एक-एक दिन काटना प्रत्याशियों को पड़ेगा भारी

16 दिन के बाद खुलेगा प्रत्याशियों के भाग्य का पिटारा.

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद इवीएम स्ट्रांग रूम में कैद हो गई हैं। इसके साथ ही 2533 प्रत्याशियों का भाग्य भी 16 दिन के लिए कैद हो गया है। अब 3 दिसंबर को इनके भाग्य का पिटारा खुलेगा। इससे पहले प्रत्याशियों को 16 दिन तक एक-एक दिन काटना मुश्किल पड़ेगा।
गौरतलब है कि आचार संहिता लगने के बाद मतदान की तारीख कब आ जाती है, यह राजनीतिक दलों के नेताओं को पता नहीं चल पाता, लेकिन सबसे ज्यादा इंतजार होता है मतगणना का। चुनाव परिणाम जानने के लिए न केवल राजनीतिक दलों के नेता-कार्यकर्ता, बल्कि हर मतदाता भी उत्सुक रहता है। पिछले चार चुनावों के मतदान और मतगणना की तारीख देखें, तो सबसे लंबा इंतजार इस चुनाव में करना होगा। इस बार वोटिंग के 16 दिन बाद परिणाम आएंगे। निर्वाचन आयोग की सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक, यह 20 साल में हुए चुनावों में सबसे लंबी इंतजार अवधि होगी। विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होने के बाद अब परिणाम के लिए एक-एक दिन काटना मुश्किल होगा। इस बीच, चुनावी पंडितों को जोड़-घटाना करने का पर्याप्त समय मिलेगा। इसके बावजूद एक पखवाड़े की प्रतीक्षा करनी होगी। चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन को भी ज्यादा जिम्मेदारी उठानी होगी।
अब तक सबसे लंबा इंतजार
प्रदेश में पिछले 20 साल के दौरान यह पहला अवसर है, जब मतदान के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। 20 साल पहले 2003 के विधानसभा चुनाव में मतदान और मतगणना में मात्र 3 दिन का अंतर रहा था। प्रदेश की 230 सीटों के लिए 1 दिसंबर को वोट डाले गए और 4 दिसंबर को रिजल्ट आया। वर्ष 2008 में प्रदेश में 15 साल पहले हुए इस चुनाव में 27 नवंबर को वोट डाले गए थे। जबकि मतगणना की तारीख 8 दिसंबर थी। इस तरह वोटिंग और काउंटिंग के बीच 11 दिन का अंतर था। वर्ष 2013 में 10 साल पहले विधानसभा चुनाव में मतदान और मतगणना में 11 दिन का अंतर था। उस दौरान मतदान 25 नवंबर को हुआ था, जबकि परिणाम 8 दिसंबर को घोषित किए गए थे। पिछली बार यानि 2018 में हुए चुनाव में मतदान और मतगणना के बीच 12 दिन का अंतर था। उस वर्ष 28 नवंबर को मतदान होने के बाद 11 दिसंबर को मतगणना की गई थी।