नाराजों को सत्ता में भागीदारी देकर किया जाएगा संतुष्ट

निगम-मंडल-बोर्ड सहित कई संस्थाओं में की जाएगी ताजपोशी.

भोपाल/मंगल भारत। भले ही अभी प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना नहीं हुई है, लेकिन सरकार बनते ही प्रदेश के तमाम निगम-मंडल-बोर्ड सहित कई संस्थाओं में नाराज नेताओं की ताजपोशी कर उन्हें सत्ता में भागीदारी देकर खुश किया जाएगा। इसका असर सरकार बनते के बाद साफ दिखाई देगा। अंतर यह रहेगा कि अगर भाजपा की फिर से सरकार बनती है तो जरुर कई पुराने चेहरे रिपीट हो सकते हैं , लेकिन अगर कांग्रेस सत्ता में आती है , तो सभी नए चेहरों की ताजपोशी की जाएगी। नई विधानसभा के गठन के साथ ही प्रदेश के तमाम निगम मंडलों सहित अन्य संस्थाओं में की गईं राजनैतिक नियुक्तियों का भी कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इसके बाद नई सरकार को उनमें नए सिरे से नियुक्तियां करनी होंगी। प्रदेश में इस बार चुनाव से ठीक पहले जातिय समीकरण साधने के लिए सरकार द्वारा बहुत सारे नए निगम-मंडल-बोर्ड भी गठित किए हैं। यही नहीं उनमें आनन-फानन में नियुक्तियां भी कर दी गई थीं, लेकिन चुनावी आचार संहिता लग जाने के लिए कुछ को तो काम करने तक का मौका नहीं मिल सका है। इसकी वजह है,सरकार द्वारा इनका गठन चुनाव से ठीक पहले किया जाना। ऐसे में सरकार के पास अब नाराज नेताओं को साधने के लिए पदों का अंबार लग चुका है। दरअसल टिकट न मिलने से कई सारे नेता नाराज चल रहे हैं। चुनाव में उन्हें भाजपा व कांग्रेस के नेताओं द्वारा सरकार बनने पर सत्ता में भागीदारी देने का भरोसा दिलाया गया था, जिसकी वजह से ऐसे नेताओं को अब अपनी बारी का इंतजार है। यह बात अलग है कि प्रदेश में बीते डेढ़ दशक में भाजपा की सरकार होने के बाद भी निगम-मंडल- बोर्ड सहित अन्य संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियां बेहद कम की गई हैं, जिसकी वजह से भी भाजपा एक वर्ग के कार्यकर्ताओं में बेहद नाराजगी रही है। यह बात अलग है कि इस बार भाजपा सरकार ने सत्ता परिवर्तन के बाद बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की थीं, लेकिन इसके बाद भी कई प्राधिकरणों में एक भी नियुक्ति नहीं की गई है। दरअसल नियुक्तियां असंतुष्टों को साधने के लिए होती है। खास यह है कि अब नई सरकार बनते ही केवल संवैधानिक दर्जा प्राप्त आयोगों की नियुक्तियां छोडक़र बाकी सभी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।
सरकार बनने के हिसाब से समीकरण
सीएम शिवराज ने चुनावी दस्तक के बीच आचार संहिता से पहले करीब डेढ़ दर्जन निगम-मंडल सहित अन्य संस्थाओं के गठन की घोषणाएं कीं। इसमें विभिन्न जातियों के निगम-मंडल भी शामिल हैं। जिनका गठन हो चुका है, उनमें कोई भी सरकार आए नियुक्तियां हो सकती हैं। यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो वह अपनी घोषणाओं और समीकरणों के हिसाब से गठन करेगी। फिलहाल इनके दावेदारों को लग रहा है कि इस बार उन्हें अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
हरल्लों को भी किया जाता है उपकृत
प्रदेश में सत्ता पर कौन सा दल काबिज होता है, उसके अनुसार बदलाव होगा। भाजपा की सरकार रिपीट होने पर बहुत से चेहरे पुराने रह सकते हैं, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनती है तो फिर सारे घर के बदलना तय है। अहम बात यह है कि इन निगम मंडलों में असतुष्टों के अलावा हरल्ले नेताओं की नियुक्ति कर उनका भी पुनर्वास किया जाता है। यह हरल्ले वे चेहरे होते हैं, जो सरकार के लिए मजबूरी बने होते हैं। इसका उदाहरण मौजूदा सरकार में कई देखने को मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि नई सरकार में निगम-मंडल में जल्द नियुक्तियां की जाएंगी। कांग्रेस के आने पर निगम-मंडल- बोर्ड के तमाम अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य बदल जाएंगे। कांग्रेस अपने नेताओं को मौका देगी। 2018 में जीत के बाद लगभग पूरा पंद्रह महीने क कार्यकाल में कांग्रेस ने सरकार गिरने के ठीक पहले एक सप्ताह में तमाम नियुक्तियां की थीं, लेकिन सरकार गिर जाने की वजह से उन्हें काम करने का मौका ही नहीं मिल सका था।