गढ़ में ब्राह्मण ‘प्रतिष्ठा’ के लिए बदल रहे निष्ठा

एक माह में ही बदल गई अभय मिश्रा की निष्ठा.

भोपाल/मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मप्र की राजनीति में विंध्य क्षेत्र को ब्राह्मणों के गढ़ के रूप में जाना जाता है। इसकी वजह है कि रीवा जिला ब्राह्मण बहुल है। यहीं नहीं यहां की राजनीति में ब्राह्मणों का हमेशा वर्चस्व रहता है। यहां से कई प्रभावी राजनेताओं ने मप्र का प्रतिनिधित्व किया है।
लेकिन गत दिनों विंध्य क्षेत्र से आने वाले रीवा के दो ब्राह्मण नेताओं ने दल बदल कर नए राजनैतिक समीकरण की शुरुआत की है। कांग्रेस से नाता तोडऩे वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी ने भाजपा का दामन थाम लिया, तो पूर्व विधायक अभय मिश्रा 66 दिन बाद ही भाजपा छोडक़र कांग्रेस में लौट आए। दरअसल, ‘प्रतिष्ठा’ (चुनावी टिकट) के लिए विंध्य क्षेत्र के ब्राह्मण नेता अपनी निष्ठा बदलने में तनिक भी हिचक नहीं रहे हैं।भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी ने कहा है कि देशभक्त युवा आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है, इसलिए वे भी भाजपा में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे भाजपा और मोदी की विचारधारा को अपनाते हुए पार्टी में शामिल हुए हैं, क्योंकि देश का जो विकास हो रहा है, वह भाजपा की सरकारों के कारण ही संभव हो सका है। उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोलते हुए पत्रकारों से चर्चा में कहा मध्यप्रदेश में कांग्रेस दो बाप और दो बेटों की पार्टी बनकर रह गई है। इस समय कांग्रेस ठेके पर चल रही है। कमलनाथ मुख्य कॉन्ट्रेक्टर हैं और दिग्विजय सिंह उनके पेटी कॉन्ट्रेक्टर बने हुए हैं। कांग्रेस की रीति-नीति अब वैसी नहीं रही, जो पहले कभी हुआ करती थी। प्रदेश मुख्यालय में पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी राज ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की मौजूदगी भाजपा का दामन थाम लिया।
दलबदलू करते हैं आदर्श और ईमानदारी की बातें
अपनी मूल पार्टी छोडकऱ आने वाला हर नेता आदर्श और इमानदारी की बात करने लगता है, लेकिन यह सभी जानते हैं कि टिकट की चाह में राह बदली जा रही है। 68 दिन पहले भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने पार्टी से नाता तोड़ते हुए कहा कि कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाथ में पानी का गिलास उठाकर कहा था कि विधायक केपी त्रिपाठी को टिकट नहीं देंगे, लेकिन मुझे पता चला है कि मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के दवाब में वे अपने वादे पर अडिग नहीं रह पाएंगे। गौरतलब है कि बुधवार को मिश्रा ने प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को लिखे पत्र में कहा है कि शीर्ष नेतृत्व ने मुझे दिए आश्वासन से हटकर वादाखिलाफी की है। मुख्यमंत्री अपने वचन के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है एवं मेरी पत्नी नीलम मिश्रा भी भाजपा की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती। सेमरिया की जनता मुझे ही सिर्फ कांग्रेस की टिकट पर प्रत्याशी देखना चाहती है। मिश्रा ने कहा कि उनसे बड़ी भूल हुई थी कि वे भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि अभी तक मिश्रा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। लेकिन मिश्रा ने स्वयं संकेत दिए हैं कि वे कांग्रेस में शामिल होकर सेमरिया से चुनाव लड़ेंगे। इसकी वे लगातार तैयारियां भी कर रहे हैं। सेमरिया से भाजपा की टिकट पर विधायक रहे अभय मिश्रा ने पिछले चुनाव (2018) से छह माह पहले भाजपा से इस्तीफा दिया था। अभय और उनकी पत्नी सेमरिया से एक-एक बार विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा छोडऩे के बाद मिश्रा कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्होंने रीवा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। मिश्रा ने बीते 11 सितंबर को भाजपा का दामन थमा था, लेकिन अब वादाखिलाफी का आरोप लगाकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
नारायण त्रिपाठी ने किया शक्ति प्रदर्शन
मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने हाल ही में भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। नारायण त्रिपाठी को भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी नहीं बनाते हुए उनकी टिकट काट दी है। मंगलवार को विधायक त्रिपाठी ने लंबे काफिले में जनता के बीच मैहर में इंट्री ली। इस दौरान भारी जनसमूह उनके स्वागत में मौजूद रहा। चर्चा थी कि नारायण को कांग्रेस से टिकट मिलेगी, लेकिन फिलहाल कांग्रेस का साथ भी उन्हें नहीं मिला है। नारायण भले ही भाजपा के विधायक रहे हों, लेकिन वो भारतीय जनता पार्टी हो या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, लगातार इनको कठघरे में खड़ा करते रहे और अपने बयानों से सीएम के साथ संगठन को आड़े हाथ लेना विधायक की आदत में बन चुका था। जिस तरह से नारायण ने मैहर में प्रवेश किया है, माना जा रहा है कि यह उनका सियासी शक्ति प्रदर्शन है। नारायण राजनीति में सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श बताते हैं।