 मंत्रियों में से 3 मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं। इनमें से एक मंत्री के खिलाफ पिछले दिनों हुई शिकायतों से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बेहद खफा बताया जा रहा है। उनसे संबंधित रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस तरह की शिकायतों से मंत्री की उनके ही क्षेत्र में जमकर किरकिरी हो रही है और अब उनका पहले जैसा वर्चस्व नहीं बचा है। पार्टी इन तीनों मंत्रियों के स्थान पर जीतने वाले चेहरे की तलाश कर रही है। इसी तरह से विंध्य क्षेत्र के एक और ग्वालियर -चंबल अंचल के करीब चार मंत्रियों के नाम भी टिकट कटने वालों की सूची में बताए जा रहे हैं।