दिनभर चलती रहती है माथापच्ची …
भोपाल/मंगल भारत। मप्र में अगली सरकार किसकी बनेगी इसको लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका से लेकर चौक-चौराहों पर आंकलन का दौर चल रहा है। हालांकि इस बार कोई भी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच पा रहा है। शासन-प्रशासन की नब्ज जानने वाले नौकरशाह भी बंटे हुए हैं। इसका नजारा सोमवार को सरकारी दफ्तरों में देखने को मिला। चुनाव के बाद पहली बार जब मंत्रालय सहित अन्य कार्यालयों में रौनक लौटी तो लोग चुनावी चर्चा में मसरूफ दिखाई दिए। इसके पहले विधानसभा चुनाव में मतदान में ड्यूटी और दिवाली के त्योहार के चलते बीते कुछ दिनों से शासकीय कार्यालयों में माहौल ठंडा था।
मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में पहुंचे अधिकारी कर्मचारी सोमवार को अलग-अलग बैठकों में मतदान के बाद चुनाव परिणामों पर चर्चा में ही मशगूल रहे। मतदान के मत प्रतिशत की जानकारी के आधार पर कयास लगाए जाते रहे कि किस पार्टी की सरकार बन सकती है। इन चर्चाओं में लाड़ली बहना योजना, ओल्ड पेंशन समेत अन्य मुद्दों पर रिजल्ट के कयास लगाए जाते रहे। मंत्रालय जहां से सरकार चलती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव वहीं बैठते हैं। ऐसे भवन में सोमवार को क्या अफसर क्या कर्मचारी, सबके बीच केवल दो ही सवाल कि किसे मिल रही कितनी सीटें? और किसकी बन रही सरकार? मंत्रालय में पदस्थ ब्यूरोक्रेट्स राजनीतिक टेंपरेचर की पड़ताल में जुटी रही। सचिव, प्रमुख सचिव जैसे अफसरों के केबिन में भी सरकारी कामकाज से ज्यादा राजनीतिक चर्चा ज्यादा होती रही। आगंतुकों से वे जानने की लगातार कोशिश करते रहे कि आखिर प्रदेश में हुए चुनाव में परिणाम क्या आने वाला है।
किसकी सरकार पर बंटे अफसर
भाजपा और कांग्रेस के नेता भले ही दम भर रहे हैं कि मेरी सरकार बनेगी, लेकिन अफसर इसको लेकर बंटे हुए हैं। कुछ अफसर प्रदेश में भाजपा की सरकार के रिपीट होने की संभावना जताते रहे, तो कुछ कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावना भी जताते रहे। अपर मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी जो कि सरकार के भी बेहद करीबी माने जाते हैं, वे मौजूदा सरकार की वापसी को लेकर आशंकित नजर आए। उनके मुताबिक प्रदेश में सरकार बदल सकती है। इधर कुछ अफसर इस बात को लेकर जानने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे थे कि लाड़ली बहना योजना ने क्या असर दिखाया है? ज्यादातर इस बात पर सहमत थे कि लाड़ली बहना का फायदा मौजूदा सरकार को मिल सकता है, लेकिन जीजा जी की नाराजगी संशय भी बढ़ाती है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा। इधर अफसरों की तरह मंत्रालय में कर्मचारी वर्ग भी काम के बजाय चुनावी चर्चा में ज्यादा व्यस्त रहा। यहां भी अफसरों की तरह सरकार को लेकर दो धड़े नजर आए। एक वर्ग जहां मौजूदा सरकार की वापसी करा रहा था तो दूसरा धड़ा कांग्रेस के आने के दावे कर रहा था। कर्मचारियों के बीच वैसे तो मौजूदा सरकार को लेकर ज्यादा नाराजगी नजर नहीं आई, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम की चर्चा करने में भी वे पीछे नहीं रहे। यहां बता दें कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर प्रदेश में ओपीएस लागू करने की घोषणा की है। इधर परिणाम को लेकर अनिश्चितताओं को देखते हुए अफसरों ने भी संतुलन साधने की कवायद शुरू कर दी है। वे बातों में अब इस तरह का कोई संदेश नहीं देना चाहते जिससे कि ये संदेश जाए कि वे किसी के समर्थक हैं या फिर विरोधी।