नौ सैकड़ा बंदी भी चुन सकेंगे मनमाफिक प्रत्याशी

भोपाल/मंगल भारत। चुनाव के समय अगर पुलिस ने


आईपीसी की धारा 151 के तहत किसी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, तो उसे भी अपनी पसंद के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का मौका मिलेगा। इस संबंध में केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के निर्देश पर गृह मंत्रालय द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। बता दें प्रदेश की सभी 124 जेलों में इस समय ऐसे करीब नौ सौ व्यक्ति बंदी हैं।
गृह मंत्रालय का अदेश मिलते ही पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस मामले में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि गृह मंत्रालय से आए आदेश में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव-2023 के लिए 17 नवंबर को मतदान है। उक्त मतदान प्रक्रिया में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुअ) की कार्रवाई में निरोध निवारक किए गए या जिला बदर की कार्रवाई में और धारा 151 में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को भी शामिल करने को कहा गया है। इन्हें मतदान प्रक्रिया में शामिल करने के लिए प्रदेश की सभी जेल में कैद ऐसे व्यक्तियों की जानकारी एकत्र कर शीघ्रता से निर्वाचन आयोग ने मांगी है। हालांकि जेल विभाग या जेल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अभी तक इस तरह का कोई आदेश होने से इंकार किया है। बता दें कि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते गृह मंत्रालय से जारी हुए इस आदेश को लेकर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक भी जानकारी जुटाने में लग गए हैं। इसके लिए पुलिस रिकॉर्ड को खंगालने का काम मैदानी स्तर पर शुरू कर दिया गया है। वहीं जानकारों का मानना है। प्रदेश की जेलों में कैद ऐसे लोगों के मतदान के लिए बैलेट पेपर का ही उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद जेल से ऐसे डाक मतपत्रों को संबंधित विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी के पास भेजा जाएगा।
ऐसे मामलों में होती है इस तरह की कार्रवाई
प्रदर्शनकारियों व अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत कार्रवाई की जाती है। इस कार्रवाई में हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अधिकमत एक साल जेल में रखा जा सकता है। इसी तरह से जिला बदर के दौरान अपराधी को जिले सहित समीपवर्ती सीमा पर लगे जिलों की भौगोलिक सीमाओं से निष्कासित कर दिया जाता है। उक्त आदेश का उल्लंघन करने पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाता है। धारा 151 के तहत पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार करती है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह किसी संज्ञेय अपराध को करने की परिकल्पना कर रहा है। एसे न्यायालय में पेश किया जाता है। जहां से जमानत नहीं मिलने पर उसे जेल भेज दिया जाता है।