सिंधिया के प्रभाव को भुनाने की रणनीति
सिंधिया समर्थक उन्हें बता रहे हैं सीएम चेहरा.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में भाजपा ने अब तक 136 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। पार्टी शेष बची 94 सीटों पर जल्द ही प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी। सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद पार्टी के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में दमखम के साथ जुटेंगे। भाजपा सूत्रों की मानें तो रणनीतिकारों ने जो रणनीति बनाई है उसके तहत केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को 80 से 100 सीटों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। जहां वे अपना पूरा फोकस करेंगे। भाजपा ने इस बार मप्र के लिए सीएम चेहरा घोषित नहीं किया है और सिंधिया के समर्थक उन्हें अगले मुख्यमंत्री मान रहे हैं। यह अलग बात है कि चुनाव में बहुमत पाने के बाद पार्टी में एक नहीं कई दिग्गज सीएम के दावेदार के रूप में आगे आएंगे। अगर सिंधिया चुनाव नहीं लड़ेंगे तो वह रेस से बाहर हो जाएंगे। इससे यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधायक का चुनाव लडऩे को कहा जाता है, तो वे शायद मना नहीं करेंगे। चुनाव में मुकाबला बहुत करीबी होगा और भाजपा अपनी सभी मजबूत सीटें जीतने की कोशिश करेगी।
गौरतलब है कि वर्तमान समय में भाजपा के पास शिवराज सिंह चौहान के रूप में एक बड़ा चेहरा है, जिनकी साख पूरे प्रदेश में है, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लोकप्रियता के मामले में कमजोर नहीं आंके जाते हैं। ऐसे में राजनैतिक गलियारों में सवाल गूंज रहा है कि क्या भाजपा सिंधिया का उन इलाकों में टेस्ट करेगी, जहां परिवार का कभी न कभी प्रभाव रहा है। जानकारों की मानें तो ऐसी 80 से 100 सीटें हैं, जहां सिंधिया परिवार (रियासत) प्रभाव माना जाता है। सिंधिया का ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ में अच्छा प्रभाव है। उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच, देवास, धार, शाजापुर, राजगढ़, विदिशा, होशंगाबाद, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, गुना और दतिया के साथ ही इंदौर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, रीवा और सागर जिले में वे प्रभावी साबित हो सकते हैं। इसको देखते हुए भाजपा ने उन्हें इन क्षेत्रों में सबसे अधिक सक्रिय रहने की रणनीति बनाई है।
सिंधिया का लाभ उठाने की रणनीति
मप्र में सत्ता कायम रखने के लिए भाजपा निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में प्रदेश की 100 सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का लाभ उठाने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा की तैयारी सिंधिया को प्रदेश की सभी 230 सीटों पर ले जाने की है। 100 ऐसी सीटों को चिह्नित किया गया है, जहां किसी जमाने में सिंधिया रियासत का सीधा दखल होता था। साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में लौटी थी तो उसकी एक बड़ी वजह सिंधिया भी थे। उन्होंने मप्र में चुनाव अभियान समिति का नेतृत्व किया था। मप्र में सत्ता में कायम रखने के लिए भाजपा को मालवा-निमाड़ में फिर ताकत बढ़ानी होगी। साथ ही ग्वालियर-चंबल संभाग पर भी पकड़ बनानी होगी। इन दोनों क्षेत्रों के साथ ही भोपाल-नर्मदापुरम संभाग के कुछ जिलों और बुंदेलखंड के कुछ जिलों में सिंधिया रियासत का प्रभाव रहा है। यह पूर्ववर्ती ग्वालियर स्टेट का हिस्सा रहा था।
समर्थक चाहते है कि सिंधिया चुनाव लड़े
भाजपा 2023 का विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व के साथ लड़ रही है। इसलिए इस बार किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। अलग-अलग क्षेत्रों में मुख्यमंत्री के दावेदारों को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे उनके कार्यकर्ता अपने नेता को चुनाव जीतने पर अगला मुख्यमंत्री मान कर चल रहे है। वहीं, सिंधिया के कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल होने के बाद से कई बार उनके समर्थक मांग कर चुके है कि महाराज को सीएम बनाया जाए। इसलिए अब उनके समर्थक सिंधिया को प्रदेश की 230 में से किसी भी सीट पर चुनाव मैदान में उतारने की बात तक कर रहे है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के शिवपुरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने को लेकर पार्टी में विचार होने की कई दिनों से चर्चा चल रही थी। इसके बाद अचानक शिवपुरी से विधायक और शिवराज सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया। जिसके बाद बुआ के भतीजे के लिए सीट छोडऩे को लेकर अटकलें शुरू हो गई। उनके समर्थक भी शिवपुरी से चुनाव लडऩे के लिए कह चुके है। वहीं, भाजपा ने अभी इस सीट पर किसी को प्रत्याशी भी नहीं बनाया है।
दिग्गजों पर लग चुका है दांव
गौरतलब है कि भाजपा के द्वारा निकाली गई जन आशीर्वाद यात्रा के पोस्टर में 12 नेताओं की तस्वीर लगाई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को छोडक़र बाकी प्रदेश के 10 बड़े नेता थे। इसमें से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को टिकट दे दिया है। अब बाकी चार नेता केंद्रीय ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद वीडी शर्मा और राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार के नाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की है। गत दिनों भोपाल में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हुई। इस बैठक के बाद चर्चा चली कि बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्वयं चुनाव नहीं लडऩे की बात कही है। इस पर तुंरत उनके कार्यालय से बयान जारी कर तथ्य को आधारहीन और फर्जी बताया गया। इसके बाद फिर उनके चुनाव लडऩे को लेकर कयास लगाए जाने लगे। पार्टी सूत्र सिंधिया के विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना बहुत कम होने की बात कह रहे है। हालांकि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेने की बात कही जा रही है। सिंधिया राजघराने का अब तक का इतिहास है कि किसी पुरुष ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ने भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। सिंधिया राजघराने से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश और वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान से विधानसभा का चुनाव लड़ते आई है। ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में ही वह चुनाव लडऩे के लिए राजी हो सकते है।