भोपाल/मंगल भारत। पड़ोसी राज्य उप्र में भले ही जाति का
कार्ड धीरे-धीेरे बेअसर होता जा रहा है, लेकिन इसका असर मप्र में तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह है भाजपा व कांग्रे्रस के नेताओं द्वारा बीते लंबे समय से खेला जाने वाला जाति का दांव है। अब यही दांव दोनों दलों को भारी पड़ता दिख रहा है। वोट की राजनीति के चक्कर में खेले गए इस दांव ने उलटा असर दिखाना शुरू कर दिया है। जिसकी वजह से इन दोनों दलों को फिलहाल फायदा कम और नुकसान अधिक होने की संभावना बन रही है। इसकी वजह है टिकटों की दावेदारी में अब समाजों द्वारा की गई भागीदारी की मांग । कई समाज अपने -अपने प्रतिनिधियों के लिए टिकट मांग रहे थे , लेकिन टिकट नहीं मिलने से वे नाराज हैं। इनमें समाज के नेताओं का तो यहां तक कहना है कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीधारी। इस मांग को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों पर भरी दबाव देखा गया है। पार्टियों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह रही है कि अगर उनकी मांगों पर समाज के लोगों को टिकट नहीं दिया जाता है तो भी विरोध का खतरा था और दिया भी गया तो दूसरे समाज के लोग नाराज हो गए हैं। इसकी वजह से वोट कटने का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस वजह से दोनों ही प्रमुख पार्टियों के नेतृत्व के लिए समाजों की इस मांग ने मुश्किलों में डाल रखा है। धनगर समाज ने कहा है कि सभी उपजातियों सहित उनकी छह लाख की आबादी इंदौर में है धनगर समाज की इतनी आबादी होने के बाद भी राजनीतिक पार्टियां धनगर समाज की उपेक्षा कर रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानसिंह बघेल, जीएस धनगर एवं पटेल मधुसूदन धनगर ने कहा कि धनगर समाज को न तो नगरीय निकाय में कोई प्रतिनिधित्व मिला और न ही विधानसभा चुनाव में धनगर समाज के किसी भी व्यक्ति को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। हम केंद्र एवं राज्य सरकार से मांग करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में धनगर समाज को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए जिससे समाज और शहर का विकास हो सके। इसके साथ उन्होंने समाज के लिए कई अन्य मांगें भी की थीं, लेकिन उनकी मांगों को अनदेखा कर दिया गया। लगभग यही हाल अन्य समाजों का भी है।
अग्रवाल समाज ने मांगी थी तीन टिकट
कमलनाथ अग्रवाल समाज के कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां समाज के प्रतिनिधियों ने विधानसभा एक, तीन, पांच और महू से टिकट की मांग की गई थी। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि इन क्षेत्रों में समाज के लोग बडी संख्या में रहते हैं। यदि यहां से समाज के लोगों को टिकट दिया जाता तो जीत पक्की रहती । उधर, जैन समाज ने भी इंदौर के कई क्षेत्रों से टिकट मांगी थी,वह अपने उम्मीदवारों के लिए लाबिंग भी कर रहा था । जैन समाज स्वप्निल कोठारी, अक्षय बम को टिकट के लिए सपोर्ट कर रहा था। यह दोनों समाज में लगातार सक्रिय रहे हैं और अलग-अलग क्षेत्रों से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उनकी मांगों की भी अनदेखी कर दी गई। स्वप्निल पांच नंबर से टिकट मांग रहे थे।