डैमेज कंट्रोल करने पसीना बहा रहे रणनीतिकार.
भोपाल.मंगल भारत
विधानसभा चुनाव में रणनीतिक जमावट में बाजी मारने के बाद भाजपा ने कांग्रेस से पहले 79 प्रत्याशियों की घोषणा कर मैदान मारने का जो कदम उठया है ,उसे वह भारी पड़ रहा है। यानी भाजपा ने पिछले चुनाव में हारी जिन 76 सीटों के साथ ही तीन जीतीं सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, उनमें से दो दर्जन से अधिक सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। इस विरोध को थामने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन आक्रोश अभी भी दिख रहा है। इससे इन सीटों पर भितरघात की आशंका बनी हुई है। इससे भाजपा के रणनीतिकार भी पसोपेस में हैं। संगठन सूत्रों की मानें तो जल्द ही राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल और प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और संगठन दूसरे नेता नाराज नेताओं से बात करेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा ने तीन सूचियों के माध्यम से 79 प्रत्याशियों की घोषणा तो कर दी, लेकिन करीब एक पखवाड़े बाद भी टिकट वितरण के बाद उपजा असंतोष अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। टिकट वितरण के विरोध में कई सीटों पर तो कुछ नेताओं के समर्थक खुलकर विरोध में उतर आए हैं, तो कुछ सीटें ऐसी हैं जहां, टिकट न मिलने से नाराज कुछ नेता अपने समर्थकों के साथ घर बैठ गए हैं। असंतोष को थामने के लिए पार्टी अगले हफ्ते से संगठन के वरिष्ठ नेताओं को उन सीटों पर भेजेगी, जहां ज्यादा नाराजगी की खबरें आ रही हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची 17 अगस्त को जारी की थी। इसमें 39 नामों का ऐलान किया गया था। ये सभी हारी हुई सीटें थीं। इसके बाद 25 सितंबर को ही नामों की एक और सूची कर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। इस सूची में पार्टी ने अपने कई केंद्रीय मंत्रियों, संसद, और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को मैदान में उतार दिया। 39 नामों वाली इस सूची में भी तीन सीटों को छोडक़र सभी हारी हुई सीटें थीं। सूचियां आने के बाद पार्टी में करीब दो दर्जन सीटों पर असंतोष सामने आ गया। समय गुजरने के बाद भी फिलहाल यह थम नहीं रहा है।
ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा बगावत
प्रदेश में ग्वालियर-चंबल अंचल को सत्ता का द्वार कहा जाता है। 2018 में भाजपा को सबसे अधिक नुकसान इसी क्षेत्र में हुआ था। इस बार भी भाजपा को सबसे अधिक बगावत की आशंका इसी क्षेत्र से है। अंचल में भाजपा के लिए चुनाव सिर्फ मतदाता को रिझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी ही पार्टी में बगावत रोक पाना उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित होगा। टिकट वितरण के साथ ही बगावत के स्वर उठना शुरू हो गए हैं। जिन सीटों पर नाम घोषित कर दिए गए हैं, वहां के अन्य दावेदारों ने दूसरी पार्टी के नेताओं से संबंध स्थापित करना शुरू कर दिए हैं। अंचल की कई सीटों पर कहीं सिंधिया समर्थक तो कहीं मूल भाजपाई पार्टी के लिए मुसीबत बनेंगे। भिंड से मौजूदा विधायक संजीव कुशवाह भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी प्रबल दावेदार हैं। ऐसे में जिसको भी टिकट मिला तो दूसरा बसपा, सपा या आप से चुनाव लडऩे की तैयारी में है। मेहगांव से मंत्री ओपीएस भदौरिया विधायक हैं। पार्टी के सर्वे में उनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है। पूर्व विधायक राकेश शुक्ला दावेदारी कर रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चौधरी का भी नाम चर्चा में आने लगा है।
