भोपाल/मंगल भारत। मप्र में विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए पार्टियों द्वारा साम, दाम, दंड, भेद सबका सहारा लिया जा रहा है। इसका संकेत आचार संहिता के बाद ड्रग्स, कैश, शराब, सोना, फ्रीबीज और नकदी की जब्ती से लगाया जा सकता है। चुनाव आयोग ने इसे चुनाव खर्च पर निगरानी की निरंतर कोशिशों का नतीजा बताया है।
मप्र में 9 अक्टूबर को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद जब्ती के रुझान में काफी वृद्धि हुई है। इससे कहा जा रहा है कि पार्टियां इस बार का चुनाव ड्रग्स, कैश, शराब, सोना के दम पर जीतना चाहती हैं। मप्र में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां विभिन्न एनफोर्समेंट एजेंसियां भी ज्यादा एक्टिव होती नजर आ रही है। निर्वाचन विभाग के निर्देश पर प्रदेश में विभिन्न एनफोर्समेंट एजेंसियों ने ड्रग्स, शराब, सोना, फ्रीबीज और नकदी जब्त की है। चुनाव में शुचिता की न जाने कितनी बातें होती हैं। आचार संहिता की न जानें कितनी व्याख्याएं चलती हैं। आह्वान, अपील, सुझाव के साथ चुनाव आयोग के डंडे भी चलते हैं। शुचिता के दावों से कोई नहीं चूकता। मगर, कार्रवाइयों के आंकड़े तो कुछ और कहते हैं। यह कि इस बार के चुनाव में न केवल शराब की खेप दर खेप खपाने की चहुंओर कोशिशें चल रही हैं, बल्कि पैसे से वोट खरीदने का मिजाज भी मस्ती पर है। अब तक हुई कार्रवाईयों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चुनाव की तुलना में यह चार गुनी ज्यादा रफ्तार पर है। उधर, आलम यह भी है कि इन तमाम कार्रवाईयों में किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की संलिप्तता सामने नहीं है।
288 करोड़ से अधिक की जब्ती
आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 31 करोड़ 82 लाख 65 हजार रुपये नकद, 52 करोड़ से अधिक राशि की अवैध शराब भी जब्त हो चुकी है। पिछले चुनाव में आचार संहिता के दौरान 72 करोड़ 93 लाख रुपये की शराब, नकदी सहित अन्य सामग्रियों की जब्ती हुई थी। यह आंकड़ा चार नवंबर तक ही 288 करोड़ 38 लाख रुपये से अधिक पहुंच गया था। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना कि नौ अक्टूबर से अब तक 28 करोड़ 38 लाख 95 हजार 49 रुपये की जब्ती की कार्रवाई की गई है। इसमें 25 लाख लीटर से अधिक अवैध शराब सहित अन्य सामग्रियां शामिल हैं। सी विजाल एप पर सादे सात हजार से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं। इन पर त्वरित कार्रवाई भी हो रही है, जबकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में छह अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच 72 करोड़ लाख रुपये की एनफोर्समेंट एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की गई थी। कार्रवाई मतदान तक जारी रहेगी।
किसी पार्टी या नेता पर कार्रवाई नहीं
सबसे बड़ी विडम्बना यह देखने को मिल रही है कि इस बार भले ही रिकॉर्ड सामग्री और नगदी जब्त की गई है, लेकिन किसी भी पार्टी या नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्वालियर-चंबल का क्षेत्र दो राज्यों उप्र और राजस्थान से सटा है ,तो सीमा पर बनाई चौकियों पर नकदी, शराब, सोना-चांदी को पकडऩे की कार्रवाईयां भी अधिक हो रही है। देखने में आ रहा है कि एफएसटी और एसएसटी की टीमों ने अब तक राजनेता या उनके समर्थकों के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है। व्यापारी, कारोबारी और उनके नुमाइंदे ही पकड़े जा रहे हैं। दो दिन पहले तक ग्वालियर में एक करोड़ 93 लाख नगदी पकड़ी गई लेकिन, यह राशि तकादे की ही रही या फिर व्यापार से संबंधित। मुरैना में एक दल विशेष के चुनाव चिह्न वाली साडिय़ां और टी-शर्ट पकड़ी गई और जौरा क्षेत्र में केस भी दर्ज हुआ। अंबाह के महुआ क्षेत्र में भाजपा के नाम पर साडिय़ां बांटी गई, इस मामले में भी अज्ञात पर ही केस दर्ज हुआ। मुरैना शहर के आमपुरा में एक मकान से महिलाओं को स्टील के बड़े कटोरा बांटे गए। यह कटोरा वोट देने का लालच देकर बांटे गए। महाकोशल और विध्य अंचल के 17 जिलों में प्रशासन ने कार्रवाई कर करोड़ों रुपये जब्त किए हैं। हालांकि, जांच के बाद बहुत से लोगों का पैसा लौटा भी दिया गया। सिवनी के चार विधानसभा क्षेत्रों में एसएसटी की अलग-अलग टीमों ने 21 अक्टूबर से 10 नवंबर तक 13 प्रकरणों पर 16.78 लाख रुपये जब्त किए। बालाघाट जिले में अब तक सात कार्रवाई हुई है। इसमें एसएसटी और एफएसटी टीम ने कुल 36 लाख छह हजार 905 रुपये जब्त किए गए। उमरिया में एसएसटी की टीम ने चार व्यापारियों से आठ लाख रुपये जब्त किए थे, जिन्हें जांच के बाद लौटा दिए गए। मंडला जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों निवास, बिछिया और मंडला विधानसभा क्षेत्रों टीम में एफएसटी और एसएसटी की अब तक 50 लाख रुपये की सोना को बरसी के असार 7 लाख रुपये प्रचार सामग्री पाच लाख की अवैध शराब जब्त की जा चुकी है।