शाह के मोर्चा संभालते ही थमने लगा असंतोष

प्रदेश में टिकट वितरण के बाद लगातार बढ़ रहा असंतोष अब


थमना शुरु हो गया है। इसके लिए खुद अब देश की राजनीति में चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मोर्चा संभाल लिया गया है। बीते रोज जबलपुर पहुंचे अमित शाह ने सबसे पहले बगावती तेवरों वाले नेताओं से बात की , तो गुस्से से तमतमा रहे चेहरे वाले नेता बाहर आते ही पूरी तरह से संतुष्ट नजर आए। इस दौरान उनके द्वारा महाकौशल के 38 विधानसभा के प्रभारियों के साथ बैठक लेकर हर विधानसभा क्षेत्र का पूरा फीडबैक लिया गया। इसके बाद वे रात करीब दस बजे भोपाल आए और यहां पर भी उनके द्वारा तीन दर्जन विधानसभा के पदाधिकारियों के साथ बैठक लेकर पूरी जानकारी हासिल की गई। बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव, शिव प्रकाश और हितानंद मौजूद थे। बैठक के दौरान उन्होंने उन नेताओं को भी बुलाया, जो टिकट न मिलने से असंतुष्ट चल रहे हैं और जिनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना बनी हुई है। अहम बात यह है कि शाह को बीते रोज जबलपुर से भोपाल शाम छह बजे आना था , लेकिन वे रात दस बजे भोपाल आ सके। इसकी वजह रही वहां पर असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात कर उनसे बातचीत करना। यहां पर उनके द्वारा भोपाल-नर्मदापुरम संभाग के जिला प्रभारी, जिलाध्यक्ष समेत विधानसभा क्षेत्रों में विजय संकल्प लेकर देशभर के भाजपा शासित राज्यों से आए चुनिंदा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर मौजूदा सियासी स्थितियों का आकलन किया गया। संगठन सूत्रों का कहना है कि इस दौरान उनके द्वारा एक लाइन में कार्यकर्ताओं को सीधा संदेश दिया कि प्रत्याशी को नहीं कमल के फूल को देखकर काम करना है। जबलपुर में उन्होंने धीरज पटेरिया, शरद जैन समेत कुछ अन्य कार्यकर्ताओं से बात की तो भोपाल और नर्मदापुरम में टिकट न मिलने से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं से भी वे मिले। इसके अलावा शाह ने चुनावी मुद्दों को लेकर भी नेताओं से बात की। इस दौरान उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ पार्टी के ही नेताओं के जारी असंतोष को लेकर नाराजगी भी जाहिर की गई। शाह ने प्रदेश संगठन को भी मैदान में उतरने की नसीहत दी। बैठक में शाह ने मतदाताओं को बूथ तक लाने और सरकार की योजनाओं को जनता को याद दिलाने को भी कहा है। शाह आज खजुराहो में सागर संभाग के अलावा रीवा- शहडोल और उज्जैन में भी संभागीय बैठकों को संबोधित करेंगे।
धीरज व शरद जैन का असंतोष हुआ समाप्त
टिकट से वंचित नेताओं ने सर्वाधिक हंगामा जबलपुर में ही किया है। शायद यही वजह है कि शाह ने अपने दौरे की शुरुआत जबलपुर से ही की है। इसका फायदा भी पार्टी को मिला है। उत्तर जबलपुर में अभिलाष पांडे को टिकट देने का सर्वाधिक विरोध हुआ। विरोध का शिकार प्रदेश प्रभारी केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को भी होना पड़ा था। परदे के पीछे से बवाल को हवा देने वालों की भाषा अमित शाह के दौरे के बाद बदल गई है। उन्होंने बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं को एकता का पाठ पढ़ाया। कहा, मिल-जुलकर काम करना है। पार्टी को देखना है, उम्मीदवार को नहीं। बैठक में चुनिंदा नेता-कार्यकर्ता थे। शाह के जबलपुर आगमन का असर तुरंत नजर आया। बताया गया है कि अमित शाह की बैठक के बाद भाजपा नेता धीरज पटेरिया ने अपने समर्थकों के बीच पहुंचकर धीरज रखने की बात कही। जिसके बाद यह साफ हो गया है कि वे निर्दलीय चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। अब तक यह कहा जा रहा था कि धीरज पटेरिया निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। जानकारी के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह ने शहर की राजनीतिक स्थिति का आंकलन करने के बाद पटेरिया से मिलने की इच्छा जताई थी। भाजपा के नेताओं के माध्यम से यह सूचना धीरज पटेरिया तक पहुंची। इसके बाद शाह और पटेरिया की रानीताल स्थित भाजपा संभागीय कार्यालय में मुलाकात हुई। जबलपुर उत्तर से एक और दावेदार शरद जैन भी अमित शाह से मुलाकात के बाद मान गए हैं। उत्तर जबलपुर की तरह पश्चिम और सिहोरा में भी असंतोष था। पश्चिम सिहोरा के असंतुष्टों को भी शांत कर दिया गया है।