टिकट घोषित होते ही दूसरे दावेदार अपना काम शुरू कर देंगे। गोहद से उपचुनाव में हारे सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव का टिकट काटकर दो बार विधायक रह चुके अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य को प्रत्याशी बनाया है। इसके साथ ही रणवीर ने नए ठिकाने तलाशने शुरू कर दिए हैं। बसपा नेता भी उनसे संपर्क साध रहे हैं। मुरैना से पार्टी ने रघुराज सिंह कंसाना को प्रत्याशी बनाकर फिर भरोसा जताया है। इस सीट से पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत से लगे थे। ऐसे में पार्टी के समीकरण यहां भी गड़बड़ा सकते हैं। ग्वालियर दक्षिण से दावेदार पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह हैं, लेकिन अनूप मिश्रा भी शुरुआत में दावेदारी ठोक चुके हैं। इसके अलावा पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता भी यहां से दावेदारी कर रही हैं। पिछली बार टिकट न दिए जाने पर वे निर्दलीय लड़ी थीं और यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी। करैरा से पार्टी ने रमेश खटीक को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व विधायक जसमंत जाटव की दावेदारी करने के कारण अब बसपा और सपा के नेता उनके संपर्क में हैं। जसमंत जाटव की िबरादरी के वोट बड़ी संख्या में है। ऐसे में उनकी बगावत भी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। चाचौड़ा से ममता मीणा का टिकट काटकर पार्टी ने प्रियंका मीणा को प्रत्याशी बनाया है।
नाराज ममता अब आप से प्रत्याशी हैंं। हालांकि अंचल में बगावत के आसार देखते हुए प्रदेश के चुनाव की कमान संभाल रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नेताओं को एकजुट होकर पार्टी के लिए काम करने की नसीहत दी थी। भाजपा के ग्वालियर-चंबल संभाग के प्रभारी विजय दुबे ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने सभी विधानसभा सीटों के लिए योग्य प्रत्याशियों का चयन किया है। इसके बाद यदि कुछ लोगों में नाराजगी दिखाई देती है, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसे लोगों से लगातार संपर्क कर रहे हैं।
इन सीटों पर सबसे अधिक विरोध
भाजपा ने जिन 79 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कि है, उनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जहां सबसे अधिक असंतोष है। छतरपुर से पूर्व मंत्री ललिता यादव को टिकट देने के बाद पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह खासी नाराज हैं। उनके पति पुष्पेंद्र प्रताप सिंह पार्टी एक आयोजन कर अपनी ताकत का अहसास करा चुके हैं। पुष्पेंद्र खुलकर मैदान में नहीं आए पर उनकी नाराजगी बरकरार है । अर्चना को पार्टी ने पिछली बार प्रत्याशी बनाया था। सीधी से चार बार के विधायक केदारनाथ शुक्ला टिकट कटने से नाराज हैं और क्षेत्र में न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। यहां से पार्टी ने सांसद रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया है। करेरा से रमेश खटीक को टिकट मिलने से सिधिंया समर्थन जसवंत जाटव नाराज हैं। वे उप चुनाव में हार गए थे। देपालपुर से मनोज पटेल की उम्मीदवारी का भी विरोध हो रहा है। राजेंद्र चौधरी समर्थकों ने इंदौर के संभागीय कार्यालय में प्रदर्शन किया। सोनकच्छ से इंदौर ग्रामीण के जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर की उम्मीदवारी का पूर्व विधायक और सज्जन वर्मा से पिछला चुनाव हारे राजेंद्र वर्मा विरोध कर रहे हैं। राजनगर से अरविंद पटेरिया को टिकट मिलने के विरोध में पूर्व जिलाध्यक्ष और साडा अध्यक्ष रहे घासीराम पटेल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वे दूसरे दलों के संपर्क में हैं। चाचौड़ा से प्रियंका मीणा को टिकट मिलने के बाद पूर्व विधायक ममता मीणा पार्टी छोड़ चुकी हैं, अब आप से उम्मीदवार हैं। बंडा से वीरेंद्र सिंह लंबरदार को टिकट मिलने के बाद राठौर परिवार खुश नहीं है। यह बुंदेलखंड के कद्दावर नेता रहे हरनाम सिंह राठौर की परम्परागत सीट रही है। उनके निधन के बाद उनके पुत्र हरवंश यहां से विधायक रहे पर वे पिछला चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी ने टिकट काट दिया। मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख को टिकट मिलने के बाद उनके खिलाफ प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदर्शन हो चुका है। यहां प्रत्याशी बदलने की मांग एक गुट के नेता कर रहे हैं। महेश्वर से राजकुमार मेव को टिकट मिलने का पार्टी के पूर्व प्रत्याशी भूपेंद्र यादव समर्थक विरोध कर रहे हैं। उदयपुरा से नरेंद्र शिवाजी पटेल को टिकट मिलने के बाद पूर्व विधायक रामकिशन पटेल अपनी नाराजगी जता चुके हैं। एक विधायक भी उनके साथ बताए जा रहे हैं।